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आप डायबिटिक हैं, लेकिन मीठा खाना चाहते हैं, तो आपके दिमाग में सबसे पहले शुगर फ्री का ख्याल आता है,और डायबिटीज के मरीजों के लिए पूरा बाजार भी तैयार है. शुगर फ्री मिठाइयां, लड्डू, केक, पेस्ट्री और साथ में बहुत से शुगर सब्स्टिट्यूट्स, जिनका घर में भी मीठी चीजें बनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है.
लेकिन क्या शुगर फ्री वाकई में डायबिटिक लोगों के लिए इतना बेहतर होता है कि वो बिना किसी चीज की परवाह किए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं? चाय या हलवे में चीनी की जगह शुगर फ्री डाल सकते हैं? शुगर सब्स्टिट्यूट्स और शुगर फ्री चीजों के बारे में दुनिया भर के विशेषज्ञ, डॉक्टर्स और रिसर्चर्स की क्या राय है?
शुगर सब्स्टिट्यूट्स और शुगर फ्री प्रोडक्ट्स को लेकर फिट ने फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉ रूपक वाधवा और अपोलो हॉस्पिटल में डायबिटीज एजुकेटर विवेका कौल से बात की.
फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर रूपक वाधवा कहते हैं कि डायबिटिक लोगों को चीनी एक सीमित मात्रा में लेनी होती है और इसलिए उन्हें रिफाइंड शुगर से बनी मीठी चीजें बिल्कुल ही मना होती हैं.
शुगर फ्री शुगर का एक सब्स्टिट्यूट है, जो मीठेपन का एहसास कराता है, लेकिन उनमें कैलोरी नहीं होती है या बहुत कम होती है. चीनी का कैलोरी उत्पादन ज्यादा होता है, इसीलिए डायबिटीज में चीनी खाना मना किया जाता है. 5 ग्राम चीनी में करीब 20-25 कैलोरी होती है.
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डॉ वाधवा के मुताबिक ये शुगर फ्री पर डिपेंड करता है. नैचुरल इंग्रेडिएंट्स वाले शुगर फ्री ज्यादा अच्छे होते हैं बजाय उनके जिनमें केमिकल ज्यादा यूज होता है. अब ऐसे शुगर फ्री प्रोडक्ट्स आ रहे हैं, जिनमें नेचुरल इन्ग्रेडिएंट्स होते हैं.
अपोलो हॉस्पिटल में डायबिटीज एजुकेटर विवेका कौल कहती हैं कि डायबिटिक लोगों के लिए चीनी के विकल्प के तौर पर आने वाले शुगर फ्री प्रोडक्ट्स भी कभी-कभी स्मॉल पोर्शन में ही लेने की सलाह दी जाती है.
डॉ वाधवा के मुताबिक स्टीविया नैचुरल स्वीटनर है, लेकिन इसका यूज भी लिमिटेड होना चाहिए.
Healthline.com के मुताबिक स्टीविया इस्तेमाल करने का सबसे बेस्ट तरीका है कि इसका पौधा खुद लगाया जाए और फिर उसकी पत्तियां इस्तेमाल की जाएं क्योंकि इससे तैयार शुगर सब्स्टिट्यूट्स प्रोसेस्ड होते हैं और उनमें कई और अवयव भी होते हैं. साथ ही प्रोसेस्ड स्टीविया स्वीटनर्स पर और रिसर्च की जरूरत है.
शुगर फ्री से बनी खाने की चीजें जरूरी नहीं है कि कार्बोहाइड्रेट फ्री हों या उनमें लो कार्बोहाइड्रेट हो. भले ही उनके शुगर फ्री होने का दावा किया जा रहा हो. इसलिए हो सकता है कि शुगर फ्री से तैयार ड्रिंक्स, मिठाइयां और दूसरी चीजों में हाई कैलोरी हो.
विवेका कौल कहती हैं कि इन सभी उत्पादों में कैलोरीज होती हैं, इसलिए डिपेंड करता है कि इनमें कौन सा शुगर फ्री यूज किया जा रहा है. डायबिटिक लोगों को शुगर फ्री प्रोडक्ट्स कभी-कभी लेने को कह दिया जाता है, लेकिन हम ऐसी चीजें बहुत कम मात्रा में ही लेने को कहते हैं.
डॉ वाधवा इस बात पर जोर देते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को लिमिटेड कैलोरीज में खाना होता है, जैसे किसी का वजन ज्यादा हो तो उसे 1,800 कैलोरी की डाइट देते हैं, जिनका वेट कम है, उन्हें 2,000-2,200 कैलोरी की डाइट देते हैं या जो बहुत ज्यादा ओवरवेट होते हैं, उन्हें 1,500 कैलोरी की डाइट भी देनी पड़ती है.
डॉ वाधवा कहते हैं कि प्रेग्नेंट लेडीज और बढ़ते हुए बच्चों को शुगर फ्री प्रोडक्ट्स का यूज नहीं करना चाहिए.
डॉ वाधवा के मुताबिक अगर डायबिटिक बच्चों को मीठा खाने का बहुत मन हो रहा है, तो जैसे सेब है, वो मीठा ही है, उसमें चीनी नहीं है. वो ले सकते हैं.
Healthline.com के मुताबिक कुछ आर्टिफिशियल स्वीटनर्स शुगर फ्री और डायबिटिक फ्रेंडली होने का दावा करते हैं, लेकिन कुछ अध्ययनों के मुताबिक असल में इनका बुरा असर पड़ता है.
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को लेकर काफी विवाद रहा है कि इनसे कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होने की बात भी कही जाती रही है. 70 के दशक में किए गए कुछ अध्ययनों के मुताबिक लैबोरेटरी रैट्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर सैक्रीन का ब्लैडर कैंसर से संबंध पाया गया था. फिर 90 के दशक में वैज्ञानिकों ने पाया कि इंसानों में इससे कैंसर नहीं होता. हालांकि सेंटर फॉर साइंस इन दि पब्लिक इंटरेस्ट (CSPI) इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं देती है.
दुनिया भर में एस्पार्टेम सबसे ज्यादा बेचे जाने वाला स्वीटनर है, जो चीनी से 200 गुना ज्यादा मीठा होता है, इसे अमेरिका की FDA (Food and Drug Administration), WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) और FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से मान्यता मिली हुई है.
मायो क्लिनिक के मुताबिक आम तौर पर आर्टिफिशियल स्वीटनर्स ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाते, लेकिन कोई भी शुगर सब्स्टिट्यूट इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
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