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सरकार बना रही हफ्ते में 4 दिन काम का प्लान,क्या है इसका नफा-नुकसान

दुनियाभर के देशों में इस नए वर्क कल्चर के क्या फायदे नुकसान रहे, भारत में क्यों है चर्चा? पूरा ब्योरा जानिए

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सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: IANS)

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सरकार कंपनियों को हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम कराने की छूट देने पर विचार कर रही है. इससे पहले भी कुछ जगहों पर काम के 4 दिन निर्धारित किए गए थे, लेकिन इसके अपने फायदे और नुकसान हैं. आइए जानते हैं कितना कारगर है 4 दिन का कामकाज...

सबसे पहले जानते हैं अभी क्यों चर्चा में है 4 दिन का कामकाजी सप्ताह-

कुछ दिनों पहले भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा था कि कर्मचारियों के लिए हफ्ते में तय अध‍िकतम 48 घंटे तक ही काम करने की सीमा को लचीला बनाया जाएगा. यानी अगर कोई कर्मचारी रोजाना 12 घंटे काम करके हफ्ते में चार दिन में ही 48 घंटे काम कर लेता है तो बाकी तीन दिन उसे छुट्टी दी जा सकती है.
  • कर्मचारी को हफ्ते में 5 दिन या 6 दिन काम करने की जरूरत नहीं होगी, हालांकि इसके लिए कंपनियों को कर्मचारी के साथ सहमति भी होनी चाहिए.
  • अभी हफ्ते में 6 कामकाजी दिनों के लिए 48 घंटे का नियम है. यानी रोजाना 8 घंटे काम करना होता है.
  • अगर कोई कर्मचारी रोजाना 12 घंटे काम करके हफ्ते में चार दिन में ही 48 घंटे काम कर लेता है, तो बाकी तीन दिन उसे छुट्टी दी जा सकती है.
  • इससे कर्मचारी को हफ्ते में 5 दिन या 6 दिन काम करने की जरूरत नहीं होगी.
  • इसमें कंपनी और कर्मचारियों दोनों की सहमति होगी.
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जापान में प्रोडेक्टिविटी बढ़ी, लागत घटी

माइक्रोसॉफ्ट जापान ने अपने ऑफिस के वर्क कल्चर में बदलाव करते हुए हफ्ते में चार दिन काम कराने का प्रयोग किया था. अगस्त 2019 में एक महीने तक किए गए इस प्रयोग के जो परिणाम सामने आए वह उत्साहित करने वाले थे, वहां पाया गया कि इससे कर्मचारियों की उत्पादन क्षमता में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आया और यह पिछले साल के मुकाबले 40% बढ़ गई.

  • इस दौरान बिजली की खपत 23.1% कम हुई और 58.7% कागज का कम इस्तेमाल हुआ. इस प्रकार इससे कंपनी का खर्च कम हुआ.
  • माइक्रो सॉफ्ट ने Work Life Choice Challenge 2019 Summer नाम के प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग किया था.
  • 2,300 कर्मचारियों पर फोर डे वीक का प्रयोग किया था.
  • कोई मीटिंग 30 मिनट से अधिक नहीं चली. कई मीटिंग्स तो वर्चुअल की गईं.
  • ईमेल्स के जवाब जल्दी दिए गए. अन्य फैसलों को भी टालने के बजाय उन पर तुरंत निर्णय लिया गया.
  • जब कंपनी ने एक महीने के बाद जब फोर डे वीक प्लान को लेकर राय मांगी, तो उन्हें 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों का सर्मथन मिला था.
लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उन कंपनियों को बहुत नुकसान होगा. क्योंकि जहां सातों दिन काम होता है, वहां इसके लिए उन्हें अधिक भर्ती करनी होगी.

न्यूजीलैंड की कंपनी में भी हो चुका है प्रयोग

DW की एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यूजीलैंड की फाइनेंसियल सर्विस फर्म पर्पेचुअल गार्डियन ने 2018 में अपने वर्किंग वीक कल्चर को स्थायी रूप से बदलने का ऐलान किया था. पर्पेचुअल गार्डियन के चीफ एक्जीक्यूटिव और फाउंडर एंड्रूय बार्नेस के मुताबिक, उनके इस प्रयोग से कमर्चारियों की उत्पादकता थोड़ी बेहतर हुई और कर्मचारियों में तनाव का स्तर गिरा था.

  • कंपनी ने मार्च 2018 में एक परीक्षण शुरू किया. ट्रायल के दौरान कर्मचारियों से सिर्फ चार दिन काम कराया गया.
  • आठ हफ्तों तक परीक्षण किए गए थे. तनख्वाह में कोई कटौती नहीं की गई.
  • ट्रॉयल की निगरानी ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्चरों ने की थी.
  • रिसर्चरों के मुताबिक काम के घंटे घटाने से कामकाज पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा.
  • ट्रॉयल से पहले कंपनी के 54 फीसदी कर्मचारी काम और निजी जीवन के संतुलन को लेकर खुश थे. चार दिन काम करने के बाद ऐसे कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 78 फीसदी हो गई.

4 दिन के कामकाज की पैरवी क्यों?

  • द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक 4 डेज वर्किंग हमारे कार्बन फुटप्रिंटस को काफी हद तक कम कर सकता है. अगर वर्किंग डेज में से एक दिन कम काम किया जाए, तो कार्बन फुटप्रिंट्स को 36.6 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
  • द गार्जियन की खबर के मुताबिक रिसर्चर्स ने ये पाया है कि कम घंटे काम करने से प्रोडक्टिविटी में इजाफा देखने को मिला है. ब्रिटेन में एलेक्ट्रा लाइटिंग, थिंक प्रोडक्टिव और पोर्टकलीस लीगल्स 4 डेज वर्किंग को अपनाते हैं. स्वीडन के गोथनबर्ग में जब कुछ नर्स के लिए दिन में 6 घंटे काम को लागू किया गया, तो पाया गया कि वो पहले से खुश और स्वस्थ्य थीं.
  • स्पेन की सरकार कोरोना महामारी की वजह से देश में आई बेरोजगारी से लड़ने के लिए हफ्ते में चार दिन काम करने का प्रस्ताव लाई है. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर सरकार के भीतर ही आम सहमति नहीं बन रही है.
  • फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन ने पिछले साल हफ्ते में चार दिन और दिन में 6 घंटे काम का आइडिया प्रपोज किया था. तब उन्होंने कहा था कि ‘मैं मानती हूं कि लोगों को अपने परिवार, करीबियों, हॉबी और जिंदगी की दूसरी चीजों के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिलना चाहिए.’
  • न्यूजीलैंड, रूस, जर्मनी, डेनमार्क समेत कई देश हफ्ते में चार दिन काम के पक्ष में हैं. आयरलैंड में कई यूनियन, कार्यकर्ता और कारोबारी इसके लिए लंबे समय से मुहिम चला रहे हैं. उनका मानना है कि कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था को जो झटका दिया है, उसे देखते हुए हमें नए मॉडल पर काम करना चाहिए.

4 डेज वर्क वीक और 50 की उम्र से ज्यादा के कर्मचारी

फोर्ब्स में प्रकाशित एक आर्टिकल में पर्पेचुअल गार्डियन के चीफ एक्जीक्यूटिव और फाउंडर एंड्रूय बार्नेस का कहना है कि सप्ताह में तीन की छुट्टी का सबसे बढ़िया असर 50+ के कर्मचारियों को होगा. या जिनके घर में 50 की उम्र से ज्यादा के लोग हैं. कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें या तो खुद की जांच या अन्य डॉक्टरी सलाह के लिए हॉस्पिटल जाना होता है या फिर अपने परिवारजन के लिए सप्ताह में छुट्टी लेनी पड़ती है. उन सभी के लिए चार दिन का काम और तीन दिन की छुट्टी बेहद कारगर है. इससे वो खुद के साथ-साथ परिवार के लिए भी समय निकाल सकेंगे.

र्पेचुअल गार्डियन के चीफ एक्जीक्यूटिव और फाउंडर एंड्रूय बार्नेस ने 4 Day Week नाम से एक पुस्तक भी लिखी है. इस पुस्तक में उन्होंने बताया है कि कैसे फोर डे वीक कर्मचारियों को राहत प्रदान करता है, उन्हें खुशियां देता और कंपनी को प्रॉफिटेबल बनाता है.

