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'मेरे हजरत ने मदीने में मनाई होली'. गौहर जान की आवाज़ उर्दू भाषा में रची-बसी 'गंगा-जमुनी तहजीब' की भावना को बखूबी बयान करती है.
उर्दूनामा के इस खास एपिसोड में फबेहा सैयद नजीर अकबराबादी की कविता की जीवंत दुनिया पर प्रकाश डालती हैं, विशेष रूप से होली के त्योहार का जश्न मनाने वाले उनके विचारों पर ध्यान केंद्रित करती हैं. रंगों के फुहारों से लेकर एकता और उत्सव के गहरे विषयों तक, हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम उर्दूनामा के इस एपिसोड में उर्दू कविता के लेंस के माध्यम से होली की भावना का जश्न मना रहे हैं.
लंबे समय से उर्दूनामा की श्रोता अपरूपा गुप्ता ने कुछ नज़्मों के लिए अपनी आवाज़ दी है. यदि आप भी एक गायक/कवि हैं, तो उर्दूनामा के अगले एपिसोड में शामिल होने के लिए हमें डीएम करें. हम चाहेंगे कि आप हमारी कम्युनिटी का हिस्सा बनें.
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