Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Jobs Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Unemployment:भारत के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 8%, क्या वजह,कहां परेशानी?

Unemployment:भारत के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 8%, क्या वजह,कहां परेशानी?

Unemployment Data: जून महीने के दौरान 13 मिलियन लोगों ने नौकरी खो दी जबकि मई के आंकड़े बेहतर

क्विंट हिंदी
जॉब्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Unemployment:भारत के ग्रामीण इलाकों में  बेरोजगारी दर 8%, क्या वजह कहां परेशानी?</p></div>
i

Unemployment:भारत के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 8%, क्या वजह कहां परेशानी?

फोटो- क्विंट हिंदी

advertisement

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि देश की बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) जून में बढ़कर 7.8 फीसदी हो गई है, जो पिछले महीने में 7.1% थी, क्योंकि ग्रामीण बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03% हो गई है. सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने कहा कि ग्रामीण बेरोजगारी में तेजी "अस्थायी" है. बेरोजगारी दर 7% से 8% के बीच है. जून में ग्रामीण बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई लेकिन शहरी बेरोजगारी दर में वृद्धि नहीं हुई.

जून 2022 के भारत के लेबर से जुड़े आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं. 13 मिलियन लोगों ने नौकरी खो दी है. इस बार मई में रोजगार का आंकड़ा 404 मिलियन से घटकर 390 मिलियन हो गया है. देश में जब लॉकडाउन भी नहीं लगा है उस दौरान रोजगार में यह सबसे बड़ी गिरावट है.

वहीं अप्रैल और मई 2022 के दौरान रोजगार में 8 मिलियन की वृद्धि हुई थी. लेकिन मई में रोजगार में हुई बड़ी गिरावट ने इस अप्रैल में हुए फायदा को मिटा दिया है. जून में रोजगार पिछले 12 महीने यानी जुलाई 2021 के बाद से सबसे कम है.

जून में दौरान लेबर मार्केट सिकुड़ गया जबकि 13 मिलियन लोगों की नौकरियां चली गई. बेरोजगारों की संख्या में केवल तीन मिलियन यानि 30 लाख की वृद्धि हुई है बाकी तो लेबर मार्केट से ही बाहर हो गए. इसके चलते जून 2022 में लेबर फोर्स एक करोड़ से कम हो गया.

जून 2022 में रोजगार दर गिरकर 35.8 फीसदी पर आ गई. यह दो साल में इसका सबसे निचला स्तर है. इस बार ज्यादा बुरे हालात ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ गए हैं वो भी इनफॉर्मल सेक्टर में.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

रोजगार के संबंध में ग्रामीण इलाकों के हालात बुरे क्यों?

जून में रोजगार में गिरावट इसलिए हुई होगी क्योंकि बड़े पैमाने पर लेबर्स ने माइग्रेट (विस्थापना) किया हो, ऐसा हो सकता है कि ये कोई बड़ी आर्थिक अस्वस्थता का कारण न हो. CMIE के आंकड़ों के अनुसार जून में जहां कुल रोजगार में 13 मिलियन की गिरावट आई, वहीं शहरों में इसमें 0.1 मिलियन की वृद्धि भी हुई है. इसका मतलब यह हुआ कि भारी गिरावट पूरी तरह से ग्रामीण इलाकों में हुई.

मई में ग्रामीण भारत में लेबर पार्टिसिपेशन दर 41.3 प्रतिशत से गिरकर जून में 39.9 प्रतिशत हो गई. 1.4 प्रतिशत अंक की यह गिरावट शहरों में लेबर पार्टिसिपेशन से ज्यादा है, शहरों में 0.4 प्रतिशत अंक की गिरावट हुई है, यहां 37.1 प्रतिशत से गिरकर 36.7 प्रतिशत हो गई है.

लेबर पार्टिसिपेशन को आसान भाषा में यूं समझें कि इसका मतलब कितने लोग सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. लेबर पार्टिसिपेशन में गिरावट का मतलब लोगों की नौकरी चली गई है या उन्होंने छोड़ी है.

जून में ग्रामीण भारत में बेरोजगारी दर 1.4 प्रतिशत बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई. हालांकि, कस्बों और शहरों में बेरोजगारी दर 0.9 प्रतिशत घटकर 7.3 प्रतिशत पर आ गई, जो कि 16 महीनों में भारत में सबसे कम बेरोजगारी दर है.

CMIE के एमडी महेश व्यास ने बताया कि, बारिश सामान्य से 32% कम दर्ज की गई है, इसी वजह से लेबर खेतों तक नहीं पहुंचे क्योंकि उनकी जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने कहा, आने वाले हफ्तों में मानसून के तेज होने से श्रमिकों की भागीदारी में सुधार हो सकता है.

उन्होंने बताया कि, कृषि क्षेत्र में जून में लगभग 8 मिलियन नौकरियों में कमी आई, जो ज्यादातर वृक्षारोपण से जुड़ी थीं. हालांकि, फसल की खेती ने 4 मिलियन नौकरियों को जोड़ा, जो 2020 और 2021 में इसी अवधि की तुलना में कम है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 05 Jul 2022,03:31 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT