Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Shabari Jayanti 2022: शबरी जयंती कब, जानें महत्व, पूजा विधि व मुहूर्त

Shabari Jayanti 2022: शबरी जयंती कब, जानें महत्व, पूजा विधि व मुहूर्त

Shabari Jayanti 2022: शबरी के झूठे बेर श्री राम ने खाए थे और उनकी भक्ति को पूरा किया था.

क्विंट हिंदी
लाइफस्टाइल
Published:
<div class="paragraphs"><p>Shabari Jayanti 2022</p></div>
i

Shabari Jayanti 2022

(फोटो-ट्विटर)

advertisement

Shabari Jayanti 2022: शबरी जयंती इस साल 23 फरवरी को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान राम की अनन्य भक्त माता शबरी को समर्पित होता है.उत्तर भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है. इस दिन माता शबरी की पूजा-अर्चना की जाती है.

मान्यता के अनुसार अगर विधि-विधान के साथ माता शबरी की पूजा की जाए तो प्रभु श्री राम की कृपा भक्त के ऊपर ठीक उसी तरह रहती है जिस तरह से माता शबरी के ऊपर थी. शास्त्रों के अनुसार, शबरी को भगवान श्री राम का भक्त माना जाता है. शबरी के झूठे बेर श्री राम ने खाए थे और उनकी भक्ति को पूरा किया था.

Shabari Jayanti 2022: शुभ मुहूर्त

  • शबरी जयन्ती बुधवार, 23 फरवरी, 2022 को मनाई जाएगी.

  • सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 22 फरवरी, 2022 को 06:34 पी एम से

  • सप्तमी तिथि समाप्त - 23 फरवरी, 2022 को 04:56 पी एम तक

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

Shabari Jayanti 2022: पूजा विधि

  • शबरी जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.

  • इसके बाद एक चौकी को गंगाजल से शुद्द कर उस पर भगावान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें.

  • प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान श्री राम को फल, फूल व नैवेद्य और बेर विशेष रूप से अर्पित करें.

  • इसके बाद भगवान श्री राम के आगे धूप व दीप जलाने चाहिए.

  • धूप व दीप जलाने के बाद भगवान श्री राम की विधिवत पूजा करनी चाहिए.

  • इसके बाद भगवान श्री राम की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए.

  • भगवान श्री राम की कथा पढ़ने और सुनने के बाद उनकी धूप व दीप से आरती उतारनी चाहिए.

शबरी माता कौन थी

माता शबरी का नाम श्रमणा था उनका जन्म शबरी परिवार में हुआ था वह भगवान श्री राम की बड़ी भक्त थीं. जब शबरी विवाह योग्य हुईं, तो उनके पिता और भीलों के राजा ने शबरी का विवाह भील कुमार से तय कर दिया. उस समय विवाह के समय जानवरों की बलि देने की प्रथा दी, जिसका माता शबरी ने विरोध किया और जानवरों की बलि प्रथा को खत्म करने के लिए उन्होंने शादी नहीं की.

इसके अलावा एक कथा और प्रचलित है, जिसके मुताबिक, पति के अत्याचार से कुंठित होकर श्रमणा घर त्यागकर वन चली जाती हैं. वन में श्रमणा ने भगवान श्री राम का विधि-विधान से पूजन, जप और तप किया. कालांतर में वनवास के दौरान भगवान श्री राम और माता शबरी की मुलाकात हुई.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT