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World Kidney Day: लाइफस्टाइल की किन आदतों से किडनी की बीमारी का रिस्क बढ़ता है?

किडनी की समस्या को नजरअंदाज करने से इलाज करना न सिर्फ मुश्किल होता है बल्कि इस कारण किडनी फेल भी हो सकती है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>World Kidney Day 2023: किडनी की बीमारी कब खतरनाक हो जाती है? एक्सपर्ट्स से जानें</p></div>
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World Kidney Day 2023: किडनी की बीमारी कब खतरनाक हो जाती है? एक्सपर्ट्स से जानें

(फोटो:iStock)

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World Kidney Day 2023: हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को दुनिया भर में वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है. गुर्दे इंसानों के शरीर के सबसे प्रमुख अंगों में से हैं, जो काफी महत्‍वपूर्ण काम करते हैं. किडनी शरीर में ब्‍लड को साफ रखते हैं और ब्लड फ्लो में मौजूद अधिक फ्लूड और वेस्‍ट को शरीर से बाहर निकालकर ब्‍लड का केमिकल बैलेन्‍स भी बनाए रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

क्या हैं किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षण? किडनी की बीमारी कब खतरनाक हो जाती है? लाइफस्टाइल की किन आदतों से किडनी की बीमारी का रिस्क बढ़ता है? इससे कैसे बचा जा सकता है? आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं किडनी से जुड़े सवालों के जवाब.

किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

"किडनी की बीमारी तब तक कोई लक्षण पैदा नहीं करती जब तक कि 50% किडनी खराब न हो जाए."
डॉ नितिन कुमार, कंसलटेंट, नेफ्रोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, पटियाला

कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं:

क्या हैं किडनी की बीमारी के कारण?

डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, सिस्टिक रोग, हेरिडिटरी किडनी समस्या और पथरी समेत कई रोग किडनी को प्रभावित कर सकते हैं.

किडनी की बीमारी कब खतरनाक हो जाती है?

जब किडनी की कार्य क्षमता 15% से कम हो जाए. ऐसा होने पर कई बार ये लक्षण दिख सकते हैं:

  • पेशाब कम होना 

  • शरीर में अधिक तरल पदार्थ के कारण सांस लेने में कठिनाई होना

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

"किडनी रोगों का जल्दी इलाज होना काफी महत्‍वपूर्ण होता है. दवाओं और सेहतमंद लाइफस्‍टाइल अपनाकर कारगर तरीके से इनका उपचार तथा प्रबंधन किया जा सकता है. बहुत से लोग तब तक डॉक्‍टरी सहायता लेना टालते रहते हैं जब तक कि रोग बढ़कर गंभीर नहीं हो जाता और तब इलाज करना न सिर्फ मुश्किल होता है बल्कि इस कारण किडनी फेल भी हो सकती है."
डॉ श्रीराम काबरा, डायरेक्‍टर एवं हेड, डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्‍लांट मेडिसिन, मैरिन्‍गो एशिया हॉस्‍पीटल, फरीदाबाद

जब भी किडनी रोग या किडनी संबंधी कोई समस्या बढ़ती है, तो आपका शरीर आपको इसकी चेतावनी कुछ प्रमुख लक्षणों के जरिए देता है, जैसे कि

  • ज्यादा या बेहद कम मात्रा में पेशाब आना

  • पेशाब में खून आना

  • पैरों और टखनों में सूजन

  • लगातार थकान रहना

  • पेशाब करने की आदतों में बदलाव

  • मितली आना और उल्टी आना

  • मांसपेशियों में क्रैम्प

  • भूख न लगना

  • सांस फूलना

"ऊपर बताए गए कारणों में से कोई भी समस्या हो तो जल्‍द से जल्‍द अपने डॉक्‍टर से मिलें. अगर आप डायबिटीज, हाई ब्‍लड प्रेशर, परिवार में किडनी रोगों के इतिहास या हृदय रोगों के इतिहास जैसे जोखिम कारकों से ग्रस्त हों तो भी डॉक्टर की सलाह लें. डॉक्टर आपकी किडनी हेल्थ की जांच के लिए नियमित रूप से किडनी फंक्‍शन टेस्ट और आपकी स्थिति देखकर लाइफस्‍टाइल संबंधी बदलावों की सलाह दे सकते हैं.
डॉ. श्याम बिहारी बंसल, डायरेक्टर, नेफ्रोलॉजी, किडनी और यूरोलॉजी इंस्टिट्यूट, मेदांता, गुरुग्राम
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लाइफस्टाइल की ये आदतें हैं किडनी की बीमारी का कारण

डॉ. श्याम बिहारी बंसल ने फिट हिंदी से कहा, "किडनी की बीमारियों के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी में पथरी, किडनी या हार्ट प्रॉब्लम की फैमिली हिस्ट्री, वृद्धावस्था, धूम्रपान, हृदय रोग शामिल हैं". लाइफस्टाइल की ये आदतें बढ़ाती हैं किडनी रोग का खतरा:

