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भारतीय रेलवे माल ढुलाई को आकर्षक बनाने के लिये अलग-अलग उपायों पर गौर कर रहा है. इसके तहत माल भाड़े से कमाई बढ़ाने के लिये लंबी दूरी के वस्तुओं के परिवहन पर कुछ छूट और देरी से डिलिवरी पर ‘कैशबैक’ जैसी योजनाएं पेश करने पर विचार कर रहा है.
दरअसल लॉकडाउन के दौरान माल भाड़ा कमाई में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान उठाने के बाद रेलवे अब अपनी कमाई पर ध्यान दे रही है. ताजा आंकड़ों के अनुसार रेलवे की माल ढुलाई से कमाई इस साल अप्रैल-मई के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 8,283 रुपये कम हुई है.
यह बताता है कि कोरोना वायरस संकट के बीच रेलवे के लिये कमाई के लिहाज से यह नरम वर्ष रह सकता है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इसमें रेलवे के माध्यम से वस्तुओं की ढुलाई को और व्यवहारिक तथा आकर्षक बनाने के लिये उपायों पर विचार किया गया.
उन्होंने रेल मंडलों को रेलवे से सामान की ढुलाई को लेकर स्थानीय कारोबारियों और माल आपूर्तिकर्ताओं तक पहुंचने के लिये प्रोत्साहित किया. साथ ही उन्हें यथासंभव निर्धारित पार्सल ट्रेन चलाने के निर्देश दिया.
एक अधिकारी ने कहा, बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गयी कि क्या हम अपने ग्राहकों को देरी से सामान की डिलिवरी पर छूट या ‘कैशबैक’ दे सकते हैं जैसा हम तेजस एक्सप्रेस ट्रेन में कर रहे हैं. साथ ही लंबी दूरी के लिये माल ढुलाई पर रियायती दरों की पेशकश पर भी विचार किया गया.
आईआरसीटीसी द्वारा संचालित तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के देरी से पहुंचने पर हर्जाना दिया जाता है. अधिकारी के अनुसार इस बात पर भी चर्चा हुई कि मंडल कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया से समन्वय कर एक कार्य योजना तैयार करे ताकि ओड़िशा में कोयला खानों से सीधे ईधन देश के दक्षिण भागों में स्थित बिजली संयंत्रों को पहुंचाया जा सके.
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