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आपको याद है कि आखिरी बार आपने कुछ लिखने के लिए पेन कब उठाया था?
फोन और लैपटॉप पर लगातार काम करने की सूरत में नोटबुक खरीदना, उसे लेकर चलना और फिर उसका यूज करना, ऐसा लगता है कि इसके लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी. क्या होगा अगर मैं आपको बताऊं कि लिखने की बजाए जो आप टाइपिंग करते हैं, उससे आप अपने दिमाग को उसके लिए जरूरी वर्कआउट से रोक रहे हैं. भले ही टाइपिंग करना पूरी तरह से एक सहज विकल्प हो.
इससे पहले की आप सर्च इंजन पर ‘हैंडराइटिंग और ब्रेन’ टाइप करें, मैं आपको इसके बारे में बता देती हूं.
लिखने के फायदों के बारे में किताबों में काफी कुछ मौजूद है. वास्तव में दुनिया के कुछ हिस्सों में बच्चों के लिए ‘कैसे लिखना है’ सीखने की जरूरत एक चर्चा का विषय बना हुआ है. इसे प्रमुखता से आगे लाने के लिए आक्रामक लॉबिंग के साथ ही आंदोलन चलाए जा रहे हैं.
पांच साल के बच्चों के बीच, 2012 की एक स्टडी में पाया गया कि अक्षर बोध के दौरान ब्रेन की सक्रियता हाथ से लिखने और टाइपिंग दोनों ही मामलों में अलग-अलग, लेकिन महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित होती है.
2014 की एक स्टडी में यह सामने आया कि लैपटॉप से नोट्स बनाने से सीखने की क्षमता प्रभावित होती है. ऐसा टाइपिंग के दौरान इंफोर्मेशन के सही तरीके से प्रोसेस नहीं होने के कारण होता है. इसके अलावा वैचारिक प्रश्नों के जवाब देने में हाथ से नोट्स बनाने वाले छात्रों की तुलना में लैपटॉप से नोट्स बनाने वाले छात्रों ने खराब प्रदर्शन किया.
इसी तरह, 2005 के एक रिसर्च पेपर में, रिसर्चर्स ने बच्चों में टाइपिंग और हाथ से लिखने की तुलना की. उन्होंने देखा कि हाथ से लिखने वाले बड़े बच्चों को अक्षरों को बेहतर तरीके से याद करने में मदद मिली.
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. फिट इस अच्छी तरह से रिसर्च किए गए मेकेनिज्म को समझने के लिए एक्सपर्ट के पास पहुंचा.
मैक्स हॉस्पिटल में मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ समीर मल्होत्रा ने बताया कि लोग जब लिखते हैं तो वे गंभीर रूप से सोचने में सक्षम होते हैं. बच्चा जैसे-जैसे पेंसिल को पकड़ना शुरू करता है, उसमें सीखने की क्षमता बेहतर तरीके से विकसित होती है.
पेन से कागज पर कुछ लिखते हैं तो उससे व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive abilities) बढ़ती है. इसके साथ ही यह पढ़ने की स्किल्स को भी बढ़ाता है.
एम्स दिल्ली में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ मंजरी त्रिपाठी लिखने की एक्टिविटी के दौरान 'डिफ्यूज ब्रेन एरिया' के बारे में बात करती हैं. इन एरिया के बीच स्विचिंग ब्रेन के लिए एक तरह से एक्सरसाइज है, जो इसे संज्ञानात्मक रूप से लचीला बनाने में मदद करती है.
इसके अलावा वो कहती हैं कि फोन पर लिखना ब्रेन के डेवलपमेंट के लिए कोई न्यूट्रिशनल वैल्यू नहीं देता है. खासकर इसकी तुलना अगर हाथ से लिखने से की जाए.
फोर्टिस हेल्थकेयर में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट की हेड डॉ कामना छिब्बर बताती हैं कि पर्याप्त रिसर्च से पता चलता है कि लिखना हमारे दिमाग के भीतर न्यूरल पाथवे को मजबूत बनाने का काम करता है. ये न्यूरल पाथवे शब्द की हमारी समझ के लिए जिम्मेदार होते हैं.
‘यही कारण है कि, जो बच्चे अभी भी पढ़ना सीख रहे हैं या जो एक लैंग्वेज सीखने की प्रक्रिया में हैं – उनके लिए पढ़ने के साथ-साथ हाथ से लिखना, सबसे अच्छा रिजल्ट देगा.’
इन सभी साक्ष्यों के साथ, हम जानते हैं कि हाथ से लिखने और ब्रेन हेल्थ के बीच एक सीधा संबंध है. तो अगली बार जब आप किसी मीटिंग के लिए जा रहे हों, तो कोशिश करें और अपने बैग में कहीं नोटपैड रखें. बजाए इसके कि आपके हाथ में पहले से मौजूद फोन हो. अपने ब्रेन के लिए ऐसा करें.
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