Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Khullam khulla  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Satire Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019‘आधार’ न होने के भी अपने फायदे हैं, मैरिड से सिंगल होना हुआ आसान!

‘आधार’ न होने के भी अपने फायदे हैं, मैरिड से सिंगल होना हुआ आसान!

केमिस्‍ट ने कह दिया कि वह बिना आधार वेरिफिकेशन वो चीज नहीं दे सकता, जो रात के वक्‍त वो मांग रहा था.

अमरेश सौरभ
भूतझोलकिया
Updated:
<b>आधार</b> को लेकर भारी कन्‍फ्यूजन है. कहां-कहां दिक्‍कत है, जरा विस्‍तार से समझ लीजिए
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आधार को लेकर भारी कन्‍फ्यूजन है. कहां-कहां दिक्‍कत है, जरा विस्‍तार से समझ लीजिए
(फोटो: The Quint)

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आजकल जिधर देखिए, उधर ही आधार का शोर है. केंद्र बार-बार अदालत में अपना आधार रख रहा है. परेशान पब्‍ल‍िक उसे निराधार करार दे रही है.

मुश्किलें और भी हैं. जिनका आधार बन गया है, वे भी उसे जहां-तहां लिंक कराते फिर रहे हैं. लेकिन ठीक-ठीक किसी को नहीं मालूम कि आधार कहां लिंक कराना है, कहां नहीं. मांगने वाले भी बिना विचारे मांग ले रहे हैं. भारी कन्‍फ्यूजन है. कहां-कहां दिक्‍कत है, जरा विस्‍तार से समझ लीजिए.

शादीशुदा के कुंवारे होने का डर (या खुशी!)

गपोड़ियों ने कहीं से ये खबर उड़ा दी है कि 31 दिसंबर सिर्फ साल ही नहीं, कई रिश्‍ते का भी अंत लेकर आएगा. अगर उस तारीख तक मैरिज सर्टिफिकेट को आधार से लिंक नहीं कराया, तो सरकार उस शख्‍स को अनमैरिड मानेगी. ऐसे में जिनकी शादी एक बार ही बमुश्किल हो पाई है, वो परेशान घूम रहे हैं.

इसका एक दूसरा पहलू भी है. जब से ये खबर आई है, तब से आधार की आड़ लेकर कई लोग बीवी के सामने सरकार को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर, 'बेटा! मन में लड्डू फूटा'.

हवाई सफर और आधार

वैसे तो हवाई सफर करवाने वाली कंपनियां सर्दियों में ज्‍यादा चौकस रहती हैं. फॉग और स्‍मॉग ज्‍यादा बढ़ने पर फ्लाइट ही कैंसिल कर दी जाती है. लेकिन इस बार कंपनियां बेफिक्र हैं और पैसेंजर फिक्रमंद. सफर के दौरान जरूरी एहतियात नहीं बरती जा रही.

एयर होस्‍टेस मुस्‍कुराते हुए कहती है, 'जिन-जिन पैसेंजर का आधार नहीं है, कृपया अपनी-अपनी सीट बेल्‍ट जरूर बांध लें. जिन्‍होंने अपने टिकट को पहले ही आधार से लिंक करा लिया है, उन्‍हें सीट बेल्‍ट बांधने की कोई जरूरत नहीं है.'

बिना सीट बेल्‍ट बांधे सफर का मजा ही अलग है(सांकेतिक फोटो: ट्विटर)

भारत-पाक मैच में खलल

डर है कि अब कहीं खेल के आधार पर भी आघात न हो जाए. आने वाले दिनों में भारत-पाक के बीच टेलीकास्‍ट होने वाले हर मैच को केवल वैसे ही पति देख पाएंगे, जिनका आधार डिजिटल गैस स्‍टोव से लिंक होगा.

खाना बनने के बाद ही स्‍टोव पर नंबर एपियर होगा. हर नए मैच के लिए नया नंबर. ऐसा नहीं चलेगा कि पति ड्राइंग रूम में और पत्‍नी रसोई में.

