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असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी हो चुकी है. फाइनल लिस्ट में शामिल करने के लिए 3,11,21,004 लोगों को एलिजिबल पाया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों के नाम लिस्ट में शामिल नहीं हुए हैं. जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं, उन्हें फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने के लिए 120 दिनों यानी (दिसंबर 2019 के आखिर तक) का वक्त दिया गया है.
इसके बावजूद, ट्विटर पर यूजर्स लिस्ट में शामिल नहीं हुए लोगों के प्रति चिंता जाहिर कर रहे हैं. ट्विटर पर कई लोग चिंता जाहिर करते हुए पूछ रहे हैं कि लिस्ट शामिल नहीं किए गए लोग अब कहां जाएंगे.
एक यूजर ने लिखा, "उन लोगों के बारे में सोचकर दुख होता है, जिनका नाम अंतिम NRC लिस्ट में नहीं है. ये लोग कहां जाएंगे !!"
एनआरसी की लिस्ट जारी होने के बाद ट्विटर पर 'NRCassam' और 'FinalNRCList' जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. यूजर्स अलग-अलग टिप्पणियां दे रहे हैं. कुछ सरकार के काम की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ आंकड़ों पर चिंता जाहिर कर रहे हैं.
असम में एआईयूडीएफ (AIUDF) के विधायक अनंत कुमार मालो भी एनआरसी लिस्ट से बाहर हो गए हैं. वह अभयपुरी दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं.
एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, "आज 19,06,657 लोग राजनीति के कारण भारत में अपने नागरिकता के अधिकारों से जबरदस्ती वंचित हो गए! ये लोग जेल में होंगे। 😥 क्या यह नरसंहार या जातीय सफाई नहीं है? मुझे विश्वास है कि मोदी विफल होंगे."
असम बीजेपी ने कहा है कि उन्हें इस एनआरसी पर भरोसा नहीं है और वो केंद्र सरकार से मांग करेंगे कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर विदेशी ट्रिब्यूनल ने किसी सही भारतीय के खिलाफ आदेश दिया तो उनकी सरकार इसके खिलाफ विधेयक लाएगी.
बता दें, NRC का मकसद अवैध आव्रजकों (माइग्रेंट्स) की पहचान करना है. हालांकि जिन लोगों का नाम NRC में नहीं है, उन्हें विदेशी घोषित करने का काम फॉरनर्स ट्रिब्यूनल का होगा. अगर कोई फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में केस हार जाता है तो उसके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी अपील करने का मौका होगा. लीगल प्रोसेस पूरा हो जाने के बाद जो लोग विदेशी घोषित हो जाएंगे, उन्हें हिरासत केंद्रों में भेजा जाएगा.
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