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फिल्मों, धारावाहिकों से लेकर ऑफिस, कॉलेज-स्कूल के अड्डों पर आपने 'पहली नजर के प्यार' वाले किस्से खूब सुने होंगे. अगर, गलती से नहीं सुना तो शाहरुख खान की ''कुछ-कुछ होता है'' का वो सीन तो याद ही होगा, जब रानी मुखर्जी की फ्रेम में एंट्री होती है, हवाएं बह रही होती हैं और रानी मुखर्जी, शाहरुख-काजोल के बीच में 'हे हे हे हे...ये' म्यूजिक के साथ एंट्री मारती हैं और पहली नजर का प्यार हो जाता है.
वैसे इस 'कठिन प्यार की आसान परिभाषा' को समझना इतना भी आसान नहीं है. 'पहली नजर के प्यार' के बाद अरिजीत सिंह के 'चन्ना मेरेया, ये दिल है मुश्किल' सुनने वालों की भी कमी नहीं है. ऐसे आशिकों की जनता अब उन रिसर्चर्स को माफ नहीं करेंगे. जिन्होंने बताया है कि पहली नजर का प्यार, कोई इंटेंस वाला, देवदास-पारो वाला प्यार नहीं होता, बल्कि वासना की 'ललक' होती है.
नीदरलैंड की एक यूनिवर्सिटी ने 'पहली नजर का प्यार' यानी Love At First Sight पर रिसर्च किया है (घबराइए मत दुनिया के पास बहुत टाइम है, ऐसे रिसर्च होते रहते हैं). इस रिसर्च के बाद दावा किया गया है कि जिसे हम 'पहली नजर का प्यार' मानते हैं वो सिर्फ एक फिजिकल अट्रैक्शन होता है.
भाई मामला जब दुनिया के तमाम आशिकों का था, तो रिसर्चर्स ने भी अपनी तरफ से खूब सतर्कता बरती. अपने दावे को और पुख्ता करने के लिए रिसर्चर्स ने बाकायदा स्पीड डेटिंग कराई और फिर उनसे पोटेंशियल पार्टनर्स के बारे में फिलिंग पूछी. 32 प्रतिभागियों ने 49 बार Love At First Sight का एक्सपीरियंस शेयर किया. फिर नतीजों में बताया कि इन सारी टेस्टिंग, फाइंडिंग से ये लगता है कि पहली नजर का प्यार एकदम पैशन वाला प्यार नहीं होता.
इस रिसर्च से और कुछ हुआ या नहीं. उन तमाम आशिकों का दिल जरूर टूट गया है जो सड़क पर, बस अड्डे पर, स्कूल-कॉलेज, ऑफिस में पहली नजर में ही दिल दे बैठते हैं.
लेकिन हां, ये भी पता है कि वो 'डर' वाले शाहरूख खान नहीं हैं. रांझणा के धनुष हैं जिन्हें प्यार भी होता है, उसके लिए सब कुर्बान भी कर देते हैं. और अंत में नतीजा सबको पता है...
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