Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Food Day 2020: दुनिया के मुकाबले कैसी है भारत की स्थिति? 

World Food Day 2020: दुनिया के मुकाबले कैसी है भारत की स्थिति? 

खाना जिसके बिना हम जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है

प्रगति चौरसिया
लाइफस्टाइल
Updated:
i
null
null

advertisement

खाना जिसके बिना हम जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है खाना फिर भी हम रोजाना खान-पान में इतनी लापरवाही कर बैठते हैं कि इसका खामियाजा आखिर में शरीर को ही भुगतना पड़ता है. यही वजह है कि हमें डाइट और न्यूट्रिशन के लिए भी जागरुक होने की जरूरत पड़ी और इस तरह शुरुआत हुई ‘’World Food Day’’ की.

संयुक्त राष्ट्र के संगठन FOA ( Food and Agriculture Organization) की वर्षगांठ पर 16 अक्टूबर को हर साल World Food Day के तौर पर मनाया जाता है. इस साल 2020 में कोविड-19 महामारी ने कई देशों को अपनी चपेट में लिया है. ऐसे में खानपान और स्वास्थ के नजरिए से इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है.

कोविड-19 के तहत इस साल ‘’Grow  nourish and sustain together. Our actions are our future’’ थीम चुना गया है. पूरे विश्व में महामारी का असर साफ देखने को मिल रहा है. 2020 में GHI (Global Hunger Index) ने 107 देशों का जीएचआई स्कोर साझा किया है.जिसमें भारत 27.2 स्कोर के साथ 94वें रैंक पर है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पोषण को प्रभावित कर रही महामारी

कोरोना ने खानपान पर गहरा असर डाला है. लाॅकडाउन के कारण बजार बंद रहे, कृषी क्षेत्र ठप होने के साथ कीमतों ने आसमान छूना शुरू किया और इस तरह पहले से ही भूखमरी झेल रहा देश और ज्यादा प्रभावित हो गया. देश के कई हिस्सों और तबको में पोषण और खानपान पर गहरा असर पड़ा.

गाइडलाइन के तहत स्कूल बंद हैं. जिससे बच्चों को जो पौष्टिक खाना मिलता था वो भी बंद हो गया. जीडीपी, आर्थिक मंदी और फुड सेफ्टी का डेटा देखकर भविष्य के लिए अभी से तैयारी करना जरूरी हो गया है. जीएचआई ने सचेत किया है कि ऐसी स्थित के साथ भविष्य में कुपोषण का खतरा और भी बढ़ना तय है. कहने का मतलब यह है कि भारत की स्थति पहले से ही कुछ खास नहीं थी और महामारी की वजह से खानपान और पोषण रडार पर है.

थाइलैंड  की सेराह का कहना है कि उन्हें अपने देश का खाना काफी पसंद है. वहां सब्जियां, हर्ब और कई तरह के मसाले खाने में शामिल किए जाते हैं. इन सभी खूबियों के कारण थाइलैंड में लोग खाने को दवाओं के रुप में भी लेते है.जो टेस्टी होने के साथ हेल्दी भी है. सेराह को ट्रैवल और फूड का काफी शौक है. अबतक वह कई देशों के लजीज पकवान चख चुकी है. उनका कहना है कि

तरह- तरह के खाने टेस्ट करने का शौक मुझे हमेशा से रहा है. इंडियन फूड मुझे बहुत पसंद है, क्योंकि इसमें वेज वेरायटी भरपूर देखने को मिलती है. फ्रेश और हेल्दी खाना खाने के बाद मुझे संतुष्टि मिलती है.यह देखकर अच्छा लगता है कि अब ज्यादातर लोगों का झुकाव वेज खाने की ओर बढ़ रहा है. यह जरूरी है कि हम खाने की क्वांटिटी और क्वालिटी दोनों को महत्व दें.
सेराह, टीच एंड ट्रैवल (TEFL टीचर), द साला, थाइलैंड

बेशक यह कहना गलत नहीं होगा की भारत में जितनी वेरायटी खाने में मिलती ही शायद ही किसी और देश में मिलती हो. 29 स्टेट और 7 यूनियन टेरेटरी में आपको एक से बढ़कर एक लजीज पकवान का स्वाद मिलेगा. साथ ही एक ऐसा कल्चर जहां लोगों को खाने के साथ खिलाने का भी शौक है. लेकिन इन सब के बावजूद भी हम स्वास्थ मामलों में पीछे रह गए हैं.

ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर उम्र के लोग खानपान से जुड़ी सम्सयाओं से जूझ रहें हैं. 54.9% नवजात शिशुओं को स्तनपान नहीं मिल पाता, 51.4% महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं, वहीं 5.1% को मोटापे की दिक्कत है.

जीरो हंगर एजेंडा 2030

25 सितंबर, 2015 को (FOA) ने 193 देशों के साथ 2030 तक जीरो हंगर यानि भुखमरी से निजात और सस्टेनेबल डेवलप्मेंट के लिए हाथ मिलाया था. क्योंकि यह एजेंडा वैश्विक तौर पर लिया गया है इसलिए इसके सामने कई अहम चुनौतियां हैं. सभी देशों में विकास अलग स्तर पर है, ऐसे में कदम से कदम मिलाकर चलना अपने आप में ही एक चैलेंज है. जीरो हंगर और सस्टेनेबल डेवलप्मेंट दो ऐसे पहलू हैं, जिन्हें एक साथ लेकर चलना है. आखिर भविष्य में बेहतरी के लिए बचाव भी जरूरी है.

महामारी ने कई जीवन के साथ समझौता किया है, अर्थव्यवस्था पर ऐसा प्रभाव भविष्य के लिए चैलेंजिंग है. यह भारत में फूड सेफ्टी के तहत अच्छा संकेत नहीं है. यह हम सभी के लिए एक इमरजेंसी थी, लेकिन एकजुट होकर हम बेहतरी की आशा रख सकते है.

शुरुआती दौर में TDPS (टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्ट के तहत गरीबों में राशन बांटे गये. केंद्र सरकार ने 1.74 लाख करोड़ रुपये की प्रारंभिक घोषणा कर के भूखमरी की स्थिति को संभालने की कोशिश की, जिसका असर जमीनी स्तर पर भी देखने को मिला.

आगे भारत के COVID-19 चरण में फूड सेफ्टी का मसला कई तरह से देश के विकास को प्रभावित करेगा. इसलिए समय और रणनीतिक पहलों के साथ आज को मजबूत करना यह परिभाषित करना अभी बहुत जरूरी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 16 Oct 2020,09:48 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT