Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हॉलीवुड फिल्‍मों से लेकर वेब सीरीज तक, हिंदी घुल गई ‘स्‍वादानुसार’

हॉलीवुड फिल्‍मों से लेकर वेब सीरीज तक, हिंदी घुल गई ‘स्‍वादानुसार’

आज हॉलीवुड भी हिंदी की ताकत को पहचान गया है, इसलिए भारत में फिल्मों को लेकर डबिंग से आगे की रणनीति अपना रहा है

स्मृति चंदेल
लाइफस्टाइल
Updated:
14 सितंबर को मनाया जा रहा है हिंदी दिवस
i
14 सितंबर को मनाया जा रहा है हिंदी दिवस
(फोटो: iStock)

advertisement

"लगा रहे प्रेम हिंदी में, पढ़ूं हिंदी लिखूं हिंदी, चलन हिंदी, चलूं मैं हिंदी. पहनना, ओढ़ना, खाना हिंदी.." रामप्रसाद बिस्मिल के ये क्रांतिकारी शब्द इस बात की तस्दीक करते हैं कि- हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्‍तां हमारा...

गुलामी के दौर में यूं तो अंग्रेजी हमारे कामकाज की भाषा हुआ करती थी, पर आजादी के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी को राजभाषा और देवनागरी को पहली राजलिपि का दर्जा मिला.

संस्कृत के बाद हिंदी ही ऐसी भाषा है, जिसमें जैसा बोला जाता है, ठीक वैसा ही लिखा भी जाता है. उर्दू हो या अंग्रेजी, सभी को अपने अंदर संजोने की ताकत शायद हिंदी में ही देखी जा सकती है.

बदलते परिवेश में हिंदी को अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं से कमतर आंका जाने लगा. इसके पीछे तर्क ये कि हिंदी हमारे मन की भाषा तो है, मगर हमारे पेट की भाषा नहीं है. रोजगार और करियर अंग्रेजी के गुलाम हैं.

लेकिन कुछ सालों से हिंदी भाषा को लेकर कई बदलाव देखने को मिले हैं. एंटरटेनमेंट की दुनिया में भी हिंदी का बोलबाला है. दक्षिण भारतीय फिल्मों को जब हिंदी में डब किया जाता है, तो वो करिश्‍मा आसानी से समझा जा सकता है.

वक्त के साथ हिंदी का पैमाना बदलता चला गया. शुरुआत में मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह 'दिनकर', सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', महादेवी वर्मा की कविताएं राष्ट्र की चेतना जगाने का काम करती थीं.

फिर फिल्मों का दौर शुरू हुआ. तब कहानी और सीक्वेंस शालीन हुआ करते थे और हिंदी डायलॉग काफी हद तक मॉडरेट. 80 के दशक की फिल्में मारधाड़ के सीक्वेंस, डबल मीनिंग डायलॉग और बदमिजाजी को फिल्मी पर्दे पर लेकर आई. इन फिल्मों से हिंदी बोलने, सुनने के नजरिए में काफी बदलाव आए.

बदलते वक्त में हिंदी सिनेमा ने हिंदी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी का बेहतरीन तालमेल बैठा लिया है. यही नहीं, साउथ इंडियन फिल्मों की हिंदी में डबिंग भी की जाने लगी.

कहा जा सकता है एक कॉकटेल का ईजाद हुआ है, जिसमें भाषा के सही होने से ज्यादा वाक्य का समझ आना ज्यादा जरूरी बन गया है.

हिंदी में बनने वाली बाहुबली-2 और रजनीकांत-अक्षय की (2.0 ) जैसी फिल्मों ने बंपर कमाई की. हाल ही में रिलीज हुई साहो के हिंदी वर्जन ने भी 130 करोड़ रुपए कमाए. इसके अलावा अरुंधति ने 34 करोड़, शिवाजी ने 74 करोड़, रोबोट ने 195 करोड़, मगधीरा ने 70 करोड़ की कमाई की. मतलब साफ है कि साउथ की डब फिल्मों की हिंदी परिदृश्य पर सफलता की कहानी बेमिसाल है.

हिंदी में फिल्मों की डबिंग से ज्यादा आउटरीच और ऑडियंस बेस को टारगेट किया जा सकता है. आखिर भारत की हैसियत न सिर्फ एक देश की, बल्कि पूरे यूरोपियन यूनियन के बराबर हो, तो भला हॉलीवुड भी मौका कैसे चूक सकता है. 2016 में कैप्टन अमेरिका सिविल वॉर, और फाइंडिंग डोरे का बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन 41% और 21% रहा.

हिंदी में डबिंग के ट्रेंड को फॉलो करते हुए फास्ट एंड फ्यूरियस फ्रैंचाइजी को 50 से 60% आय में इजाफा दर्ज किया. एवेंजर्स एंडगेम ने बॉक्स ऑफिस पर 350 करोड़ की भारी-भरकम कमाई की.

इंडियन ऑडियंस से जुड़ने के लिए डिज्नी ने ज्यादा एग्रेसिव स्ट्रेटजी अपनाई. इसके मुताबिक फिल्म के डायलॉग को डब न कर दोबारा हिंदी में लिखा गया. पिछले साल मई में रिलीज हुई डेडपूल-2 में रणवीर सिंह ने हिंदी ट्रेलर के लिए अपनी आवाज दी.

इसी तरह राना डग्गुबाती ने अवेंजर्स इंफिनिटी वॉर्स के तमिल वर्जन के लिए थानोस को अपनी आवाज दी. 2016 में रिलीज हुई जंगल बुक के हिंदी वर्जन के लिए डिज्नी ने पॉपुलर एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा (कॉ), इरफान खान (बल्लू), ओमपुरी (बघीरा) नाना पाटेकर (शेरखान) जैसे बेहतरीन एक्टर्स को हिन्दी डबिंग के लिए साइन किया.

इस फिल्म के हिंदी वर्जन ने 56% की कमाई की, जबकि इसका अंग्रेजी वर्जन महज 41% कलेक्शन दर्ज कर सका. शायद यही कमाल है हिंदी का, पानी की तरह हर रंग में घुल-मिल जाती है.

हाल ही में वेब सीरीज का एक नया दौर शुरू हुआ है. इन वेब सीरीज की खासियत है अनसेंसर्ड सीक्वेंस और इनमें इस्तेमाल किए जाने वाले बिंदास बोल. गाली-गलौज, ठेठ और रियल. बिल्कुल बेपर्दा और शायद इसीलिए दर्शकों ने इन्हें हाथों-हाथ लपक लिया है. शायद अब हिंदी को नमक की तरह स्वादानुसार इस्तेमाल किया जा रहा है.

करीब 45 करोड़ हिंदीभाषी इंटरनेट एक्सेस करते हैं. इस ताकत को इंस्टाग्राम, फेसबुक, वॉट्सऐप और ई-कॉमर्स कंपनियां, जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजन बखूबी पहचानने लगे हैं. अंग्रेजी के शब्द हिंदी के भी ऑप्शन बन गए हैं. यहां तक अंग्रेजी में लिखते वक्त भी हम हिंदी में ही टाइप कर रहे हैं और नतीजे भी काफी सटीक हैं.

पढ़ें ये भी: हिंदी दिवस स्पेशल | आपकी हिंदी में है कितना दम?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 14 Sep 2019,02:16 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT