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Saraswati Puja 2021 Mantra And Aarti: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है. मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती के मंत्र, आरती और वंदना का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो इस साल 5 फरवरी के दिन पड़ रही है. इस दिन सरस्वती माता की सफेद या पीले वस्त्र, पीले फूल, गुलाल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि से पूजा करते हैं.
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सद्गुण, वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ।।जय..।।
चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।
सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।। जय.।।
बायें कर में वीणा, दूजे कर माला।
शीश मुकुट-मणि सोहे, गले मोतियन माला ।।जय..।।
देव शरण में आये, उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी, असुर-संहार किया।।जय..।।
वेद-ज्ञान-प्रदायिनी, बुद्धि-प्रकाश करो।।
मोहज्ञान तिमिर का सत्वर नाश करो।।जय..।।
धूप-दीप-फल-मेवा-पूजा स्वीकार करो।
ज्ञान-चक्षु दे माता, सब गुण-ज्ञान भरो।।जय..।।
मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी, सुखकारी ज्ञान-भक्ति पावे।।जय..।।
विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
सरस्वती देवी का मूल मंत्र
ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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