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Twitter की वर्चुअल दुनिया का मामला एक विविधताओं से भरे देश जैसा है. जहां अलग-अलग तरह के वर्चुअल ह्यूमन बीइंग रहते हैं. कुछ खबर बताने, घुमक्कड़ी करने में एक्सपर्ट तो कुछ मीम्स बनाने और गाली देने में महारथी. इन सबके बीच ब्लू टिक और नॉन-ब्लू टिक का तमाशा. लेकिन हाल फिलहाल, ट्विटर पर एक नया ट्रेंड देखने को मिला है. भर-भरकर फॉलोअर बटोरने का ट्रेंड, उसके लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाने और खास तरह के नैरेटिव फैलाने की तरकीबें अपनाई जा रही हैं.
ऐसी ही कुछ पंक्तियां लिखकर ये यूजर एक दूसरे को रीट्वीट और फॉलो करते हैं. इनमें से ज्यादातर यूजर्स के फॉलोअर्स हजारों में हैं. इनमें से बहुत सारे ऐसे हैं जिनके फॉलोअर 1 लाख के आसपास हैं. अब ये हो क्या रहा है, ये कौन लोग हैं, वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, इससे क्या मिल रहा है. समझते हैं-
उदाहरण के लिए ये कुछ हैशटैग्स देखिए, ये हर रोज के मुद्दों के हिसाब से बदलते भी रहते हैं
ये कुछ हैशटैग हैं, जो सिर्फ उदाहरण के लिए हैं. एक बार फॉलोअर्स बढ़ने के बाद, लोगों के ट्वीट करने का पैटर्न रेगुलर हो रहा है. लेकिन ट्वीट्स की भाषा और कंटेंट गिरता ही जाता है. जैसे जब ऐसे यूजर्स के फॉलोअर्स बढ़ते हैं, तो वो किसी एक खूब चल रहे हैशटैग में अपना योगदान देने लग जाते हैं. चाहे वो जहरीले कमेंट या किसी एक खास वर्ग को परेशान करने वाले ट्वीट ही क्यों न हों.
इसी तरह के एक यूजर अपनी प्रोफाइल पर लिखते हैं- लगभग 95 दिन में 80 हजार मित्र, सचमुच अद्भुत
अपने ट्वीट्स में खुद को हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक बताने वाले ये यूजर तकरीबन हर प्रकार के मुद्दे पर अपनी राय पूरी 'बेबाकी' से रख देते हैं.
इस नए ट्रेंड में कई पैरोडी अकाउंट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. जैसे एक ट्विटर अकाउंटर है रंजन गोगोई फैन TAF इस अकाउंट के करीब साढे छह हजार फॉलोअर हैं और इस पर सिर्फ और फॉलोअर्स बढ़ाने और प्रमोट करने वाले ट्वीट किए जा रहे हैं.
अर्णब गोस्वामी के नाम से बने एक ट्विटर अकाउंट से भी यही काम किया जा रहा है. ऐसा ही एक ट्वीट देखिए
अपने ट्विटर प्रोफाइल पर ज्यादा फॉलोअर्स हासिल करने की जुगत में जुटे एक ऐसे ही शख्स ने क्विंट हिंदी को बताया कि आम यूजर की नजर से ये फायदा का सौदा है. जहां फॉलोअर महीनों में 10-20 तक नहीं बढ़ पाते, ऐसे ट्रेंड में आने से और जैसी लिस्ट ये बनाते हैं, उस लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने से उनके फॉलोअर भी बढ़े हैं.
अब इस ट्वीट-रीट्वीट औऱ फॉलोअर बढ़ाने के खेल के कई फॉर्म हैं, जैसे
बात सिर्फ फॉलोअर बढ़ने-बढ़ाने की नहीं है. धीरे-धीरे भीड़ जुटाने की है. ऐसी डिजिटल भीड़ जिस पर कंट्रोल नहीं लगाया जा सकता है. ये अपने नाम से हो सकते हैं, छद्म नाम से भी हो सकते हैं और जब ये किसी हैशटैग, ट्रेंड के पीछे लगते हैं तो इन ट्रेंड्स पर या हैशटैग पर इनका दबदबा हो जाता है.
आप थोड़ा फ्लैशबैक में जाइए और देखिए कि कैसे एक टॉपिक जब ट्रेंड करता था तो ऐसा माने जाने लगता था कि लोग उसके बारे में जमकर बात कर रहे हैं या वो खबर के लायक मुद्दा है. लेकिन धीरे-धीरे ये चीजें बदली हैं, कुछ बेकार की चीजें, बेफिजूल की और नफरती चीजें भी अचानक से ट्विटर पर ट्रेंड करने लगी हैं और इसके लिए आप ऐसी ही भीड़ को शुक्रिया कह सकते हैं. नुकसान ये है कि इस भीड़ में जो मुद्दे असल में जरूरी हैं, वो आसानी से खो जाते हैं.
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