advertisement
दुनिया में एक बहुत बड़ी कम्यूनिटी स्नीकरहेड्स की है. स्नीकरहेड्स वो लोग हैं जो स्नीकर्स (जूतों का एक टाइप) के शौकीन हैं. ये लोग जूतों पर नए ट्रेंड के बारे में पढ़ते हैं, रिसर्च करते हैं, स्नीकर्स खरीदते हैं, ब्रांड्स के लिए हाइप क्रिएट करते हैं और खरीदे हुए स्नीकर्स को 10, 20, 50 गुना ज्यादा दामों पर बेचते भी हैं. स्नीकर्स को बाजार में कूल बनाने का काम करते हैं. स्नीकरहेड्स की इन जूतों के लिए दीवानगी वैसी ही है जैसे कुछ लोग महंगी घड़ियों या हैंडबैग्स शौकीन होते हैं
स्नीकरहेड्स की शुरुआत 70 के दशक के आसपास हुई जब न्यूयॉर्क सिटी में बी बॉय और हिप हॉप कल्चर तेजी से फैल रहा था. उस वक्त लोगों में ऐसे जूतों का खासा क्रेज था जिनके रंग कपड़ों से मेल खाते थे. उन जूतों की डिजाइन और उसपर लगी पट्टियां उनको खूब भाईं. मुख्य धारा में स्नीकरहेड्स का आना तब हुआ, जब बड़े स्पोर्ट्स ब्रांड्स ने खिलाड़ियों के साथ पार्टनरशिप कर लिमिटेड एडिशन स्नीकर बनाने शुरू किए.
ग्रैंड व्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 तक स्नीकरर्स की मार्केट 95.14 बिलियन डॉलर की हो जाएगी. अप्रैल 2016 तक ये मार्केट 55 बिलियन डॉलर की आंकी गई थी. वहीं स्नीकर की रीसेल मार्केट 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की बताई जाती है.
स्नीकरहेड्स की मार्केट न्यूयॉर्क से फैलकर सारी दुनिया में फैली. इसकी सबसे बड़ी वजह बनी लोगों के लिए खिलाड़ियों और कलाकारों का कल्ट बन जाना. अपने पसंदीदा खिलाड़ी या सिंगर को जब कोई स्नीकर पहने देखता तो उसके लिए दीवानगी और बढ़ जाती है. इस क्रेज को दो तरह के लोगों ने पकड़ा, पहला- वो कंपनियां जो पहले से जूते बना रही थीं. दूसरे स्नीकरहेड्स.
पहली मार्केट नाइकी, एडिडास, वैन्स जैसे ब्रांड्स की है जो नए स्नीकर बनाते हैं और सेलेब्रिटी के साथ इसकी मार्केटिंग करते हैं. दूसरी मार्केट तैयार हुई स्नीकरहेड्स की. इन्होंने स्नीकर खरीदने के बाद उनको बेचने का कल्चर बनाया. ये लोग लिमिटेड एडिशन के स्नीकर को जल्द से जल्द खरीदते और मनचाहे दामों पर बेचते हैं. इस बाजार में 16 साल के टीनेजर से लेकर उम्रदराज लोग शामिल हैं जो स्नीकर की रीसेल से लाखों-करोड़ों कमा रहे हैं.
ये रेट्स एवरेज हैं, रीसेलर की तरफ से कई बार तय किए दामों पर खरीदार मोलभाव कर दामों को गिरा देते हैं. कई बार रीसेलर की किस्मत अगर सही रही तो ऐसे दाम भी मिल जाते हैं जो वो खुद नहीं सोच सकता था. इसका एक सबसे अच्छा उदाहरण फुटवेयर मैगजीन स्नीकर फ्रीकर की एक रिपोर्ट में है.
नाइकी की एयर यीजी-1 (ग्रैमी प्रोटोटाइप), जिसकी कीमत 75 हजार डॉलर तय की गई थी लेकिन खरीदार न मिलने से उसका दाम 50 हजार डॉलर हो गया. आफ्टरमार्केट में कभी भी दाम एक नहीं होते और इस पर किसी का भी कोई कंट्रोल नहीं
हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक स्नीकरहेड्स सितारे हर जगह हैं. ये स्नीकर की मार्केट में उछाल लाने, हाइप बनाए रखने और फैंस के बीच ट्रेंड सेट करने में सबसे अहम रोल निभाते हैं.
ऋषि कपूर इन दिनों न्यू यॉर्क में कैंसर के इलाज के लिए रह रहे हैं. वहां जब वो एक स्नीकर की दुकान में गए तो वहां दाम देखकर चौंक गए. ट्विटर पर ऋषि ने लिखा, ‘‘मैंने 12 हजार डिजाइन और मॉडल के साथ सबसे बड़े स्नीकर की दुकान देखी. इनके दाम देखकर मैं चौंक गया.’’
ऋषि कपूर ने जो जूते देखे उनकी कीमत 27 लाख 38 हजार रुपए से 18 लाख 48 हजार रुपए तक थी.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)