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प्रेग्नेंसी के दौरान किए जाने वाले योग को प्रेग्नेंसी योग कहा जाता है.
मां और उसके बच्चे के लिए योग की शारीरिक कसरत से ज्यादा मददगार कुछ ही चीजें हैं. यह प्रेग्नेंसी के विभिन्न चरणों में पेश आने वाली मुश्किलों को कम करने के लिए जाना जाता है और गर्भ में बच्चा होने के अनुभव को अधिक आनंदमय बनाने में भी मदद करता है.
गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा शरीर को रिलैक्स करने के लिए रिलैक्सिन नाम का हार्मोन छोड़ता है. यह कनेक्टिव टिश्यू को नरम करता है और गर्भाशय को फैलने का मौका देता है- इसके साथ ही ये मोच, खिंचाव और दूसरी चोटों के जोखिम को भी बढ़ाता है.
ऐसे में अपने शरीर का ज्ञान बहुत जरूरी है. इतना ही जरूरी है इसे लेकर उचित सावधानी बरतना. प्रेग्नेंसी ढेर सारी खुशियों और नई चुनौतियों का समय हो सकता है, लेकिन यह प्रयोग करने का समय नहीं है.
यहां हम बता रहे हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान योग करते समय आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.
प्रेग्नेंट महिला को दूसरी तिमाही के बाद, पीठ के बल लेट कर योग करने से बचना चाहिए.
पीठ के बल लेटने से वीन कावा दब सकती है- वीन कावा वह शिरा (नस) है, जो रक्त को शरीर के निचले हिस्से से हार्ट तक ले जाती है. यह संचरण प्रणाली में दिक्कत कर सकता है- जिसके नतीजे में चक्कर आ सकते हैं.
चुस्त योग ड्रेस से बचें, जो असुविधा का कारण बन सकती है और शारीरिक विकास में रुकावट डाल सकती है. (याद रखें, कि प्रेग्नेंसी के दौरान, पेट के साथ ही शरीर के कई हिस्से एक साथ बढ़ रहे होते हैं).
इसके अलावा, योग के दौरान मोजे पहनने से बचें. ये जमीन पर आपके पैर की पकड़ को कम कर सकता है, जिसके नतीजे में गिरने की आशंका बढ़ जाती है.
दूसरी तिमाही के बाद प्रेग्नेंट महिला के शरीर का गुरुत्वाकर्षण केंद्र बदलना शुरू हो जाता है- जो प्रसव के समय तक जारी रहता है. महिला को इसी के अनुसार कसरत को समायोजित करने की जरूरत होती है.
प्रॉप्स का उपयोग गर्भ योग को आसान और असरदार बनाता है. हालांकि, प्रॉप्स का गलत इस्तेमाल घातक हो सकता है. इन बिंदुओं को ध्यान में रखें:
ट्विस्टिंग एक अच्छी कसरत है, लेकिन इसे सावधानी से करने की जरूरत है. स्पाइनल ट्विस्टिंग करते समय, ध्यान रखें कि कमर को थोड़ा ही पीछे की ओर धकेला जाए. बहुत ज्यादा पीछे घूमने से बचें.
कसरत को आसान बनाने के लिए दुपट्टे या मजबूत रिबन जैसे प्रॉप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है.
कसरत के दौरान, आपके शरीर द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों को सुनते रहें. ध्यान रखें कि जब आपका मन आपको रुकने के लिए कहे, तो आप किसी भी सीमा से आगे ना जाएं.
गर्भावस्था का समय प्रयोग करने का नहीं है. जो चीज आपके लिए नई है, उससे बचना सबसे अच्छा है. इसी तरह, शरीर को उल्टा करने के आसन जैसे कि शीर्षासन, वृश्चिकासन करना खतरनाक है और इससे पूरी तरह बचना चाहिए.
चूंकि इस अवधि में कनेक्टिव टिश्यू ढीले हो रहे होते हैं, इसलिए किसी भी चीज की अति से बचें. पेट पर जोर डालने वाले आसन सख्ती से मना हैं- जैसे कि, धनुरासन, भुजंगासन, वगैरह.
प्राणायाम, योगनिद्रा और मेडिटेशन शांत प्रभाव पैदा करते हैं. वे पिट्यूटरी ग्लैंड से एंडोर्फिन के रिसाव को आसान बनाते हैं- जो बदले में बच्चे और मां के सामान्य स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है.
बिना रिलैक्सेशन एक्सरसाइज का योग सेशन अधूरा है.
गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की जंपिंग मां और बच्चे दोनों के लिए खतरे का बुलावा है. इस तरह के साहसिक प्रयास कतई न करें.
आप किस हद तक झुक सकती हैं, ये गर्भावस्था के चरण पर निर्भर करता है. नीचे की ओर पूरा झुकने और पीछे की ओर पूरा झुकने से बचें.
आगे झुकते समय, पक्का करें कि आपकी ठुड्डी ऊपर की तरफ हो. इससे पीठ पर दबाव कम होगा.
पैरों की एड़ी को उठाने से बचें (तीसरी तिमाही के दौरान).
लेटे होने या बैठे होने की अवस्था में, पैर की उंगलियों को सीधा करने से बचें क्योंकि इससे पैर में ऐंठन हो सकती है.
अंतिम तिमाही के दौरान टखनों में मोच आने की आशंका अधिक होती है. कसरत के दौरान हमेशा एंकल पैड पहनें.
ध्यान रहे कि कैट और डॉग पोज के दौरान घुटने पेल्विक की सीध में ना हों- बल्कि इससे पीछे हों. प्रैक्टिशनर दबाव को कम करने के लिए घुटनों के नीचे कंबल या कुशन रख सकता है.
(योगगुरु नेहा होलिस्टिक हेल्थकेयर फाउंडेशन सोसाइटी की संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. वह एक प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ हैं और 13 वर्षों से योग सिखा रही हैं. उनसे theyogaguru.com और www.tygyoga.com के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है.)
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Published: 20 Jun 2019,10:28 AM IST