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ऑफिस में न करें यौन उत्पीड़न का सामना, इन तरीकों से उठाएं आवाज

सर्वे के मुताबिक 38% महिलाएं वर्कप्लेस पर यौन शोषण का सामना करती हैं, जबकि 68.9% महिलाएं शिकायत दर्ज नहीं करातीं.

रोहित मौर्य
लाइफस्टाइल
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(फोटो: The Quint)
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TVF के सीईओ और फाउंडर अरुणाभ पर लगे यौन शोषण के आरोप के बाद एक बार फिर ऑफिस में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी का मामला उठने लगा है. इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन (INBA) के 2016 के सर्वे के मुताबिक, 38% महिलाएं वर्कप्लेस पर यौन शोषण का सामना करती हैं, जबकि 68.9% महिलाएं शिकायत दर्ज नहीं करातीं.

TVF के मामले में भी महिला ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है, बल्कि फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है. इसके पीछे महिलाओं का डर, शर्मिंदगी और आत्मविश्वास की कमी जैसे कारण हो सकते हैं.

लेकिन महिलाएं डरें नहीं, आगे आएं और शिकायत दर्ज कराएं. इसके लिए हम आपको बता रहे हैं, अगर किसी महिला के साथ वर्कप्लेस पर छेड़खानी हो तो वो क्या करे? आप इन परिस्थितियों में शिकायत दर्ज करा सकती हैं. स्लाइड देखें.

वर्कप्लेस पर बचने के लिए आपके पास हैं ये उपाय-

विशाखा गाइडलाइंस

1997 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी ऑफिसों के लिए एक यौन उत्पीड़न विरोधी पैनल बनाना जरूरी कर दिया था. कोर्ट ने इस गाइडलान में कुछ बाते कहीं थी,

  • ऑफिसों में महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित दिशानिर्देश जारी करना चाहिए और ध्यान रखा जाए कि इसका पालन हो रहा है या नहीं. और तो और इन्हें डिस्प्ले बोर्ड पर लगा देना चाहिए.
  • वर्कप्लेस पर एंप्लोयर और अन्य जिम्मेदार लोगों की ये जिम्मेदारी होनी चाहिए कि पीड़ित को अपमानजनक स्थिति का सामना न करना पड़े.
  • शिकायत करने वाली महिला को ये नहीं लगना चाहिए कि उसका स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रभावित हो सकती है.
  • पीड़ित के आरोपों या शिकायतों से उसकी नौकरी, सैलरी या प्रमोशन पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

क्या कहता है वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न एक्ट 2013

इस एक्ट के मुताबिक, ऑफिस को इंटरनल कम्प्लेंट्स कमेटी (ICC) का बनाना जरूरी है. इस कमेटी के सदस्यों में महिलाओं की भागीदारी आधी से ज्यादा होनी चाहिए और कमेटी की मुखिया का महिला होना भी जरूरी है. एक बाहरी सदस्य भी होना चाहिए.

वैसे तो कमेटी को 90 दिन के भीतर शिकायत पर जांच पूरी करनी चाहिए, लेकिन कुछ मामलों में वक्त ज्यादा दिया जा सकता है.

क्या आप जानते हैं?
ये कमेटी तब नहीं बनेगी जब एम्प्लॉयर के खिलाफ केस हो या वर्कप्लेस पर 10 से कम लोग हों. ऐसी स्थिति में आप डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर द्वारा नियुक्त की गई लोकल कंप्लेंट कमेटी (LCC) में शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

एक्ट के अनुसार, राज्य सरकारों और विभागों की जिम्मेदारी है कि वे ध्यान रखें कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस अधिनियम को सही से लागू करें.

इस बात का ध्यान दिया जाता है कि ऑफिस महिलाओं को वर्कप्लेस पर सुरक्षित माहौल देने में सक्षम है या नहीं. ऐसा न करने पर सजा का प्रावधान भी हैं.

कंपनी का लाइसेंस भी हो सकता है रद्द

एक्ट की धारा 23(1) में कहा गया है कि अगर इम्प्लॉयर इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसपर 50,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है या उसका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.

इसलिए महिलाएं वर्कप्लेस पर खुलकर काम करें और परेशानी होने पर घबराएं नहीं बल्कि शिकायत दर्ज कराएं.

यह भी पढ़ें: जानें TVF फेम अरुणाभ पर महिलाओं ने किस-किस तरह के आरोप लगाए हैं

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