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जोड़ियां आसमान से बनकर आती हैं और एक दिन अचानक पता चला कि वे आसमान में टूट भी जाती हैं. दोहा से बाली छुट्टियां मनाने जा रहे एक परिवार के साथ यह हो गया. उनका प्लेन जब आसमान में था, तब पत्नी ने सोये हुए पति का अंगूठा लगाकर उसके मोबाइल फोन का फिंगरप्रिंट कोड तोड़ लिया.
फोन में पति के विवाहेतर संबंध के तमाम सबूत बिखरे पड़े थे. उन्हें देखते ही पत्नी बिफर गईं. उसने इतना बवाल काटा कि प्लेन को बीच रास्ते, चेन्नई में उतारना पड़ा. पति, पत्नी और बच्चे को उतार दिया गया और प्लेन बाली की ओर उड़ गया.
स्वागत है संबंधों की नई दुनिया में, जिसमें अब मोबाइल फोन, सोशल नेटवर्क और व्हाट्सऐप जैसे चैटिंग नेटवर्क का न सिर्फ प्रवेश हो चुका है, बल्कि उनमें संबंधों को बनाने और बिगाड़ने की ताकत आ गई है. अब कसमें-वादे-प्यार-वफा सब कुछ स्क्रूटनी यानी जांच के दायरे में है. हमारे जीवन में मोबाइल फोन और इंटरनेट अब हड्डियों के अंदर तक समा गया है. हमारी हर हरकत, यहां तक कि सोचने का तरीका तक अब अपने डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ जा रहा है.
हमारे सर्फिंग बिहेवियर से हमारे व्यक्तित्व के बारे में तमाम जानकारियां ली जा सकती हैं. वे जानकारियां भी, जिन्हें हम अन्यथा छिपा ले जाते हैं. मिसाल के तौर पर, यह मुमकिन है कि हम सार्वजनिक जीवन में एकनिष्ठ पति या पत्नी की भूमिका जी रहे हैं और एकांत में डेटिंग साइट पर सेक्स खोज रहे हों.
यह इस कदर टूट गया है कि गूगल जैसे सर्च इंजन और फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप हमारे बारे में हमसे भी ज्यादा जानने लगे हैं. हम किस तरह की खबरें देखते हैं, इंटरनेट पर कैसी तस्वीरें देखते हैं, वीडियो देखने में हमारी क्या पसंद है, कैसे गाने सुनते हैं, क्या सामान खरीदते हैं, किन सामानों को सिर्फ देखते हैं, पर खरीदते नहीं है, किनसे बात करते हैं, किनसे सिर्फ रात में बात करते हैं, किनसे लंबी और किनसे छोटी बात करते हैं, दो लोगो के बीच किस तीसरे आदमी से बात करते हैं, किससे बात होने के बाद अक्सर उसे फोटो भेजते हैं, किनसे बातचीत के बाद ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, किनसे बातचीत के बाद पोर्न देखते हैं...यानी सबकुछ के डिजिटल निशान हम छोड़ते जा रहे हैं.
ऐसे समय में अगर संबंधों पर इन डिजिटल निशान की छाया पड़ रही है, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है. हमारे सर्फिंग, चैटिंग और सोशल नेटवर्किंग बिहेवियर के आधार पर, हमारा पार्टनर हमारे बारे में राय बनाने के लिए पहले की तुलना में बेहतर पोजिशन में है. अगर हमारा फोन और सोशल और चैटिंग नेटवर्क के पासवर्ड हमारी पार्टनर के पास हैं, तो इस बात के कम ही चांस हैं कि हम अपना असली चेहरा छिपा ले जाएंगे.
दो ही उपाय हैं. या तो अपना पासवर्ड छिपा ले जाएं. इतने शातिर बनें कि सोशल और चैटिंग नेटवर्क का एक हिस्सा प्राइवेट रख लें. यह जोखिम का धंधा है. यह मुमकिन है कि आपका या आपकी पार्टनर आपसे तेज निकल जाए. आप गारंटी से नहीं कह सकते कि लंबे समय तक आप अपनी शैतानी छिपा ले जाएंगे. अगर यह गलत है, तो आपके पकड़े जाने की आशंका लगातार बनी रहेगी.
तो फिर क्या करें. देखिए, भलाई इसी में है कि साफ सुथरी जिंदगी बिताएं. खासकर तब जब आप कमिटमेंट से बंधे हैं या शादी में हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि ऐसा कुछ न करें कि आपके या आपकी पार्टनर को पता चल जाए तो विमान को अनशेड्यूल्ड लैंडिंग करानी पड़े. इसका तरीका यह है कि फोन और सोशल तथा चैटिंग नेटवर्क के पासवर्ड शेयर करें. यह आपको साफ-सुथरा और नैतिक बने रहने में मदद करेगा. देखा जाए तो डिजिटल दुनिया ने रिश्ता ज्यादा ट्रांसपेरेंट बना दिया है.
पासवर्ड पार्टनर के साथ शेयर करें. अगर आप साफ हैं तो आपको कोई भय नहीं होना चाहिए. अगर आपने कचरा फैला रखा है, तो पासवर्ड शेयर न करें और उस दिन का इंतजार करें, जब पार्टनर आपका अंगूठा फोन में सटाकर आपका फोन खोल ले और आपके फैलाए कचरे का दर्शन कर ले.
जो लोग पासवर्ड पार्टनर को नहीं बताना चाहते या चाहतीं, उनसे एक सवाल. आखिर आप छिपाना क्या चाहते हैं? आपकी जिंदगी में ऐसे कौन से राज हैं, जो आप अपने पार्टनर को बताना नहीं चाहते. खैर, अगर छुपाना ही चाहते हैं, तो आपकी मर्जी. आपने जिनके साथ जिंदगी बिताने का फैसला किया है या जिनके साथ जिंदगी बिता रहे हैं, उनसे आप कुछ भी छुपा क्यों रहे हैं?
लेकिन कुछ राज ऐसे हो सकते हैं, जिनका आपके या आपकी पार्टनर तक पहुंचना सही नहीं है. मिसाल के तौर पर अगर आप किसी डिफेंस की संस्था में काम कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आपका प्रोटोकॉल इस बात की इजाजत न दे कि आपके ऑफिशियल मेल कोई भी देखे. या हो सकता है कि आपके पास ऐसा कोई राज है, जिसे जानना आपके अपने परिवार के लिए सही न हो.
मैं नहीं जानती. सॉरी. आप संभालिए. कोशिश कीजिए कि आपकी वजह से प्लेन को उतारने की नौबत न आए. बाली जा रहे बाकी यात्रियों ने आपका क्या बिगाड़ा है?
(लेखिका भारतीय सूचना सेवा में अधिकारी हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)
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