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भारत में बच्चों को घर से बाहर खेलने (आउटडोर गेम्स) के मौके उनके माता-पिता के बचपन की तुलना में कम मिलते हैं.
10 देशों किए गए सर्वे में पाया गया कि दुनियाभर में लगभग आधे बच्चे सिर्फ एक घंटे या इससे भी कम समय तक अपने घर के बाहर खेलते हैं. रिसर्च में 12 हजार ऐसे पैरेंट्स को शामिल किया गया जिनके कम से कम एक बच्चे की उम्र 5 से 12 साल के बीच है.
रिसर्चर्स ने पाया कि भारत में 56 फीसदी अभिभावकों का ऐसा मानना है कि उनके बच्चों को बाहर खेलने के मौके कम मिलते हैं, वो इसकी तुलना खुद के बचपन से करते हैं.
गुरुग्राम में कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता शर्मा ने कहा, बच्चों का शारीरिक ऊर्जा स्तर काफी अधिक होता है और इसलिए उनके लिए आउटडोर खेल और एक्टिविटिज बहुत अहम होती हैं. इससे वे प्रैक्टिकली सिखते हैं और उनके दिमाग का अधिक इस्तेमाल भी होता है.
उन्होंने कहा, जब वे घर में ही बंद रहते हैं तो उनके इम्यून सिस्टम (रोग-प्रतिरोधक प्रणाली) का विकास कम होता है. चाइल्ड डेवलपमेंट के सेक्टर में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को अभिभावकों और स्कूलों के साथ मिलकर बच्चों को ज्यादातर आउटडोर एक्टिविटिज करवाने के तरीके खोजने चाहिए.
आउटडोर गेम्स के कम होते वक्त पर दिल्ली के एक NGO ने देशभर के टीचर्स से आग्रह किया है कि वो ग्लोबल आउटडोर क्लासरुम डे पर इस साल 12 अक्टूबर को कम से कम एक क्लास, क्लासरूम से बाहर लें.
एक्शन फॉर चिल्ड्रन्स एन्वायरनमेंट (ACE) की सीईओ सुदेशना चटर्जी ने कहा, हम टीचर्स, पैरेंट्स और बच्चों की परवाह करने वाले सभी लोगों से 12 अक्टूबर 2017 को इस अभियान से जुड़ने का अनुरोध करते हैं.
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