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मोटापे से जुड़े ये आंकड़े हैरान कर सकते हैं,भारत में भी हालात बदतर

भारत में शहरी क्षेत्रों में 52 फीसदी पुरुषों और 59 फीसदी महिलाओं का वजन अधिक है.

द क्विंट
लाइफस्टाइल
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प्रतीकात्मक तस्वीर
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  (फोटो: iStockphoto)

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दुनिया भर में मोटापे से जुड़ी बीमारियों पर होने वाला सालाना खर्च साल 2025 तक 1,200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, अगर तेजी से बिगड़ते हालात पर पर काबू नहीं पाया जाता है.

विश्व मोटापा संघ (WOF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 तक दुनिया में कुल 2.7 अरब वयस्क अधिक वजन वाले या मोटापे के शिकार होंगे. वहीं भारत में भी हालात बदतर होती जा रही है. इंडिया स्पेंड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के आधे से अधिक शहरी वयस्कों का वजन मानकों से अधिक हैं.

मोटापा और धूम्रपान से बढ़ रही हैं बीमारियां

विश्व मोटापा संघ (WOF) ने अपने अनुमान में कहा है कि कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स और मधुमेह जैसे रोग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं जिसका अहम कारण मोटापा और धूम्रपान है.

द गार्जियन में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दोनों (मोटापा और धूम्रपान) आधुनिक दुनिया के सबसे बड़े हत्यारे हैं.

इसमें बताया गया कि अमेरिका में इलाज का बिल महज 8 सालों में 325 अरब डॉलर से बढ़कर 2014 में 555 अरब डॉलर हो गया. ब्रिटेन में यह साल 2025 तक 19 अरब डॉलर सालाना से बढ़कर 31 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.

द गार्जियन ने WOF की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अगर मोटापे को रोकने के उपाय नहीं किए जाते हैं, तो अगले 8 सालों में अमेरिका में मोटापे से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर कुल 4,200 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे, जबकि जर्मनी 390 अरब डॉलर, ब्राजील 251 अरब डॉलर और ब्रिटेन 237 अरब डॉलर खर्च करेगा.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि

  • साल 2025 तक दुनिया में कुल 2.7 अरब वयस्क अधिक वजन वाले या मोटापे के शिकार होंगे.
  • इनमें से ज्यादातर को इलाज की जरूरत होगी.
  • इसका मतलब यह है कि दुनिया की एक तिहाई आबादी अधिक वजन या मोटापा का शिकार होगी.
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भारत में क्या हैं हालात?

इंडिया स्पेंड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में WHO एशियाई मानकों के मुताबिक

  • शहरी क्षेत्रों में 52 फीसदी पुरुषों और 59 फीसदी महिलाओं का वजन अधिक है.
  • राज्यों में राजस्थान में अधिक वजन वाले पुरुष (42.6 फीसदी) और पुडुचेरी में सबसे अधिक वजन वाली महिलाएं (59.8 फीसदी) हैं.
इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन’ (एनआईएन) के एक हाल की स्टडी के मुताबिक भारत अब पोषण और अति पोषण के दो मुद्दों से निपट रहा है.

शहरी इलाकों में, पांच से कम उम्र के बच्चों में, 25 फीसदी कम वजन वाले थे, 29 फीसदी स्टंड थे और 16 फीसदी वेस्टेड ( कद के अनुसार कम वजन ) थे. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों के बच्चों में कुपोषण कम है. लेकिन विकसित देशों की तुलना में यह अधिक है.

दूसरी ओर, भारत के शहरों के वयस्क मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापा यानी ज्यादातर जीवनशैली के रोगों का सामना कर रहे हैं. तीन वयस्कों में से एक हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहा है. 4 में से 1 डायबिटीज और तीन में से 1 हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे का शिकार है.

(सोर्स: IANS/इंडिया स्पेंड)

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