4 Day Work Week की चुनौतियां

  • सप्ताह में चार दिन के कामकाज को लेकर जब एचआर एक्सपर्ट्स से बात की गई तो उनका कहना था कि इस वर्क कल्चर की अपनी चुनौतियां हैं. इससे नियोक्ता यानी इंप्लॉयर, कस्टमर, क्लाइंट्स और कर्मचारियों की अपनी-अपनी अलग चुनौतियां हैं.
  • फ्लेक्स वर्क एक्सपर्ट विलियम योस्ट का कहना है कि जिस तरह से एक ही साइज में सभी फिट नहीं हो सकते हैं वैसे ही एक ही हल सभी समस्या का नहीं हो सकता है. यह इस पर काम करता है कि ये कब लागू किया बल्कि यह इस पर डिपेंड होना चाहिए कि कहां और कैसे लोग काम कर रहे हैं. यह सभी जगह और परिस्थितयों के लिए आदर्श नहीं हो सकता है. योस्ट कहती हैं कि फोर डेज वर्क वीक हमें व्यापक बातचीत का संदेश देता है.
  • द सोसायटी ऑफ ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (SHRM) की डायरेक्टर ऑफ रिसर्च एंड प्रोडक्ट का कहना है कि हमारे द्वारा कराए गए फोर डे वीक सर्वे में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. कई संगठनों ने इसमें रुचि दिखाई तो कईयों का कहना है कि पहले हम इसे समझेंगे और देखेंगे कि यह आखिर वर्क कैसे कर रहा है.
  • पर्पेचुअल गार्डियन के चीफ एक्जीक्यूटिव और फाउंडर एंड्रूय बार्नेस के अनुसार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस कल्चर को अपनाने में अमेरिका से आगे हैं. वहीं ब्रिटेन की सैकड़ों कंपनियां या तो फोर डे वीक का कॉन्सेप्ट अपना चुकी हैं या अपनाने जा रही हैं. इसमें बड़े संगठन भी शामिल हैं.
  • कभी-कभी एक दिन सभी कर्मचारियों ने एक ही दिन ऑफ लेने का मन बना लिया तो ऐसे में नियोक्ता को सम्स्या हो सकती है.
  • सच्चाई यह भी है कि फोर डेज वर्क वीक का विकल्प कंपनियां अलग तरीके से देती हैं. कई बार कर्मचारियों को इसके लिए हर दिन 10-10 यानी कुल 40 घंटे काम करने पड़ते हैं. ऐसे में उनके लिए फोर डे वर्क वीक कंप्रेस्ड वर्कवीक यानी दवाब वाला वर्कवीक बन जाता है.
  • SHRM के अनुसार 2020 में एक तिहाई संगठन कंप्रेस्ड वर्कवीक ऑफर करते थे, जबकि 32 घंटे या उससे कम समय के काम के घंटे वाले फोर डेज वर्कवीक का ऑफर महज 15 फीसदी संगठन ही करते हैं.
  • एचआर एक्सर्प्ट्स का मानना है कि फ्लेक्सिबल वर्किंग में कर्मचारियों को सुपरवाइज करना काफी महंगा साबित होता है. इसलिए कंपनियां यह कल्चर जल्द अडॉप्ट नहीं करती हैं.
  • कुछ रिचर्स में यह भी सामने आया है कि 4 दिन के कामकाजी सप्ताह के दौरान कर्मचारियों में वर्क प्रेशर ज्यादा रहता है. जिससे वे ज्यादा तनाव में रहते हैं. इसमें मैनेजरों को ज्यादा चिंता रहती है क्योंकि उनको तय सीमा में काम कराने की चुनौती रहती है.

पांच दिन के काम से खुश हैं कर्मचारी

  • इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक अमेरिका बेस्ड बहुराष्ट्रीय वर्कफोर्स प्रबंधन फर्म क्रोनोस के एक सर्वे में 69 फीसदी भारतीय कर्मचारियों (पूर्णकालिक) ने कहा कि वे मौजूदा सैलरी पर सप्ताह में पांच दिन ही काम करना चाहते हैं. उन्हें इससे कम कामकाजी हफ्ते की चाहत नहीं है. इस रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया (19 फीसदी), फ्रांस (17 फीसदी) और यूके (16 फीसदी) के लोग सामान्य पांच दिन काम करने की जीवनशैली से संतुष्ट हैं. वैश्विक स्तर पर देखें, तो दुनिया के 28 फीसदी फुल टाइम कर्मचारी पांच दिन काम करने की स्थिति से खुश हैं.
  • क्रोनोस के सर्वे में भारतीय कर्मचारियों ने सप्ताह में दो छुट्टी को बेहद जरूरी बताया है.
  • भविष्य के वर्कप्लेस (दफ्तरों) के लिए इस सर्वे को 31 जुलाई से 9 अगस्त 2018 की अवधि के दौरान 2,772 कर्मचारियों के बीच किया था

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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