Home Lifestyle चुंबन के वो तरीके, जो हमने पूरी दुनिया को सिखाए
चुंबन के वो तरीके, जो हमने पूरी दुनिया को सिखाए
आज से करीब 2000 साल पहले के साहित्य में भी ‘फ्लाइंग जैसे’ Kiss का जिक्र मिलता है.
अमरेश सौरभ
लाइफस्टाइल
Updated:
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प्राचीन संस्कृत साहित्य में 20 से ज्यादा तरह के किस की विस्तार से चर्चा है
(फोटो साभार: pixabay.com)
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क्या आपका सामना कभी सम, तिर्यक, संपुटक, संक्रांतक जैसे शब्दों से हुआ है? हम न तो ज्योमेट्री की बात कर रहे हैं, न ही ज्योग्रफी की. हम तो बस प्यार भरे चुंबन की बात कर रहे हैं.
वैसे तो आज के दौर में फ्लाइंग किस, बटरफ्लाई किस और फ्रेंच किस जैसे शब्दों का इस्तेमाल बोलचाल में ज्यादा होता है. लेकिन हम आपको बता दें कि ये पश्चिमी देशों या यूरोप की बपौती नहीं है. प्राचीन संस्कृत साहित्य 2000 साल पहले से ही फ्लाइंग किस जैसे चुंबन की बात कह रहा है.
दुनियाभर में मशहूर आचार्य वात्स्यायन के कामसूत्र में तो चुंबन पर पूरा का पूरा एक अध्याय ही है. इसमें किस और इसे करने के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी दी गई है. किस करने वाले की स्थिति, भावना और अंगों के अनुसार इसे कई तरीकों में बांटा गया है.
सम : जब प्रेमी जोड़ा आमने-सामने होकर एक-दूसरे के होठों को चूमता है
तिर्यक : जब स्त्री या पुरुष तिरछा होकर अपने होठों को गोलाकर करते हुए दूसरे के होठों का चुंबन करते हैं
उद्भ्रांत : जब दूसरे के सिर और ठुड्डी को पकड़कर मुंह को अपनी ओर मोड़कर चूमते हैं
पीडितक : सम, तिर्यक या उद्भ्रांत में अगर थोड़ी पीड़ा पहुंचाते हुए चुंबन लिया जाए
शुद्ध पीडितक : थोड़ा कष्ट देते हुए चुंबन में केवल होठों का इस्तेमाल
अवलीढ पीडितक: थोड़ा कष्ट देते हुए चूमने में जीभ की नोक का भी इस्तेमाल
अवपीडित : जब दूसरे के नीचे वाले होठ को अंगूठे और तर्जनी उंगली से पकड़कर गोल बनाकर केवल होठों से दबाया जाए
उत्तर चुम्बितक : जब स्त्री पुरुष के नीचे वाले होठ को चूम रही हो और पुरुष उसका ऊपर वाला होठ चूम रहा हो
संपुटक : दोनों होठों को अपने दोनों होठों के बीच में दबाकर दांतों से थोड़ा कष्ट पहुंचाते हुए चूमना
मृदु : स्त्री या पुरुष के माथे और आंखों पर प्यार भरा चुंबन
सम : पुरुष के सीने पर लिया जाने वाला चुंबन भी सम कहलाता है
(फोटो साभार: pixabay.com)
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पीडित : स्त्री के वक्ष और गालों का चुंबन
अंचित : स्त्री के वक्ष और दोनों बगलों पर लिया जाने वाला चुंबन
चलितक : नींद में सोए पुरुष को सेक्स के लिए जगाने वाला चुंबन
प्रतिबोधिक : बिस्तर पर सोती स्त्री के गालों पर प्यार भरा चुंबन
छाया चुंबन : आइना, दीवार या पानी में अपने चाहने वाले की छाया देखकर उसका चुंबन
संक्रांतक चुंबन : स्त्री की मौजूदगी में उससे प्यार जताने के लिए किसी बच्चे, फोटो या मूर्ति का चुंबन
पादांगुष्ठ चुंबन : पुरुष में काम भावना जगाने के लिए उसके पैर के अंगूठे का चुंबन
निमित्तक : जब स्त्री को किस करने के लिए बाध्य किया जाए और वह पुरुष के होठों पर केवल अपना होठ रख दे
स्फुतरिकत : स्त्री पुरुष के नीचे वाले होठ को अपने दोनों होठों से छूने की कोशिश करे
घट्टितक : इसमें स्त्री अपनी जीभ की नोक से पुरुष के होठों को रगड़ती है
वैसे चुंबन किसी बंधे-बंधाए फॉर्मूले से नहीं हो सकता (फोटो साभार: pixabay.com)
कामसूत्र में ये भी बताया गया है कि पुरुष को स्त्री की हर पहल का उसी तरीके से जवाब देना चाहिए. अगर स्त्री पुरुष का चुंबन ले, तो पुरुष को भी उसी तरह उसका चुंबन लेना चाहिए.
वैसे चुंबन और प्यार किसी बंधे-बंधाए फॉर्मूले से नहीं हो सकते. ये तो प्यार का आवेश ही तय करता है कि किस शरीर के किस अंग पर लिया जाना है.
ये तो प्यार का आवेश ही तय करता है कि किस शरीर के किस अंग पर लिया जाना है (फोटो साभार: pixabay.com)
प्रेम के पारखी और भी हैं!
वात्स्यायन के कामसूत्र के अलावा भी ऐसी कई प्राचीन किताबें हैं, जिनमें प्यार और चुंबन के तरीकों का जिक्र मिलता है. वात्स्यायन के पहले के आचार्यों में नंदी, औद्दालकि, श्वेतकेतु, बाभ्रव्य, दत्तक, चारायण, सुवर्णनाभ, घोटकमुख, गोनर्दीय, गोणिकापुत्र और कुचुमार प्रमुख हैं.
यह बात दावे से कही जा सकती है कि इस विषय पर ऋषियों और विचारकों का ध्यान बहुत पहले से ही जा चुका था. ऐसी रचनाओं का ज्यादातर हिस्सा मनोविज्ञान से जुड़ा है. क्या ये ताज्जुब की बात नहीं है कि आज से 2000 साल पहले भी चिंतकों को मनोविज्ञान का इतना बारीक ज्ञान था?
कालिदास के काव्य और नाटकों में भी प्रसंग के मुताबिक प्रेम और चुंबन का जिक्र कई जगहों पर मिलता है.
रीतिकाल के कवियों ने भी कामसूत्र की बेहद सुंदर झांकी पेश की है. गीत-गोविंद लिखने वाले जयदेव ने अपनी रचना रतिमंजरी में कामसूत्र का सार-संक्षेप पेश किया है.
ऐसे साहित्य की खूबी यह भी है कि ये प्यार में रस घोलना तो सिखाते हैं, लेकिन कहीं से भी गैरजरूरी उत्तेजना पैदा नहीं करते... तो फिर जिंदगी की भाग-दौड़ से थोड़ा वक्त निकालकर ऐसे साहित्य का आनंद उठाइए.