  • खराब खानपान (अधिक चीनी या नमक खाना)

  • पानी कम पीना

  • बिना डॉक्टर की सलाह के पेन किलर्स खाना

  • धूम्रपान

  • शराब का सेवन

  • प्रोसेस्ड फूड का सेवन

  • अधिक वजन होना

  • एक्सरसाइज नहीं करना

"किडनी को सेहतमंद रखने के लिए स्‍वस्‍थ लाइफस्‍टाइल का पालन करना बहुत महत्‍वपूर्ण है ताकि किडनी रोग, रीनल रोग या किडनी फेल होने जैसी शिकायतें पैदा न हों."
डॉ श्रीराम काबरा, डायरेक्‍टर एवं हेड, डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्‍लांट मेडिसिन, मैरिन्‍गो एशिया हॉस्‍पीटल, फरीदाबाद

किडनी की बीमारी से बचने के लिए लाइफस्टाइल में कौन- कौन से बदलाव लाएं?

गुर्दे (किडनी) के रोगों से खुद को बचाने के लिए कई तरह के बदलाव लाइफस्‍टाइल में लाए जा सकते हैं.

  • हर दिन पर्याप्‍त मात्रा (8-10 गिलास) में पानी पिएं. शरीर में पानी की सही मात्रा रहने से टॉक्सिन्‍स और वेस्‍ट को बाहर निकालना आसान होता है और किडनी (गुर्दे/गुर्दों) में पथरी की समस्या से भी बचाव होता है.

  • कम नमक, चीनी और सैचुरेटेड फैट वाला भोजन लें और जितनी जल्‍दी हो खानपान के सेहतमंद विकल्‍पों जैसे कि फलों, जूस, सब्जियों और साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें.

  • किडनी रोगों से बचाव के लिए लोगों को जितना हो सके प्रोसैस्‍ड और फास्‍ट फूड्स के सेवन से बचना चाहिए और पोषक तत्‍वों से भरपूर सेहतमंद भोजन करना चाहिए.

  • नियमित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें और हेल्थ चेक उप कराते रहें. अपने ब्‍लड शुगर, ब्‍लड प्रेशर की जांच करते रहें क्‍योंकि यह देखा गया है कि डायबिटीज (मधुमेह) और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़‍ित लोगों में गुर्दों के रोगों की आशंका अधिक होती है. इसलिए, नियमित रूप से हेल्थ चेकअप करवाते रहें, ऐसा कर आप अपनी किडनी की सेहत का ध्यान रख सकते हैं और शरीर में किडनी के रोगों के पैदा होने से बच सकते हैं.

  • सबसे जरूरी है नियमित रूप से शारीरिक व्‍यायाम करना और इसे अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना. साथ ही, अपना आदर्श वजन मेंटेन करें और ब्‍लड प्रेशर घटाने पर ध्‍यान दें तभी क्रोनिक किडनी रोगों से बचाव हो सकेगा.

कब किडनी की बीमारी खतरनाक हो जाती है?

डॉ श्रीराम काबरा फिट हिंदी से कहते हैं, "किडनी से जुड़ी किसी समस्‍या का इलाज नहीं किया जाता तो यह आगे चलकर गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बन सकती है. अस्वस्थ किडनी ब्लड फ्लो में से फ्लूड, इलैक्ट्रोलाइट और वेस्‍ट पदार्थों को फिल्‍टर करने में अक्षम होती है. ऐसे में वेस्ट पदार्थ शरीर में जमा होकर पैरों, टखनों, पंजों और हाथों में सूजन पैदा कर सकते हैं. इसकी वजह से सांस फूलने की समस्या भी हो सकती है. इलाज न कराने पर कई बार जीवनघाती परिस्थितियां भी पैदा हो सकती हैं".

किडनी पर्याप्त मात्रा में एरिथ्रोप्रोटीन (एक प्रकार का हार्मोन जो रेड ब्‍लड कोशिकाओं के उत्‍पादन में सहायक है) नहीं बना पातीं तो इसकी वजह से एनीमिया भी हो सकता है.

किडनी रोगों के कारण शरीर में कैल्शियम और फास्‍फोरस के स्‍तर को कंट्रोल करने में भी समस्‍या आती है, जो हड्डियों के रोगों का कारण बनता है और फ्रैक्‍चर के जोखिम को बढ़ाता है. इतना ही नहीं, यह शरीर के दूसरे भागों में भी कई समस्याओं को पैदा कर सकता है. खासतौर से हमारे दिल को प्रभावित कर कार्डियोवास्‍क्‍युलर रोगों का कारण बन सकता है. कई बार, कुछ गंभीर मामलों में लंबे समय से जारी किडनी रोगों के कारण किडनी फेल होने की समस्या भी खड़ी हो सकती है. ऐसा होने पर डायलसिस या किडनी ट्रांसप्‍लांट कराना जरूरी हो जाता है.

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