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चिंता,फिक्र...और मैं हर रात नींद में दांत किटकिटाने लगी

हो सकता है कि इस समय आप भी अपने दांत किटकिटा रहे हों. 

उर्मि भट्टाचार्य
फिट
Published:
जब एनज़ाइटी की बीमारी का असर दांतों पर पड़ने लगा.
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जब एनज़ाइटी की बीमारी का असर दांतों पर पड़ने लगा.
(फोटो: Arnica Kala/The Quint)

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ये बिना कोई नुकसान पहुंचाए शुरू हुआ. जैसे आधी रात में एक विशाल टारेंटयुला मकड़ी आपके शरीर पर कूद पड़ती है. (ठीक है, शायद बिना कोई नुकसान की बात कहना सही नहीं है.) चलिए, इसे उसी तरह कहते हैं, जैसे यह होता है- यह दैत्य अपने मुंह से नर्क की आग उगल रहा हो या अधिक सटीक रूप से - जैसा कि मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने नरमी बरतते हुए इसके बारे में कहा- जैसे टर्मिनेटर किसी को पटक-पटक कर पीट रहा हो.

एक रात मैंने खुद को अपने दांत किटकिटाते पाया.

मैंने सोचा, यह कोई बड़ी बात नहीं है. मैंने साथ ही इसे अपने दिमाग से निकाल देने और जोर लगाकर अपने दांतों को अलग करने की कोशिश की. मेरा जबड़ा रॉक-पेपर-कैंची गेम में वाकई चट्टान जैसा महसूस हुआ. इसके बाद मैंने इसके बारे में कुछ और नहीं सोचा.

जब तक यह दोबारा नहीं हुआ. और फिर हुआ. और फिर. एक रात मैं अकेली सो रही थी. मेरी नींद भनभनाहट, किटकिटाहट की आवाज से खुली, जिसके बारे में मुझे यकीन था कि एक हिंसक जानवर था. बाबा यही कहेंगे, 'मैंने तुमसे पहले ही कहा था. तुमको अकेले नहीं रहने के लिए कहा था कि नहीं?,' मैंने दिमाग के घोड़े दौड़ाए और सोचा मैं इस हाल में कैसी लगती हूंगी.

एक रात, जब एक शांत पार्टनर या एक दोस्त के बगल में सो रही थी, तो मुझे बहुत जल्दबाजी में जगाया गया. जिस तरह मैं जगाई गई थी, रिश्ते की घनिष्ठता का परिचायक था. “अरे, क्या तुम जानती हो कि नींद में बहुत शोर कर रही थी?” एक फिक्रमंद करीबी ही यह सवाल पूछ सकता था. “तुम फिर ऐसा ही कर रही हो!” परेशान लेकिन फिक्रमंद ब्वॉयफ्रेंड हर बार फिर अपने हाथों से मेरे जबड़े को अलग कर कह रहा था. “अब डॉक्टर को दिखाने का समय आ गया है!” 
ज्यादातर रातें मेरा ब्वॉयफ्रेंड जाग जाता और मुझे अपने दांतों को पीसते हुए पाता.(जीआईएफ सौजन्य: Tenor)

तो मैंने यही किया.

चिंता या फिक्र, एक पुराना और परिचित दुश्मन

लेकिन मुझे इसको समझने में थोड़ा वक्त लग गया. मुझे पहले से पता था कि क्या गलत है. मैं दांत किटकिटा रही थी - या ब्रुक्सिज्म, जैसा कि WebMD/Mayo Clinic ने मुझे बताया कि इसका यही नाम है. ब्रुक्सिज्म कई कारणों से हो सकता है: नींद में कमी या किसी दूसरी तरह की नींद की बीमारी, मैग्नीशियम की कमी, खब्बड़ दांत या एक असामान्य कौर.

ब्रुक्सिज्म एक और कारण से भी हो सकता है, जो मेरे मामले में मुझे पता था कि यह एनज़ाइटी (चिंता) है.

