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कोरोनावायरस की वजह से दुनिया भर के दफ्तर वीरान हो गए हैं. अमेरिका, यूरोप से लेकर भारतीय उप महाद्वीप के देशों में बड़ी तादाद में लोगों को घर से काम करने के लिए कहा जा रहा है. इंटरनेट ने कई इंडस्ट्रीज खास कर खास कर सर्विस सेक्टर से जुड़े दफ्तरों का काम ‘वर्क फ्रॉम होम’ के जरिये आसान बना दिया है. अपने देश में भी बड़ी संख्या में दफ्तरों ने अब ‘वर्क फ्रॉम होम’ अपना लिया है.
‘वर्क फ्रॉम होम’ आपके लिए शानदार अनुभव साबित हो इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि आप बेहतरीन परफॉरमेंस करें और आपका वर्क-होम बैलेंस भी बना रहे.
घर से काम करने का मतलब यह नहीं है आप अनौपचारिक हो जाएं. दफ्तर सुबह 7 बजे से है तो 6.45 पर सोकर उठें. अच्छे परफॉरमेंस के लिए उसी वक्त उठें जिस वक्त आप रेगुलर ऑफिस जाने के लिए उठते थे. हां, दफ्तर पहुंचने में जो वक्त लगता था, उसका इस्तेमाल अच्छे से नाश्ता करने, तसल्ली से अखबार पढ़ने, मनपसंद म्यूजिक सुनने और दफ्तर के लिए अच्छी तैयारी करने में कर सकते हैं. यह बेहद जरूरी है कि आप बिल्कुल उसी वक्त अपने वर्क-स्टेशन पर बैठ जाएं, जिस वक्त ऑफिस में अपनी सीट पर बैठा करते हैं.
काम के लिए ऐसी जगह चुनें, जहां पर्याप्त रोशनी हो. अगर लैपटॉप पर काम कर रहे हैं तो माउस और एक्सटर्नल की-बोर्ड का जरूर इस्तेमाल करें. अच्छा होगा अगर सेंसर वाला माउस इस्तेमाल करें क्योंकि इससे वायर के खिंचने का अंदेशा नहीं रहता.
ऐसा कमरा चुनें, जिसमें दरवाजा हो और जरूरत पड़ने पर आप इसे बंद करके निश्चित तौर पर काम कर सकें. घर में बच्चे हों या पालतू जानवर हों तो लाइव बातचीत या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान ये कमरे में घुस सकते हैं और इससे आपके सामने अजीब स्थिति पैदा हो सकती है. आपने इंटरनेट पर वायरल वो वाकया तो देखा ही होगा जब बीबीसी के लाइव बातचीत करते वक्त प्रोफेसर के कमरे में उनके छोटे-छोटे बच्चे घुस आए थे.
अगर घर में बच्चे हों तो सिचुएशन को कैसे हैंडल करेंगे? छोटे बच्चे की-बोर्ड, माउस और की-बोर्ड की आवाज से काफी आकर्षित होते हैं. हॉन्गकॉन्ग में एडिटर के तौर काम करने वाली यॉन्ग-सैम चो ने ब्लूमबर्ग से कहा, “ बच्चे सुनते नहीं. लाख मना करने पर वो आपकी चीजें छुएंगे. इसलिए आपके काम के वक्त ये बच्चे सो रहे हों तो उन्हें न उठाएं. तीन-चार साल के बच्चों को एंगेज रखने के लिए ढेर सारा कलर पेंसिंल, ड्रॉइंग बुक और रंग-बिरंगे खिलौने ला सकते हैं. फिर भी बच्चे न मानें तो उन्हें टैबलेट पकड़ा दें. सचमुच छोटे बच्चे वाले घरों में ‘वर्क फॉर होम’ चैलेंजिंग लेकिन ऐसे माहौल में काम करना नामुमकिन नहीं.’’
सियोल में काम करने वाली ब्लूमबर्ग के ब्रेकिंग न्यूज एडिटर झेई ली का कहना है कि दफ्तर के गहमागहमी भरे माहौल से अचानक बिल्कुल अलग माहौल यानी घर से काम करना बदलाव तो है लेकिन इसका मतलब यह नहीं आप बिल्कुल एकांत में चले जाएं. लोगों से खुद को अलग कर लें. ली ने कहा कि उन्होंने हर दिन किसी दोस्त से फोन पर बात करना तय किया. गूगल हैंगआउट पर चैट करना या वर्चुअल मीडियम के जरिये उनका हालचाल लेना खुद को आइसोलेशन से बचाने का अच्छा तरीका है.
वर्क फ्रॉम का मतलब यह नहीं है कि आप टापू पर बैठ कर काम रहे हैं. घर में ऑनलाइन काम करने के दौरान अपने को-वर्कर्स के साथ कम्यूनिकेट करते रहें. वॉट्सऐप या ऐसे ही किसी मैसेंजर के जरिये निरतंर संवाद करते रहने से कामकाज में स्पष्टता बनी रहती है और नीरसता भी नहीं आती. चाहे तो घर से काम करने वालों का एक वॉट्सएप ग्रुप बना लें. एक दूसरे से काम के अलावा हल्की-फुल्की बातचीत भी करें जैसा कि दफ्तर में करते हैं.
घर से काम करने का मतलब अपनी सेहत के साथ समझौता करना नहीं है. जिस तरह आप दफ्तर में बीच-बीच में ब्रेक लेते हैं और स्ट्रेचआउट करते हैं. या फिर हेल्दी नाश्ता लेते हैं, सलाद खाते हैं. घर पर भी यही करें. एक बार में ज्यादा देर तक न बैठें. बीच-बीच में उठें और एक्सरसाइज के लिए वक्त निकालें. बच्चों के साथ लंच, डिनर और नाश्ता करें और ब्रेक में उनके साथ खेलें. आपके लिए यह काफी रिलैक्सिंग साबित होगा. और हां, ड्यूटी आवर के बाद भी सीट पर बैठे न रहें.
अब आइए स्मूद वर्किंग के लिए जरूरी लॉजिस्टिक्स पर भी नजर डाल लें
इन आजमाए हुए टिप्स को अपना कर आप अपने वर्क फ्रॉम होम को एक बेहतरीन अनुभव में तब्दील कर सकते हैं. सिर्फ कोरोनावायरस की वजह से पैदा संकट के दिनों में क्यों आगे भी शायद घर से काम करना ज्यादा पसंद करेंगे.
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