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11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे मनाया जाता है. इस मौके पर हम भारत और दुनिया की आबादी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य पेश कर रहे हैं.
इस वक्त दुनिया की आबादी 7.60 अरब से ज्यादा है. इसमें 1अरब, 35 करोड़ ( अनुमानित) से ज्यादा आबादी भारत में मौजूद है. यूएन के अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की आबादी 9.80 अरब के करीब होगी.
आबादी के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. पहले स्थान पर चीन है. गौर करने वाली बात यह है कि यूरोप के सारे देशों की कुल आबादी करीब 73 करोड़ है, जो अकेले भारत की तुलना में काफी पीछे है.
एक स्टडी के मुताबिक, 1000 AD में दुनिया की आबादी केवल 40 करोड़ थी. 1750 में दुनिया की आबादी बढ़कर 80 करोड़ हो गई. मतलब दुनिया की आबादी दोगुनी होने में 750 साल लग गए.
यूएन के आंकड़ों के आधार पर दुनिया की बढ़ती आबादी का लाइव अपडेट देने वाली साइट worldometers.info के मुताबिक, दुनिया की आबादी 1804 में पहली बार 1 अरब तक पहुंची थी. 1960 में ये आंकड़ा 3 अरब पार कर गया. दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद के सिर्फ 40 साल में (2000) ही दुनिया की आबादी दोगुनी होकर 6 अरब के आंकड़े को पार कर गई. एक अनुमान के मुताबिक, जुलाई 2017 तक दुनिया की आबादी 7.5 अरब है.
यूएन का अनुमान है कि पूरी दुनिया की आबादी 2023 तक 8 अरब और 2056 तक 10 अरब को पार कर जाएगी.
अनुमान के मुताबिक, 2025-30 तक भारत की जनसंख्या 1 अरब 65 करोड़ हो जाएगी. तब भारत चीन को पछाड़कर आबादी में नंबर वन बन जाएगा. तब तक दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ हो चुकी होगी.
यूथ इन इंडिया, 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 1971 से 2011 के बीच युवाओं की आबादी 16.8 करोड़ से बढ़कर 42.2 करोड़ हो गई. यानी कुल आबादी का 34.8 फीसदी.
साल 2030 तक देश में युवाओं की तादाद कुल आबादी की 32.6 फीसदी होगी, जो चीन की युवाओं की आबादी 22.31 फीसदी से 10 फीसदी ज्यादा होगी.
यूएन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया की आबादी में हर साल करीब 8.3 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि फर्टिलिटी रेट लगातार गिर रही है.
बता दें कि साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित किया था. इसका मकसद दुनियाभर में तेजी से बढ़ती आबादी और लोगों के रहन-रहन के स्तर को लेकर जागरूकता पैदा करना था.
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