मुझे एनज़ाइटी है. मुझे यह तब से है, जब मैं बच्ची थी और मैं एक अनजान लेकिन रहमदिल बाल मनोवैज्ञानिक को टेबल के उस पार देखती थी, जो मुझसे पूछता कि मैं अपने डर से बाहर क्यों नहीं निकल पाती. तब मैं दांत नहीं किटकिटाती थी, लेकिन मैं अपने रास्ते में पड़ने वाली बिखरी टहनियों को और झाड़ियों को अपनी जिंदगी में सीधापन लाने के लिए यूं ही सीधा करती चलती थी. (क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ये मेरे साथियों को किस तरह आश्चर्य में डालता था?)

मैंने नींद भी खो दी, खास दिनों/ फैसलों / गतिविधियों को टाल दिया क्योंकि मैं वास्तव में उन्हें करने के डर को खत्म नहीं कर सकी, और किसी चीज के बारे में सोचते हुए घंटों बिताए- फिर खुद को भरोसा दिलाया- इस सबके बारे में फिर से सोचा- तो ... आप मुद्दा समझ गए.

मुद्दा यह है कि, मुझे पता था कि मैं क्यों अपने दांत किटकिटा रही थी, लेकिन मैं इस बारे में कुछ भी करने से बहुत डरती थी.

28 साल की उम्र में, और यह पता लगाने के बाद कि आप अपने जीवन के मध्य भाग में इससे ग्रस्त हैं, आप इससे निकलने का रास्ता देखना शुरू कर देते हैं. कोई चीज आपसे कह रही है कि आप पीछे की ओर नहीं जा रहे हैं.

कई हफ्तों तक मैंने तय किया इस बारे में मैं कुछ भी नहीं करने वाली, जब तक किटकिटाने की आवाज और तेज नहीं हो गई. मैंने एक दिन सुबह की मीटिंग के बीच में बेख्याली में खुद को दांत किटकिटाते पाया. अक्सर जकड़े हुए जबड़े के साथ मेरी नींद टूट जाती थी, जिससे सुबह नाश्ते में भी थोड़ी दिक्कत होती थी.

आखिरकार सबसे पहले मैं डेंटिस्ट के पास गई. उनका जवाब गूगल के सैकड़ों सर्च से कुछ खास अलग नहीं था. उन्होंने सुझाव दिया, “आराम करने का कोई रास्ता खोजें?”,‘माउथ गार्ड’ का सुझाव देते हुए मुझे दिखाया भी कि यह कैसा दिखता है. (किसी की इसमें रुचि हो तो बता दूं, यह दांत के आकार का लिजलिजा सा दिखता है.)

मुझे माउथ गार्ड से कोई फर्क नहीं पड़ता- और मैंने डॉक्टर से वादा किया कि मैं खुद एक माउथ गार्ड खरीद लूंगी. (आपको बता दूं कि, डेंटिस्ट के क्लीनिक में उपलब्ध माउथ गार्ड बहुत ज्यादा महंगा है और आप कहीं भी बाजार से सस्ता खरीद सकते हैं.)

तो मैं इसका इलाज करूंगी. खुद को डेंटिस्ट के हवाले करना और इसे एक समस्या के रूप में स्वीकार करना, एक कदम आगे बढ़ना था. इस लेख को लिखते हुए- बचपन की एनज़ाइटीज की यादों के कुछ हिस्से में लगातार फेरबदल करना और फिर से बदलना- एक और कदम था. खुद को घसीटते हुए फिर से एक थेरेपिस्ट के पास ले जाना तीसरा कदम होगा.
हम इस समस्या से निपट सकते हैं(जीआईएफ सौजन्य: Giphy)

हो सकता है कि इस समय आप भी दांत किटकिटा रहे हों. आप कुछ भी स्पष्ट नहीं कर सकते- लेकिन चिंता के साथ लंबी लड़ाई के संकेतों की अनदेखी करने और उम्मीद करने के बजाय कि कोई आपकी मदद करेगा, किसी भी तरह से, बाहर निकलें और मदद हासिल करें.

मुझे लगता है कि मेरे जबड़ों के किनारों पर उम्मीद की किरण है. यह बात आपके लिए भी सच हो सकती है.

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