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इंटरनेट ऐसी जगह है जहां कई बार लोग करने कुछ और निकलते हैं और हो कुछ और जाता है. मशहूर लेखक चेतन भगत के साथ ऐसा ही हुआ. सोशल मीडिया में अक्सर उनपर निशाना साधा जाता है. बात ये है कि उन्हें आप पसंद करें या नापसंद लेकिन आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते!
मंगलवार को ट्विटर पर चेतन भगत के एक ट्वीट ने उन्हें खरी-खरी सुनवा दी. चेतन साहब एक ट्विटर पोल कर रहे थे.
दरअसल, ट्वीट में उन्होंने शब्द ही ऐसे इस्तेमाल किए थे.
समझ से बाहर है कि ये ‘लेस डेमोक्रेसी’ और ‘मोर डेमोक्रेसी’ का काॅन्सेप्ट वो कहां से लेकर आए. डेमोक्रेसी आखिर डेमोक्रेसी है. लोकतंत्र कम या ज्यादा मात्रा में मापा कैसे जा सकता है? इसके पैरामीटर्स तो चेतन भगत ही बता सकते हैं!
खैर उनके इस अजीब से ओपिनियन पोल के रिजल्ट में 55% लोगों ने मोदी के पक्ष में वोटिंग की.
चेतन इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने दूसरा पोल भी शुरु किया.
उनका दूसरा ट्वीट था-
ये सवाल भी ऐसे उन्होंने पूछा कि न हां करते बन सकता है न ना करते! अब भला भ्रष्टाचार का समर्थन कौन करेगा. पर उसके लिए इमरजेंसी का समर्थन करना तो मुश्किल है.
सरकार कुछअच्छा करे उसके लिए जनता को इमरजेंसी का कष्ट उठाना पड़ेगा क्या?
57% लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ इमरजेंसी के सपोर्ट में भी आ गए.
हालांकि बाद में चेतन ने ये कहा कि ये ट्वीट उनके ओपिनियन नहीं है बल्कि वो अपने एक काॅलम के लिए रिसर्च करना चाह रहे थे इसलिए उन्होंने ये ओपिनियन पोल किया. उन्होंने कहा कि वो खुद रिजल्ट से चौंक गए हैं.
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