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Ramadan 2024: खजूर से रोजा क्यों खोलते हैं मुस्लिम समाज के लोग? जानें कारण

Ramadan 2024: खजूर के पेड़ को अरबी में "नखल" कहा जाता है, जबकि उसके फल को अरबी में "तम्र" कहा जाता है.

विशाल विश्वकर्मा
लाइफस्टाइल
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Ramadan 2024: खजूर से रोजा क्यों खोलते हैं मुस्लिम समाज के लोग? जानें इसके पीछे का कारण</p></div>
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Ramadan 2024: खजूर से रोजा क्यों खोलते हैं मुस्लिम समाज के लोग? जानें इसके पीछे का कारण

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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रमजान (Ramadan) एक महीने तक चलने वाला त्योहार है. इस्लाम में आस्था रखने वाले लोगों के लिए रमजान का महीना खास महत्व रखता है जिसे दुनिया भर के मुसलमान (Muslims) मनाते हैं. यह उपवास, चिंतन और उत्सव का वक्त होता है. एक महीने तक चलने वाले रोजे के दौरान खजूर एक ऐसा फल है जो सबका पसंदीदा होता है. लेकिन रमजान के दौरान खजूर इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?

आइए आपको बताते हैं कि खजूर, माह-ए-रमजान का क्यों है अभिन्न अंग.

रमजान में खजूर से ही रोजा क्यों खोला जाता है?

रोजा चाहे रमजान का हो या किसी और दिन का, खजूर से ही खोलना अनिवार्य नहीं है. आप किसी भी हलाल चीज /पदार्थ को खाकर अपना रोज़ा खोल सकते है लेकिन रोजा रखने वाले अमूमन खजूर से ही रोजा खोलते हैं.

ऐसा इसलिए क्योंकि इसे इस्लाम में सुन्नत (" पैगंबर का तरीका ") माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि खजूर पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल था. वे खजूर खाकर रोजा खोलते थे इसलिए आज भी खजूर खाकर रोजा खोला जाता है.

कुरान में लिखा है कि 'पैगम्बर साहब तुम्हारे लिए आइडियल है'. लिहाजा रोजा खोलने के मामले में मुसलमान, पैगम्बर साहब का अनुसरण करने की कोशिश करते हैं.

खजूर के पेड़ को अरबी में "नखल" कहा जाता है जबकि उसके फल को अरबी में "तम्र" कहा जाता है.

पौष्टिक खजूर

खजूर अत्यधिक पौष्टिक होते हैं. उपवास के बाद, आपका शरीर अपने ऊर्जा स्रोतों को बनाए रखने के लिए कार्ब्स और सुक्रोज (चीनी) चाहता है. इसमें कार्ब्स, फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, मैगनीज, आयरन और विटामिन बी6 होता है.

खजूर ऊर्जा का एक प्राकृतिक स्रोत है. खजूर में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है जिससे कई बीमारियों का खतरा कम होता है. बता दें, खजूर में केले की तुलना में अधिक पोटेशियम, मैग्नीशियम,आयरन, तांबा, फास्फोरस और कैल्शियम होता है.

रमजान में सहरी और इफ्तारी?

सहर का अर्थ सुबह से होता है. सुबह के समय अजान के पहले रोजे की नियत कर कुछ खाया जाता है. सुबह के वक्त के खाने को सहरी कहते हैं. वहीं इफ्तार का मतलब बंदिश को तोड़ने से है. शाम को मगरिब की अजान होते ही बंदिश यानी रोजा खत्म हो जाता है इसलिए इसे इफ्तारी कहा गया है.

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Published: 11 Mar 2024,05:37 PM IST

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