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दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे. एक ने कहा हमारे घर में 2000 साल पहले भी टेलीफोन था, दूसरे ने पूछा क्या सबूत है तुम्हारे पास, उसने कहा खुदाई में एक बहुत पुराना तार मिला था. दूसरे दोस्त ने कहा हमारे घर में तो 2000 साल पहले भी मोबाइल फोन था, क्योंकि खुदाई में कुछ नहीं मिला था.
बिप्लब देब का तर्क है कि अगर इंटरनेट नहीं रहा होता तो हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र को संजय युद्ध का आंखो देखा हाल कैसे सुना पाते?
किसी को शंका संदेह ना रहे इसलिए त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने भी अपने मुख्यमंत्री की बातों पर पक्की मुहर लगा दी है.
अब दो दो शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोग जब कह रहे हैं तो इस पर सवाल उठाने का मतलब ही नहीं.
त्रिपुरा के युवा सीएम जो खुलासा कर रहे हैं उसमें संदेह नहीं होना चाहिए. ये बातें पक्के तौर पर रही होंगी क्योंकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी दो दिन पहले कहा है कि वो प्राचीन गुरुकुल सिस्टम को दोबारा शुरु करना चाहते हैं.
काफी कोशिश के बाद हमें वो रिसर्च पेपर मिल गया है. इसमें कई हैरान करने वाली बातें मिली हैं. पता चला है कि कौरव पांडवों के गुरुकुल के संचालक आचार्य द्रोणाचार्य उन दिनों इंटरनेट के जरिए पढ़ाई करवाया करते थे.
द्रोणाचार्य का गुरुकुल हस्तिनापुर के करीब था जिसमें कौरवों और पांडव राजकुमारों ने एडमिशन ले रखा था. एकलव्य भी उनसे शिक्षा लेना चाहता था लेकिन हस्तिनापुर काफी दूर था.
इस बात का यकीन है कि जल्द ही इस बात का खुलासा भी हो जाएगा कि महाभारत के वक्त चूंकि इंटरनेट था तो डिजिटल ट्रांजैक्शन भी बड़े पैमाने पर होता था. इसलिए अभी जो डिजिटल ट्रांजैक्शन पर जोर दिया जा रहा है उसमें कुछ भी अनोखा नहीं है सब पुराने जमाने का है.
बिप्लब देव ने कहा इंटरनेट ही नहीं सैटेलाइट टेक्नोलॉजी भी उस वक्त मौजूद थी. मतलब इसरो को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए कोई दिक्कत नहीं करनी पड़ी. बल्कि हो सकता है कि भारत की ही टेक्नोलॉजी की वजह से नासा चल रही हो, इसलिए भारत उससे अरबों डॉलर की रॉयल्टी की मांग भी कर सकता है.
ब्रिटेन तो इस बात की जांच भी करा सकता है कि भारत में 100 साल राज करने के बाद भी उन्हें ये बात क्यों पता नहीं चली.
कहा जाता है जब नए आविष्कार होते हैं, नए सिद्धांत बनते हैं, वैज्ञानिक खोज होती हैं तो बने बनाए ढर्रे टूटते हैं. हम अपनी जड़ों की तरफ लौट रहे हैं.
इस रास्ते पर चल निकले तो तय है कि दूसरे देश लाइन लगाकर भारत से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का अनुरोध करेंगे और हम उन्हें ज्ञान बांटेंगे.
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Published: 18 Apr 2018,08:08 PM IST