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ट्रैफिक में उजड्ड ड्राइवरों को गाली देने का मन किसका नहीं करता? जब बच्चे आपकी बात नहीं मानते, तो क्या आपका बीपी (रक्तचाप) हाई नहीं होता? यूं तो हमारे साहित्यकारों ने क्रोध को भी एक रस की संज्ञा दी है, किंतु इसका रसास्वादन बार-बार करना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है.
क्रोध मन का एक मूल भाव है और अगर इसका इस्तेमाल सही समय पर सही ढंग से किया जाए, तो ये लाभकारी भी हो सकता है, लेकिन जब यही क्रोध नियंत्रण से बाहर हो जाता है, तो आपके संबंधों और काम दोनों को बिगाड़ सकता है.
गुस्सा आने पर एक प्रक्रिया होती है, जिसे फ्लाइट और फाइट का नाम दिया गया है. इसके अंतर्गत स्ट्रेस हार्मोन निकलते हैं, जिनका शरीर पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इस प्रकार के व्यक्ति को उच्च रक्तचाप (हाई बीपी), सिरदर्द, चिंता और डिप्रेशन भी हो सकता है.
घर में दादी-नानी की बात याद है? जब गुस्से से भड़कने पर ये पूछा जाता था कि कुछ उल्टा-सीधा खाया है क्या? अब तक भोजन और गुस्से का आपसी संबंध अर्थात फूड मूड लिंक के बारे में केवल किंवदंतियों में ही सुना गया.
लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर बीट्राइस गोलोम्ब ने अपने एक अनुसंधान में पाया है कि अगर आपके खाने में ट्रांस फैट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, तो गुस्सा आने की संभावना औसत से बहुत अधिक हो जाती है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ रिचर्डसन जो एक संस्था, फूड एंड बेहवियर रिसर्च चलाते हैं, का मानना है कि कुछ जेलों में किए गए शोध से पता लगता है की खून में शुगर की कमी से भी व्यक्ति मूडी हो जाता है. ऐसा भी पाया गया है कि मांसाहारियों में क्रोध के होने की संभावना शाकाहारियों की तुलना में अधिक होती है.
ऑक्सफोर्ड के क्रिमिनोलॉजिस्ट बर्नार्ड जेश ने पाया कि जेलों में रहने वाले बंदियों को मल्टीविटामिन और ओमेगा 3 फैटी एसिड दिए जाए, तो अत्यधिक हिंसक अपराधों में लगभग एक तिहाई की कमी आ जाती है.
आयुर्वेद के अनुसार भोजन का भी क्रोध आने से या शान्त रहने से बड़ा संबंध है. ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है वे तामसिक भोज्य पदार्थों से बचें. शराब व मांस का ज्यादा सेवन क्रोध नियंत्रण में बहुत बड़ा बाधक है.
शारीरिक व्यायाम बहुत तरह से गुस्से को नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है. व्यायाम से शरीर में रक्त संचार ठीक होने से बहुत अच्छे हार्मोन्स का संचार होता है जो कि आपके विवेक को जागृत करता है और आप सही निर्णय ले सकने में समर्थ हो जाते हैं.
योगासन और प्राणायाम नियमित रूप से करने पर व्यक्तित्व में असाधारण परिवर्तन आते हैं और आप एक शांत चित्त के स्वामी बन जाते हैं. योगनिद्रा तो इस प्रकार के विकारों में अचूक साबित होती है, लेकिन यह सभी किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए.
बहुत से लोग गुस्से और तनाव का समाधान शराब और ड्रग्स में ढूंढते हैं, लेकिन वह तो समस्या को और गहन कर देता है. ड्रग्स मस्तिष्क को बिल्कुल भावना शून्य कर देते हैं और रोगी को यह पता ही नहीं चलता कि उसके साथ समस्या क्या है और वह उसमें उसका समाधान ढूंढने की बजाय फंसता ही चला जाता है.
1. पहले तोलो, फिर बोलो
भावावेश में आकर कहे गए शब्द कई बार सारी उम्र के लिए पश्चाताप का कारण बन सकते हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले कुछ पल सोचिए और फिर बोलिए.
लेकिन अपने अंदर हमेशा जज़्ब करना इसका समाधान नहीं है, इसलिए कुछ शांत हो जाएं, तब बात को स्पष्टता से जरूर दूसरे के सामने रखें, बात को इस ढंग से कहें कि सामने वाले को बुरा ना लगे.
2. गुस्से की वजह को समझें
ये समझने की कोशिश करें कि क्रोध के मूल में वास्तविक समस्या क्या है, उसका पता लगाएं और सोच कर उसका समाधान खोजें. बात को कुछ इस ढंग से कहें कि दूसरे को हर बार ऐसा न लगे कि उस पर दोषारोपण किया जा रहा है.
3. माफी देना सीखें
क्षमा तो क्रोध नियंत्रण का बड़ा उत्तम उपाय है. बड़े-बड़े ज्ञानी पुरुषों ने इसका वर्णन किया है क्योंकि क्षमा मन में उपजी कड़वाहट को धो देती है.
सौ बातों की एक बात कि जिस कारण से आपको गुस्सा आया है, उसे बार-बार लगातार न सोचें. अपना ध्यान किसी और एक्टिविटी में लगाएं, कोशिश करें छोटी-छोटी बात में दोष निकालना आपका स्वभाव ना बन जाए.
(डॉ अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. इनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
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Published: 20 Aug 2018,01:25 PM IST