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Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2024: महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती (Dayanand Saraswati) की जयंती आज 5 मार्च को मनाई जा रही है. महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (Maharishi Dayanand Saraswati) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक, तथा आर्य समाज के संस्थापक थे. उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना. ‘वेदों की ओर लौटो’ यह उनका प्रमुख नारा था. स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अपना खास योगदान दिया है.
इस दिन लोग दयानंद सरस्वती के विचारों को याद करते हैं और उनके द्वारा दिए कोट्स और उपदेश भेजकर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देते हैं. अगर आप भी स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कोट्स भेजकर दे सकते हैं.
इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र आवाज है.
कोई मूल्य तब मूल्यवान है जब मूल्य का मूल्य स्वंय के लिए मूल्यवान हो.
लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए, मानसिक अंधकार का प्रसार मूर्तिपूजा के प्रचलन के कारण है.
हमें पता होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है थोपा नहीं जा सकता और ऐसी कोई कृपा नहीं है जो कमाई ना जा सके.
नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना, वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है.
अज्ञानी होना गलत नहीं है; अज्ञानी बने रहना गलत है.
सेवा का उच्चतम रूप एक ऐसे व्यक्ति की मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है.
सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो.
गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है और बिना गीत के मर्म को छूना मुश्किल है.
अगर आप पर हमेशा ऊंगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते.
मनुष्यों के भीतर संवेदना है, इसलिए अगर वो उन तक नहीं पहुंचता जिन्हें देखभाल की ज़रुरत है तो वो प्राकृतिक व्यवस्था का उल्लंघन करता है.
वो अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, पुण्य के कामों पर काम करता है, और दूसरों को अच्छा और खुश करने की कोशिश करता है.
भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है, वह अविनाशी और अपार है, जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है.
नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है, उससे मिलने वाली सीख को कभी ना भूलना, यही चीज आपको सही मायने में विजेता बनाएगी.
आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आजाद रह सकें लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता। दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं.
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