advertisement
दुनिया भर में किडनी संबंधी रोग से पीड़ित मरीजों में महिलाओं की तादाद पुरुषों से कहीं ज्यादा है, जिसकी मुख्य वजह लापरवाही है. यह बात गुरुवार को दिल्ली में वर्ल्ड किडनी डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कही. विशेषज्ञों ने बताया कि देश के ग्रामीण इलाकों में किडनी संबंधी रोगों को लेकर महिलाओं में जागरुकता फैलाने की जरूरत है, जिससे वे अपनी हिफाजत कर पाएं और समय पर जांच और इलाज कराएं.
विश्व किडनी दिवस और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुमन लता नायक ने कहा कि महिलाओं को अपनी लाइफ स्टाइल को ठीक रखनी चाहिए और गुर्दा संबंधी कोई तकलीफ होने पर तुरंत जांच करवानी चाहिए. उन्होंने बताया कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से गुर्दे की तकलीफें बढ़ती हैं, इसलिए खानपान और आदत में सुधार लाकर इन पर नियंत्रण रखना जरूरी है.
यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के सीनियर कंसल्टेंट विकास जैन ने बताया कि गुर्दा खराब होने पर गुर्दे का ट्रांसप्लांट ही सही विकल्प है, लेकिन जागरुकता की कमी होने की वजह से किडनी की उपलब्धता कम है.
यूरोलॉजी स्पेशलिस्ट अनिल गोयल ने कहा कि एक गुर्दा भी पूरी जिंदगी के लिए काफी है, इसलिए लोगों को यह धारणा बदलनी होगी कि उनके एक गुर्दा दान करने से उन्हें आगे तकलीफ हो सकती है.
(इनपुट: IANS)
ये भी पढ़ें - कार्डियक अरेस्ट से कितना अलग है हार्ट अटैक, फर्क जानना जरूरी
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined