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आजकल की लाइफस्टाइल में लीवर से जुड़ी बीमारी आम हो गई है. अक्सर हम लिवर से जुड़ी परेशानियों को पहचान नहीं पाते और छोटी बीमारी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बड़ा रूप ले लेती हैं. हमें ये गलतफहमी रहती है कि लिवर की बीमारी सिर्फ एल्कोहल के सेवन से होती है. लेकिन ये सोचना गलत है, हमारे खराब लाइफस्टाइल और जंक फूड भी लिवर से जुड़ी बीमारी का कारण बन सकते हैं.
लिवर की बीमारियों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे (World Liver Day) मनाया जाता है. आइए जानते हैं, क्या हैं लिवर से जुड़ी बीमारियां, लक्षण और इनसे निपटने के उपाय.
हिंदी में लिवर को यकृत या जिगर भी कहा जाता है, यह हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. हमारे शरीर में लीवर 500 से ज्यादा महत्वपूर्ण कार्यों का अंजाम देता है, जिसमें रक्त प्रवाह (blood flow) से अपशिष्ट उत्पादों (waste products) और विदेशी पदार्थों (foreign substances) को निकालने का सबसे जरूरी काम करता है. इसके साथ ही लीवर हमारे शरीर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और पौषक तत्वों को बनाने का सबसे जरूरी काम भी करता है.
लिवर से जुड़ी समस्याएं 5 तरह की होती हैं, जिन्हें ए, बी, सी, डी, ई कहते हैं. ए और ई को आम भाषा में जॉन्डिस या पीलिया के नाम से जाना जाता है. अधिकतर पीलिया खराब पानी पीने की वजह से होता है. बी, सी और डी इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है, जिसका लिवर पर गहरा असर पड़ता है. इसे क्रॉनिक हेपेटाइटिस कहते हैं. इसके अलावा ऑटोइम्यून डिसॉर्डर है, जो आमतौर पर महिलाओं को होता है. इसमें शरीर का नर्वस सिस्टम ही शरीर की सेल्स को नुकसान पहुंचाने लगता है.
जॉन्डिस, जिसे पीलिया भी कहा जाता है, इस बीमारी के होने की सबसे बड़ी वजह गंदगी होती है. हेपेटाइटिस ए और ई खराब खाने और खराब पानी की वजह से होती है. हेपेटाइटिस बी, सी और डी अनसेफ सेक्स और ब्लड में इंफेक्शन की वजह से हो सकती है. ज्यादा शराब पीने से लिवर और पेन्क्रियाज पर बुरा असर पड़ता है. लिवर के रोगों से जुड़ी समस्याओं में लिवर सिरोसिस अहम है. बीमारी ज्यादा बढ़ने पर लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत तक आ सकती है.
लिवर सिरोसिस, कैंसर के बाद सबसे गंभीर बीमारी होती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो लीवर सिरोसिस लीवर से जुड़ी एक क्रोनिक डिजीज है क्योंकि इसे होने में काफी लंबा समय लगता है, और इसकी शुरुआत लीवर में फैट जमा होने से होती है. जब लीवर में फैट जमा होने लगता है तो उसकी वजह से लीवर डैमेज होना शुरू हो जाता है. फैट की वजह से लीवर को हुए इस डैमेज को फैटी लीवर के नाम जाना है. इस स्थिति में लीवर सामान्य की तुलना में बड़ा होने लगता है.
लिवर सिरोसिस होने पर बड़े पैमाने पर लिवर के सेल्स खत्म होने लगते हैं और उनकी जगह एक जाल बनने लगता है. इस बीमारी से लिवर की बनावट भी चेंज होने लगती है और इसका आखरी इलाज लिवर ट्रांसप्लांट होता है.
स्किन, नाखून,आंखों और यूरिन का पीला पड़ना
मुंह का बार-बार कड़वा होना
हर वक्त घबराहट और उल्टी की शिकायत रहना
पेट में सूजन और भारीपन का एहसास होना.
आलस, चिड़चिड़ापन और हर वक्त नींद आना
याददाश्त कमजोर होना या भूलने की बीमारी होना
1-यह जरूरी है कि किस समय क्या खाना है, जिससे लिवर की बीमारी ठीक हो सकती है.
2-खाना आप तभी खाएं, जब आपको भूख लगें और खाना भूख से ज्यादा न खाएं.
3-रात के खाने में सब्जियां, प्रोटीन और स्टार्च वाली चीजों को शामिल करें.
4- शहद और गुड़ डाइट में शामिल करें.
1-हल्दी एंटीआक्सीडेंट के रूप में काम करती है. सुबह या रात को सोने से पहले एक चम्मच हल्दी को एक गिलास दूध में घोलकर पीने से लिवर की समस्या में राहत मिलती है.
2-सुबह उठें तो 3 से 4 गिलास पानी जरूर पीएं
3-लिवर के पेशेंट्स नारियल पानी, शुद्ध गन्ने का रस या फिर मूली का जूस अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
4-सब्जियों का सूप पीएं, अमरूद, तरबूज, नाशपाती, मौसमी, अनार, सेब, पपीता, आलूबुखारा जैसे फलों का उपयोग फयदेमंद होता है.
5-सलाद, अंकुरित दाल और स्टीम फूड ज्यादा मात्रा में खाएं .
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