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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में गालिब के नाम से किसी और शेर का सुना कर फंस गए. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब के दौरान पीएम मोदी ने गालिब का कह कर एक शेर पढ़ा. लेकिन यह शेर उनका नहीं है. इसके बाद सोशल मीडिया में लोगों ने उनकी जम कर खिंचाई की.
राज्यसभा में पीएम एक देश एक चुनाव से लेकर झारखंड में हुई लिचिंग तक कई मुद्दों पर बोले. कांग्रेस पर हमले के दौरान मोदी खासे आक्रामक दिखे. इस दौरान उन्होंने जो शेर सुनाया उसे मिर्जा गालिब का बताया. लेकिन यह शेर सोशल मीडिया पर किसी ने पोस्ट की थी.
पीएम ने कांग्रेस के खिलाफ हमले करते हुए ये शेर सुनाया. उन्होंने कहा, शायद इसीलिए गालिब ने कहा था,
ताउम्र गालिब ये भूल करता रहा
धूल चेहरे पर थी आईना साफ करता रहा.
इसके बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर उनकी खासी आलोचना हुई. मशहूर शायर और जावेद अख्तर ट्वीट कर कहा जो शेर राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनाया है, वह गालिब का नहीं है. वह सोशल मीडिया में गलत तरीके से वायरल हो रहा. उन्होंने ये भी लिखा कि शेर की दोनों ही लाइनें शायरी के मीटर में सही तरीके से नहीं उतरती हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीएम ने बड़ी 'चालाकी' गालिब की शायरी का इस्तेमाल किया. बहरहाल,पीएम सदन में इस शेर को कहने वाले पहले शख्स नहीं हैं. मार्च 2012 में हिमाचल के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने राज्य का बजट पेश करते हुए यह शेर पढ़ा था.
पिछले साल फिल्म मेकर महेश भट्ट ने भी ने इस शेर के साथ एक पोस्ट ट्वीट किया था कि ' उम्र भर गालिब यह भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा- मिर्जा गालिब. ' लेकिन यह शेर मिर्जा गालिब के दीवान में कहीं नहीं है. सोशल मीडिया पर यह शेर गालिब के नाम से पोस्ट होता रहा है और लगता है वहीं से यह पीएम मोदी के भाषण में भी आ गया.
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