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अगर देश में सेक्स रेशियों नहीं सुधरा, तो आने वाले दशकों में रक्षाबंधन पर कई सूनी कलाइयां बहनों का इंतजार ही करती रह जाएंगी.
रक्षाबंधन पर बहनों से राखियां बंधवाना, एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाना और फिर गिफ्ट देना, ऐसा तो हर साल होता है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि देश एक बड़े सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. अगर सब कुछ इसी पैटर्न पर चलता रहा, तो रक्षाबंधन की खुशी आने वाले दिनों में फीकी पड़ सकती है.
रक्षाबंधन के बहाने हम देश में सेक्स रेशियों की मौजूदा स्थिति पर गौर कर रहे हैं. आगे दिए गए इन्फोग्राफिक्स में ये देखा जा सकता है कि किन राज्यों में लिंगानुपात की हालत ठीक-ठाक है और कौन-से राज्य इसमें ज्यादा पीछे हैं.
हम देख सकते हैं कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में औसतन हजार पुरुषों के मुकाबले 943 महिलाएं हैं.
सेक्स रेशियों के मामले में सबसे ऊपर केरल है, जहां प्रति हजार पुरुष के मुकाबले 1084 महिलाएं हैं. लिस्ट में हरियाणा सबसे निचले पायदान पर है, जहां प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले 879 महिलाएं ही हैं.
अगर तर्क की बात करें, तो किसी घर की एक ही बहन अपने चाहे कितने ही भाइयों को राखी बांध सकती है, लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है.
इन बातों पर गौर करने का रक्षाबंधन से बेहतर मौका और कौन-सा हो सकता है. जब गर्भ में पलती कन्याओं की रक्षा होगी और संतान के बीच लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म होगा, तभी राखी का त्योहार आने वाले दौर में भी भरपूर खुशियों का पैगाम लेकर आ सकेगा.
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