Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बुक रिव्यू: पाकिस्तान की ‘राष्ट्रीय सनक’ का लेखा जोखा है ये किताब

बुक रिव्यू: पाकिस्तान की ‘राष्ट्रीय सनक’ का लेखा जोखा है ये किताब

इस किताब में खुलासा किया गया है कि मुंबई हमले में रिटायर्ड पाकिस्तानी सेना अधिकारी भी शामिल थे.

अभय कुमार सिंह
लाइफस्टाइल
Updated:
(फोटो: द क्विंट)
i
(फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

करीब 70 साल पहले एक ही देश का हिस्सा रहे भारत-पाकिस्तान अब एक दूसरे के दुश्मन देशों के तौर पर जाने जाते हैं. आखिर ऐसे क्या कारण हैं जो भारत-पाकिस्तान को दोस्त बनने से रोक देते हैं ? इन्हीं कारणों का ब्योरा देती है हुसैन हक्कानी की किताब, भारत Vs पाकिस्तान: हम क्यों दोस्त नहीं हो सकते.

बंटवारे के बाद से अबतक के दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों को दिलचस्प किस्सों के जरिए अगर जानना है तो आप ये किताब पढ़ सकते हैं. हुसैन हक्कानी अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और बेनजीर भुट्टो समेत 4 पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों के सलाहकार रह चुके हैं. ऐसे में उन्होंने अपने अनुभव से दोनों देशों के बीच के संबंधों को बारीकी से इस किताब में बताया है. पांच भागों में लिखी गई किताब में ऐसे कई किस्से हक्कानी बताते हैं जो आपने पहले कभी सुने या पढ़े नहीं होंगे.

हक्कानी ने भारत से बराबरी के पाकिस्तान के सनक को फैक्ट्स के साथ पिरोया है. उनका कहना है-

भारत से प्रतिद्वंदिता करने की राष्ट्रीय सनक को हवा देने के बजाए पाकिस्तान को अपना ध्यान लोकतंत्र की मजबूती, आतंकवाद के निवारण, अर्थव्यव्था के आधुनिकीकरण पर केंद्रीत करना चाहिए.

पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान परमाणु हथियार के दम पर भारत को उकसाने से नहीं चूकता है. हक्कानी ने पाकिस्तान की इसी सोच को एक दिलचस्प वाकये के जरिए बताया है. 2002 में अमेरिकी पत्रकार लैंड्समैन और पाक ब्रिगेडियर अमानुल्लाह की मुलाकात पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के इस्लामाबाद हाउस में हुई.

वहां एक पेंटिंग ने लैंड्समैन का ध्यान अपनी ओर खींचा. पेंटिग में जिन्ना पार्टी के नेताओं के साथ खड़े हैं और उनके पीछे इस्लामाबाद शहर फैला हुआ है. जिन्ना के हाथ शहर के पीछे की तरफ फैले विशाल मैदान की ओर इशारा कर रहे थे जहां एक रॉकेट धुएं और आग का गुबार पीछे छोड़ते हुए आसमान की ओर जा रहा था. ब्रिगेडियर ने पेंटिंग के बारे में तपाक से लैंड्समैन को बताया कि पेटिंग में एक न्यूक्लियर वॉरहेड लेकर भारत की ओर बढ़ रही थी.

अमेरिकी पत्रकार ने हैरानी जाहिर की कि कैसे पाकिस्तानी बड़े आराम से भारत के साथ परमाणु युद्ध की बाते करते हैं और इसे सही भी ठहराते हैं.

किताब में कश्मीर पर दोनों देशों के रवैये का भी गंभीर विश्लेषण है. हक्कानी ने लिखा है कि ‘कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है’ ये वाक्य हर पाकिस्तानी बच्चे को स्कूल से लेकर घर तक याद कराया जाता है. लेकिन ये भी कहा गया है कि पाकिस्तान के इस दावे के अलावा जमीनी हकीकत वाली कार्ययोजना अब तक अमली जामा नहीं पहन सकी है. पाकिस्तान का कश्मीर राग भारत के साथ उसके संबंधों को लगातार बिगाड़ रहा है.

हुसैन ने भारतीय सेना को लेकर पाकिस्तान की सोच का एक जबरदस्त किस्सा बताया है. साल 1951 में पाकिस्तानी जनरल अयूब का मानना था कि

हिंदुओ का आत्मबल बहुत कमजोर है सही समय पर कारगर हमले के आगे वो बिखर जाएंगे.

हक्कानी ने इसपर लिखा है कि पाकिस्तान सेना इस तथ्य को नजरंदाज करता है कि भारत की सेना बहुधर्मी है, उन्होंने लिखा है-

1971 में पाकिस्तानी सेना ने ढाका में जिस जनरल के सामने हथियार डाले थे वो सिख था, आत्मसमर्पण के पहले की वार्ता उन्होंने यहूदी अफसर से की थी और ये दोनों एक ऐसे सेना प्रमुख के अधीन थे जो एक पारसी था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

184 पन्नों की इस किताब में मुंबई हमले में पाकिस्तान के हाथ होने का खुलासा किया गया है. हक्कानी के मुताबिक, हमले में रिटायर्ड पाकिस्तानी सेना अधिकारी भी शामिल थे. हक्कानी ने लिखा है कि आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अहमद सुजा पाशा ने खुद उनसे मुंबई हमले के बारे में कहा-

लोग हमारे थे, ऑपरेशन हमारा नहीं था.

यानी पाशा के मुताबिक, मुंबई हमले के आतंकियों का आईएसआई से संबंध तो था पर वो आधिकारिक आईएसआई ऑपरेशन नहीं था.

इस किताब को हक्कानी ने बंटवारे से शुरू किया है और कई तर्कों, तथ्यों के जरिए आखिर में बताया है कि दोनों देशों के बीच शायद अब दोस्ती की गुंजाइश खत्म हो गई है. किताब मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है जिसका अनुवाद सुशील चंद्र तिवारी ने किया है. किताब पढ़ते समय कभी-कभी आपको ऐसा लग सकता है कि अनुवाद में गुंजाइश रह गई है लेकिन हक्कानी के खुलासों और किस्सों के सामने ये कमी आपको बहुत छोटी लगेगी.

किताब: भारत Vs पाकिस्तान : हम दोस्त क्यों नहीं हो सकते

लेखक: हुसैन हक्कानी

अनुवादक: सुशील चंद्र तिवारी

प्रकाशक: जगरनॉट बुक्स

कीमत: 250 रुपए

लेखक :

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी एक पत्रकार और एकेडमिशियन भी हैं. हुसैन बेनजीर भुट्टो समेत 4 पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों के सलाहकार रहे हैं. उन्होंने दो किताबें पाकिस्तान: बिटविन मॉस्क एंड मिलिटरी और मैग्निफिशंट डेल्युजन्स: यूएस, पाकिस्तान एंड एन एपिक हिस्ट्री ऑफ मिसअंडरस्टैंडिंग लिखी है. फिलहाल हुसैन वाशिंगटन डीसी के हडसन इंस्टीट्यूट में साउथ एंड सेंट्रल एशिया के निदेशक हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 09 May 2017,08:23 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT