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PCOS से पीड़ित महिलाओं की संतान को ऑटिज्म का खतरा ज्यादा: रिपोर्ट

भारत में हर 5 में से 1 महिला PCOS से प्रभावित है.

आईएएनएस
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पीसीओएस से पीड़ित मां के बच्चे को ऑटिज्म की अधिक आशंका रहती है
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पीसीओएस से पीड़ित मां के बच्चे को ऑटिज्म की अधिक आशंका रहती है
(फोटो:iStock)

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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित महिलाओं के पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म विकसित होने की अधिक आशंका रहती है. एक नए अध्ययन के अनुसार, पीसीओएस उच्च टेस्टोस्टेरोन की वजह से होने वाला एक विकार है, जिसके परिणामस्वरूप समय से पहले युवावस्था, अनियमित माहवारी और शरीर पर अतिरिक्त बाल होने लगते हैं.

निष्कर्ष बताते हैं कि अगर मां में सामान्य से अधिक टेस्टोस्टेरोन होता है, जैसा कि पीसीओएस वाली महिलाओं के मामले में देखा जाता है, तो कुछ हार्मोन गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा को पार कर जाते हैं, जिससे भ्रूण का इस हार्मोन से अधिक संपर्क हो जाता है और बच्चे के मस्तिष्क का विकास बदल जाता है.

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से एड्रियाना चेरस्कोव ने बताया, "यह निष्कर्ष उस सिद्धांत को और मजबूत करता है, जिसमें बताया गया है कि ऑटिज्म न केवल जीनों के कारण होता है, बल्कि इसका टेस्टोस्टेरोन जैसे जन्मपूर्व सेक्स हार्मोन भी कारण हो सकते हैं."

ये अध्ययन Translational Psychiatry जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस स्टडी के लिए 8,588 ऐसी महिलाओं के डेटा एकत्र किए गए, जो पीसीओएस से पीड़ित थीं. जिसकी तुलना 41,127 महिलाओं के डेटा से की गई, जो पीसीओएस से पीड़ित नहीं थीं. इस अध्ययन में पाया गया कि PCOS पीड़ित महिलाओं के ऑटिस्टिक संतान होने की संभावना 2.3 फीसदी ज्यादा थी.

PCOS के कारण अन्य बीमारियों का खतरा

भारत में हर 5 में से 1 महिला पीसीओएस से प्रभावित होती है. हार्ट केयर फाउंडेशन इंडिया (HCFI) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया, "लड़कियों और महिलाओं के बीच पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके लिए सावधानी और सही इलाज की जरूरत होती है. सावधानी न बरतने पर पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, चिंता और अवसाद, स्लीप एप्निया, दिल का दौरा, डायबिटीज और एंडोमेट्रियल, डिम्बग्रंथि व स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

(फोटो: iStock)
आजकल, इस स्थिति के लिए एक अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न और बैठे रहने वाला जीवन प्रमुख जोखिम कारक बन गए हैं. पीसीओएस में इंसुलिन का स्तर भी सामान्य से अधिक स्तर तक बढ़ता है, जो वजन बढ़ने और अन्य दिक्कतों का कारण बन सकता है.
डॉ केके अग्रवाल

लक्षण

  • वजन बढ़ना
  • थकान
  • अवांछित बाल उगना
  • बाल पतले होना
  • बांझपन
  • मुंहासे
  • पैल्विक पेन
  • सिर दर्द
  • नींद की समस्याएं
  • मूड स्विंग
पीसीओएस ठीक नहीं हो सकता, लेकिन इसे शरीर का वजन पांच से 10 प्रतिशत तक कम कर और जीवनशैली में बदलाव लाकर मैनेज किया जा सकता है. साथ ही सक्रिय दिनचर्या बनाए रखना और स्वस्थ भोजन करना भी महत्वपूर्ण है. इससे मासिक धर्म चक्र नियमित रहने और ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलेगी. 
डॉ केके अग्रवाल

क्या करें?

(फोटो: iStock)
  • खाने में हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थों शामिल करें. जैसे- ब्रोकली, फूलगोभी, पालक
  • बादाम, अखरोट, ओमेगा और फैटी एसिड से भरपूर चीजें खाएं.
  • तीन बार अधिक भोजन करने की बजाए कम मात्रा में पांच खाना खाएं. इससे मेटाबॉलिज्म ठीक रहेगा.
  • वजन पर नियंत्रण रखें.
  • हफ्ते में 5 दिन रोज करीब आधे घंटे तक एक्सरसाइज करें.
  • योग और ध्यान के जरिए तनाव से बचें.
  • धूम्रपान से बचें और शराब न पीएं.

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Published: 07 Aug 2018,03:17 PM IST

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