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हजारों फुट की ऊंचाई और गुब्बारे की टोकरी में आप...है न रोमांचक  

हजारों फुट की ऊंचाई से इमारतों और जंगलों को देखना चाहते हैं तो हॉट एयर बलून की रोमांचक सवारी आपके लिए ही है. 

अवंतिका भुयान
लाइफस्टाइल
Updated:
विशेष तौर पर 25 और उससे अधिक की आयु वर्ग के लोगों में बलूनिंग काफी लोकप्रिय हो रही है (फोटो : SkyWaltz Balloon Safari)
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विशेष तौर पर 25 और उससे अधिक की आयु वर्ग के लोगों में बलूनिंग काफी लोकप्रिय हो रही है (फोटो : SkyWaltz Balloon Safari)
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गर्म हवा से भरा एक विशालकाय गुब्बारा, गुब्बारे के सहारे बंधी एक बड़ी सी टोकरी और टोकरी में बैठे लोग. हजारों फुट की ऊंचाई से शहर, इमारत, नदियों, झीलों और जंगलों को देखने का शौक रखने वाले लोग.

हाॅट एयर बलूनिंग का क्रेज भारत में तेजी से बढ़ रहा है. 39 साल के संदीपन घोष ने अभी हाल ही में हाॅट एयर बलून पर सवार होकर ताजमहल को हजारों फुट की ऊंचाई से देखा. उनके लिए ये एक ऐसा अनुभव रहा जिसे वो शायद ही कभी भुला पाएं. वो बताते हैं कि इतनी ऊंचाई से दूध की तरह सफेद और चमचमाते संगमरमर के ताजमहल को देखना जादुई था. वैसे तो नियम के चलते 500 मीटर के दायरे के बाहर ही रहना पड़ा लेकिन ये कमाल का अनुभव था.

संदीपन दिल्ली स्थित एक कंपनी में पीआर एक्जिक्यूटिव हैं. जो नवंबर में आगरा गए थे. आगरा में पहली बार ताजमहल देखने के लिए ताज बलून फेस्टिवल का आयोजन किया गया था.

संदीपन बताते हैं कि हाॅट एयर बलून पर सवार होकर नीचे मौजूद चीजों को देखना एक शानदार अनुभव होता है. वे बताते हैं कि इससे पहले वे जयपुर, पुष्कर, लोनावला में कई बार हाॅट एयर बलून की सवारी कर चुके हैं और इस बार उन्होंने आगरा का मशहूर ताजमहल भी हाॅट एयर बलून पर सवार होकर देखा. संदीपन को कलाकृतियों और इमारतों की खूबसूरती को आसमान से देखने का शौक है.

पहले जहां विदेशी मेहमानों की संख्या 95 फीसदी थी वहीं अब भारतीयों में भी इस ओर रुझान बढ़ा है (फोटो: SkyWaltz Balloon Safari)

एक बेहद जिम्मेदारी भरा काम है हाॅट एयर बलूनिंग

शहरों में रहने वाले युवाओं में हाॅट एयर बलून की सवारी करने का काफी शौक होता है. खासतौर पर 25 साल और उससे ज्यादा की उम्र के युवाओं में. कुछ लोग इसकी सवारी छुट्टी में कुछ अलग और अनूठा करने के उद्देश्य से करते हैं तो कुछ इसलिए कम से कम एकबार इसकी सवारी का अनुभव करने के लिए. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जिनके लिए गर्म हवा के इस गुब्बारे की सवारी करना एक जिम्मेदारीपूर्ण खेल है.

मौजूदा समय में बलूनिंग क्लब आॅफ इंडिया के लगभग 200 मेंबर हैं जो पूरे भारतवर्ष में फैले हुए हैं. जिनमें से कुछ कमर्शियल बलूनिंग पायलट बनने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं.

शुरुआत आपको स्टूडेंट लाइसेंस के साथ करनी पड़ती है. इसके लिए भी आपका 14 साल का होना और सेहतमंद होना जरूरी है. ट्रेनिंग के बाद आपको प्राइवेट पायलेट का लाइसेंस मिल जाता है.
विश्व बंधु गुप्ता, सचिव, द बलूनिंग क्लब आॅफ इंडिया 

80 साल के इस क्लब के नाम घंटो की बलूनिंग रिकाॅर्ड है साथ ही 1973 में फ्रांस के नांतेस में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप फाॅर हाॅट एयर बलूनिंग में जाने वाली पहली टीम का खिताब भी इसी के नाम है. उनके अनुसार, वे अब भी लोगों को वर्ल्ड चैंपियनशिप में जाने के लिए ट्रेनिंग देते हैं. हाॅट एयर बलून के कारोबार में पिछले कुछ सालों में काफी तेजी आई है और यही वजह है कि लोग इसे अब व्यवसाय के रूप में लेने लगे हैं.

