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Sheetala Ashtami 2021: अष्टमी तिथि हर महीने में 2 बार आती है लेकिन लेकिन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है इसलिए इसे शीतला अष्टमी कहा जाता है. शीतलाष्टमी को बसौड़ा भी कहा जाता है. बता दें देश के अलग-अलग हिस्सों में शीतलाष्टमी चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ में मनाई जाती है.
इस साल आषाढ़ मास की शीतलाष्टमी 2 जुलाई शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. मां की सवारी गधा है. मां के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते रहते हैं. जिन्हें स्वच्छता और रोग प्रतिरोधकता का प्रतीक माना जाता है.
मान्यता है शीतला अष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा करने पर सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती और घर में सुख शांति आती है. शीतला अष्टमी के दिन पूजा के बाद माता को जल अर्पित करें और उसमें से कुछ जल बचा लें. इस जल को माता शीतला का ध्यान करके घर की सभी जगहों पर छिड़क लें. माता शीतला की पूजा करने के बाद उन्हें कुमकुम अक्षत और लाल रंग के फूल चढ़ाएं. ऐसा करने से मां आपकी मनोकामना पूरी करेंगी.
शीतलाष्टमी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहने.
शीतलाष्टमी के पूजन में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
नारंगी रंग के कपड़े को शुभ माना जाता है.
शीतला मां की भोग वाली थाली में दही, पुआ, पूरी, बाजरा और मीठे चावल रखें.
मां को सबसे पहले रोली,अक्षत, मेहंदी और वस्त्र चढ़ाएं और ठंडे पानी से भरा लोटा मां को समर्पित करें.
शीतला मां को भोग लगाएं और आटे के दीपक से आरती उतारें.
पूजा के अंत में नीम के पेड़ पर जल चढ़ायें.
वंदेऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबराम् ।
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम् ॥
इसका अर्थ यह है कि शीतला माता हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए हुए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.
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