गोलगप्‍पा वाला एक्‍स्‍ट्रा तभी देगा जब...

गोलगप्‍पा का नाम सुनते ही जिनके मुंह में पानी आ जाता हो, वे तो वक्‍त रहते अलर्ट हो जाएं. बात केवल 30 रुपये देकर गोलगप्‍पा खाने भर की नहीं है. इसे बेचने वाले भइया लास्‍ट में एक्‍स्‍ट्रा सूखी पपड़ी या खट्टा-तीखा पानी तभी देंगे, जब आधार हो. आधार नहीं, तो पानी नहीं.

मजे की बात ये कि महिलाएं उसे भैया या भैयाजी भी नहीं कह पाएंगी. अगर भैया कहने का इतना ही शौक है, तो पहले उसे आधार दिखाइए.

सुना है कि पान की दुकान पर भी जर्दे या फ्लेवर्ड पान मसाले के लिए आधार जरूरी होने वाला है. भई, कल किसने देखा है.

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मेडिकल स्‍टोर पर भी दिक्‍कत

मेरे एक जानने वाले ने आधार को लेकर जो समस्‍या बनाई, वो खुलकर बताने लायक नहीं है. रात के वक्‍त मेडिकल स्‍टोर पर कुछ खरीदने गए थे. केमिस्‍ट ने कह दिया कि वह बिना आधार वेरिफिकेशन के सिर्फ जीवनरक्षक दवाएं ही दे सकता है. हाजमोला जैसे पाचक चूरन के लिए भी कोई शर्त नहीं है.

और वो जनाब मेडिकल स्‍टोर पर जो खरीदने गए थे, उसके लिए वैसा आधार मांगा जा रहा था, जिससे बीवी का मोबाइल लिंक हो. वेरिफिकेशन होता, तो सीधे बीवी के मोबाइल पर OTP जाता. आगे क्‍या हुआ होगा, बस अंदाजा लगाइए.
कंडोम के एड में बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोन (फोटो:Twitter)

विरोध दर्ज कराने वालों के लिए

आजकल विरोध करने का ट्रेंड चल पड़ा है. विरोध के समर्थन में विरोध. समर्थन देने के लिए भी विरोध प्रदर्शन. अब ज्‍यादा दिन तक ऐसा नहीं चलेगा. चाहे सड़क पर हो या फेसबुक पर, किसी भी तरह के विरोध में शिरकत करने से पहले नजदीकी थाने से आधार लिंक कराना होगा.

अगर विरोध बेअसर रहा, तब तो सब ठीक. अगर असरदार रहा, तो हेलमेट सिर पर रखने में क्‍या जाता है. कुछ न कुछ बचाव तो होगा ही.

कलयुग और आधार का लोचा

कलयुग के कई ज्ञानी आधार को सीधे तुलसीदास के ज्ञानचक्षु से लिंक करके देख रहे हैं. कहते हैं कि तुलसीदास जी ने पहले ही ये भविष्‍यवाणी कर दी थी कि आने वाले वक्‍त में हर किसी के नाम को आधार की जरूरत होगी. ऐसे लोग उनका लिखा सबूत भी दे रहे हैं, ''कलयुग केवल नाम अधारा''

खैर, तुलसी की बात तो तुलसी ही जानें. हम तो झट से किसी के शेर की टांग तोड़ेंगे और कह देंगे:

''गम और भी हैं जमाने में आधार लिंकिंग के सिवा

हमसे वक्‍त-बेवक्‍त आईडी प्रूफ न मांग मेरे महबूब''

(डिस्‍क्‍लेमर: आधार से जुड़ी निराधार बातों पर बिना किसी आधार के भरोसा न करें. ऊपर के नमूने केवल आपकी मुस्‍कुराहट को आधार देने के लिए हैं)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 08 Dec 2017,06:46 PM IST

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