स्काईवाल्ट्ज बलून सफारी के तुषार रघुवंशी भी इसी विचार का समर्थन करते हैं. स्काईवाल्ट्ज बलून सफारी देश की पहली और सबसे बड़ी व्यवसायिक हाॅट एयर बलून कंपनी है. ये वही कंपनी है जिसने अभी हाल ही में ताज बलून फेस्टिवल का आयोजन किया था. ये आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर किया गया था. इसके अलावा इस कंपनी ने पुष्कर इंटरनेशनल बलून फेस्टिवल का भी सफल आयोजन किया था.

आसमानी खेलों में से बलूनिंग सबसे सुरक्षित है और शायद यही वो सबसे बड़ी वजह है जिसके चलते ये इतना लोकप्रिय है.
तुषार रघुवंशी, डिजिटल कम्यूनिकेशन एंड मार्केटिंग हेड आॅफ स्काईवाॅल्ट्ज बलून सफारी 
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वर्ल्ड चेंपियनशिप फॉर हॉट एयर बलूनिंग में भारतीय टीम भी लेती है हिस्सा (फोटो: SkyWaltz Balloon Safari)

खूबसूरत नजारा

घोष बताते हैं कि सुबह उगते सूरज की पहली किरण की गर्माहट को महसूस करना अपने आप में एक शानदार अनुभव है. ताज फेस्टिवल के दौरान कुछ एक नहीं बल्कि बहुत से लोगों ने सुबह उठकर उस रोशनी को महसूस करने के लिए हाॅट एयर बलून की सवारी की. उसके अलावा हाॅट एयर बलून की सवारी करना अपने आप में ही एक रोमांचक अनुभव है. 2000 फुट से एक शहर को देखना, एक बिल्कुल नया नजरिया लिए हुए होता है.

लोग इमारतों, गुंबदों और किलों को इन उड़ते गुब्बारों पर सवार होकर देखना काफी पसंद करते हैं. काॅर्पोरेट पार्टियों में भी आजकल हाॅट एयर बलून का चलन काफी बढ़ता जा रहा है.

भारत में कई ऐतिहासिक स्मारकों के सौंदर्य को ऊंचाई से निहारने के लिए हॉट एयर बलून की सवारी की जाती है (फोटो: SkyWaltz Balloon Safari)

धीरे-धीरे बढ़ रही है लोकप्रियता

ऐसे किसी देश में जहां सिविल एविएशन कानून बेहद सख्त हैं वहां बलूनिंग का आयोजन करना एक बेहद कठिन काम है. कई ऐसी कंपनियां हैं जिन्हें पैन-इंडिया का लाइसेंस भी नहीं मिल पाता है. रघुवंशी बताते हैं कि इस लाइसेंस के मिलने का मतलब है कि आप देश में कहीं भी उड़ान भर सकते हैं. इससे पहले हाॅट एयर बलून की सवारी करने वालों में 95 प्रतिशत विदेशी हुआ करते थे लेकिन अब भारतीयों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है.

भारत में बलूनिंग करने का सबसे बेहतर समय सितंबर और अप्रैल का होता है और इन महीनों में हर दिन इसका आयोजन किया जाता है. उनके अनुसार, ज्यादातर सुबह के समय ही बलूनिंग होती है लेकिन नवंबर और दिसंबर में ये दोपहर के वक्त आयोजित की जाती है. एक घंटे के आपको प्रति व्यक्ति के हिसाब से 12 हजार रुपये का भुगतान करना होता है जबकि 5 से 12 साल के बच्चों के लिए ये 7 हजार है.

गर्म हवा के गुब्बारे से बंधी उस टोकरी में चार से आठ लोगों के खड़े होने की जगह और क्षमता होती है. गुब्बारे के भीतर हल्का एलपीजी सीलेंडर होता है. ये सीलेंडर या तो एल्युमीनियम का बना होता है या फिर प्लैटिनम का. उसमें एक बर्नर भी होता जोकि सामान्य बर्नर जैसा ही नजर आता है. गुप्ता बताते हैं कि ये बर्नर बहुत जल्दी खुल और बंद हो जाता है.

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Published: 06 Dec 2015,03:46 PM IST

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