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आमतौर पर लोगों को खबरें जानने की उत्सुकता आम होती है. आंख खुलते ही स्मार्टफोन पर आए न्यूज ऐप वाली नोटिफिकेशंस पर नजर जाती है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ खबरें आपके सामने कुछ इस तरह आती हैं कि आप उनकी प्रामाणिकता पर प्रश्न चिह्न लगा ही नहीं पाते.
साल 2016 में भी ऐसी ही कुछ खबरें सामने आईं -
जून 2016 में ये खबर रातों-रात चर्चा का विषय बन गई और सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई. खबर ये थी कि UNESCO ने नरेंद्र मोदी को बेस्ट प्रधानमंत्री चुना है. लोगों ने अासानी से इस झूठी खबर पर यकीन कर लिया.
सोशल मीडिया की तरफ से एक और झूठी अफवाह ने लोगों में खुशी की लहर दौड़ा दी कि UNESCO की तरफ से ‘जन गण मन’ को पूरी दुनिया में बेस्ट नेशनल एंथम चुना गया है.
इस फेक न्यूज की शुरूआत 2008 में हुई थी जिसे यूएन के नोटिस में लाया गया. इसके बाद UNESCO ने सफाई दी गई थी कि उनकी तरफ से कोई भी घोषणा ‘जन गण मन’ को लेकर नहीं की गई है.
भारत सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को 1000 और 500 रुपये के नोट बंद कर दिए थे. इसके बाद 2000 रुपये के नए नोट में जीपीएस चिप होने की अफवाह पूरे देश में आग की तरह फैल गई.
ये कहा जा रहा था कि काले धन को पकड़ने के लिए 2000 के नए नोट में नैनो जीपीएस चिप लगाई गई है जो सेटेलाइट सिग्नल के जरिए काले धन को पकड़ने में मदद करेगी. आरबीआई ने इसे महज अफवाह बताया था.
नोटबंदी की मार झेल रहे लोगों के सिर पर पहाड़ तब टूट पड़ा जब सोशल मीडिया पर ये खबर फैली कि नमक की कमी के चलते नमक 400 रूपये किलो के हिसाब से बिक रहा है. इसके बाद लोगों ने आनन-फानन में नकम खरीदना शुरु कर दिया. कई शहरों में तो नमक को लेकर लोगों के बीच हाथापाई तक हुई .
इस खबर ने भी खूब तूल पकड़ा था कि दिल्ली के कमिश्नर द्वारा सभी माताओं और बहनों से ये अनुरोध किया गया है कि वह अपनी WhatsApp प्रोफाइल से अपनी फोटो को तुरंत हटा दें. इसके के पिछे तर्क ये दिया जा रहा था कि प्रोफाइल फोटो आतंकी गतिविधियों के लिए आईएसआईएस द्वारा इस्तेमाल की जा रहीं हैं.
अगर आपने भी ऐसी ही किसी खबर पर यकीन किया हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं.
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