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अगर आप अपने बच्चों को एलर्जी और अस्थमा जैसे घातक रोगों से दूर रखना चाहते हैं, तो उनके आहार में मछली, बादाम और सोयाबीन तेल जैसी चीजों को शामिल करें. आइये जानते हैं आखिर किस वजह से इन चीजों में इतनी खूबियां पायी जाती हैं.
बढ़ते प्रदूषण के स्तर और मिलावटी चीजों से बने उत्पादों के सेवन से आजकल बच्चों में कई तरह की एलर्जी और दमा जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. डॉक्टर और इलाज में पैसे खर्च करने की बजाय अगर आप अपने बच्चे के आहार में बादाम, मछली जैसे सैलमॉन, पटसन के बीज और सोयाबीन तेल को शामिल करें तो ये बीमारियों आपके बच्चे तक नहीं पहुंच पाएंगी. इन चीजों में मौजूद जरूरी पॉलीअनसेचुरेटेड वसा अम्ल आपके बच्चों के आहार में शामिल होकर उन्हें एलर्जी संबंधी बीमारियों से दूर रखेंगे.
इनका सेवन आपके बच्चे को खासतौर से अस्थमा, नाक में जलन, म्यूकस मेम्ब्रेन यानी श्लेष्मा झिल्ली में सूजन के जोखिम को रोकने में कारगर साबित होता है. दमा और नाक के एलर्जी संबंधी रोग से बच्चों के बचपन पर काफी बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह या तो आनुवांशिक होती है या फिर इनके पीछे पर्यावरणीय कारकों का असर होता है.
स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में हुए एक रिसर्च के चौंकाने वाले परिणाम आये. इस रिसर्च के मुताबिक पॉलीअनसेचुरेटेड वसा अम्लों की खून में बढ़ी मात्रा बच्चों में एलर्जी संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने से जुड़ी हुई है. पॉलीअनसेचुरेड वसीय अम्ल में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल आते हैं, जिन्हें एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं. ऐसे बच्चों में, जिनमें आठ साल की उम्र में ओमेगा 3 का हाई ब्लड लेवल होता है, उनमें 16 साल की उम्र में दमा या नाक में जलन या म्यूकस मेम्ब्रेन में एलर्जी के विकसित होने की संभावना कम होती है. उच्चस्तर वाले ओमेगा-6 वसा अम्ल जिसे एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं, यह ऐसा तत्व है, जिसकी वजह से 16 साल की उम्र में अस्थमा का जोखिम कम हो जाता है.
तो आज से ही अपने बच्चों के खान-पान में बादाम, मछली और सोयाबीन ऑयल को शामिल कर लीजिये, ताकि उनको एलर्जी और अस्थमा के खतरों से दूर रखा जा सके. आखिर आपके बच्चे की तंदुरुस्ती आपकी ही जिम्मेदारी है.
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