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हो सकता है कि 168 रन के लक्ष्य ने चेन्नई सुपर किंग्स को (CSK ) को जरूरत से ज्यादा निश्चिंत कर दिया हो, हो सकता है कि पिछले मैच में 10 विकेट से जीत का गुरुर अब भी उन पर हावी था, लेकिन 20 ओवर वाले चेज में अगर आप 41 गेंद (लगभग 7 ओवर) पर रन नहीं बनाएंगे, तो मैच जीतने में मुश्किल तो होगी ही. चाहे आप फिर कप्तान धोनी हों या फिर आपकी टीम आखरी ओवर में 16 रन भी क्यों ना जुटा ले. कोलकाता के हाथों 10 रन की हार नजदीकी मुकाबले की कहानी कहे, लेकिन हकीकत में मैच शेन वॉटसन के आउट होते ही खत्म हो गया था.
कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम चेन्नई सुपर किंग्स मैच की शुरुआत ही एक अजीब फैसले से हुई. केकेआर (KKR) ने पिछले 69 मैचों में टॉस जीतकर कभी बल्लेबाजी का फैसला नहीं किया था. लेकिन 5 साल बाद शाहरुख खान की टीम ने ये फैसला किया, तो उनकी जीत पर ताली बजाने के लिए खुद मालिक स्टेडियम में बैठे थे, जिस मैच में एक दर्शक नहीं पहुंचा है.
अगर कोलकाता ने पहले 10 ओवर में सिर्फ 2 विकेट खोकर 97 रन बनाए, तो चेन्नई ने केवल 1 विकेट के नुकसान पर 90 रन जुटा लिए थे. तुलनात्मक आंकड़ों के लिहाज से तो मैच बराबरी पर चल रहा था लेकिन अगर सिर्फ 165 रन के लक्ष्य का पीछा के तौर पर देखें तो चेन्नई एकदम जीत के लिए आसानी से कदम आगे बढ़ा रहा था.
अगर दिनेश कार्तिक ने अपनी कप्तानी से हर किसी को अपना लोहा मनवाया, तो धोनी के फैसलों ने कई सवाल खड़े किए. कार्तिक ने अपने नंबर 1 तेज गेंदबाज पैट कमिंस के चारों ओवर 11वें ओवर तक ही खत्म करा डाले, तो धोनी ने बल्लेबाजी क्रम में बुरे फॉर्म में चल रहे केदार जाधव को रविंद्र जडेजा, ड्वेन ब्रावो और यहां तक कि शार्दुल ठाकुर से ऊपर बल्लेबाजी करने के लिए भेज दिया. कार्तिक ने सुनील नरेन (12, 14, 16 और 19 वें ओवर में गेंदबाजी करवायी) और आंद्रे रसैल (सिर्फ 18वें और 20वें ओवर में आए) का इस्तेमाल जहां तुरुप के इक्के की तरह किया, तो धोनी इस मैच में टॉप ऑर्डर में बैटिंग करने आ गए लेकिन 12 गेंद में 11 रन बनाते-बनाते दम फूलने लगा.
राहुल त्रिपाठी को छोड़ दिया जाए तो कोलकाता के लिए कोई भी बल्लेबाज 17 रनों का आंकड़ा पार नहीं कर पाया. जितने छक्के चेन्नई ने अपनी पूरी पारी में लगाए उतने (3) तो राहुल ने अकेले अपनी 81 रन की पारी में लगा दिए. चौके (8) लगाने के मामले में तो राहुल ने अपने सारे साथियों को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने पूरी पारी में मिलकर सिर्फ 6 चौके लगाए थे.
बल्लेबाज धोनी का सम्मान कैसे घट रहा है और महान खिलाड़ी के तौर पर उनका सम्मान पहले से भी बढ़ कैसे रहा है, वो दोनों बातें आपको एक ही मैच के दौरान एक ही खिलाड़ी के दो अलग अलग अंदाज में देखने को मिली. कोलकाता के स्पिनर वरुन चक्रवर्ती ने धोनी को आउट करने के बाद ना तो विकेट का जश्न मनाया और ना ही उनकी तरफ देखा. पीठ पीछे करके बस ऐसे मुड़े कि इसमें कौन सी बड़ी बात थी! लेकिन, जब मैच खत्म हुआ तो यही वरुण धोनी के साथ फोटो खिंचाने के लिए उनसे गुजारिश करते दिखाई दिए. धोनी ने भी अपने इस फैन को मायूस नहीं किया जिसने कुछ ही मिनट पहले उन्हें आउट किया था.
(लेखक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं, जिनके पास 20 साल से अधिक समय तक क्रिकेट को कवर करने का अनुभव है. वे सचिन तेंदुलकर के जीवन और करियर से जुड़ी पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ के लेखक हैं.)
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