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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
नॉन गजेटेड पोस्ट के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट की घोषणा के बाद छात्र असमंजस में हैं. छात्रों का कहना है कि रेलवे का सिलेबस अलग होता है और SSC का सिलेबस अलग होता है. ऐसे में एक परीक्षा होगी तो बहुत दिक्कत होगी.
बिहार के सोनपुर के रहने वाले UPSC अभ्यर्थी राजेश का कहना है कि एक संदेह ये भी है कि ये कब लागू होगा और उस परीक्षा का सिलेबस क्या होगा. सरकार को ये सभी चीजें स्पष्ट करनी चाहिए.
लेकिन वहीं कुछ छात्र इसे अच्छा कदम बता रहे हैं. उनका कहना है कि इससे एंट्रेंस एग्जाम में जो अलग से फीस लगती है वो बचेगी.
लखनऊ के रहने वाले UPSC अभ्यर्थी सचिन बताते हैं, “उन छात्रों के लिए बहुत फायदा है, जो अपने शहर से बाहर परीक्षा देने के लिए जाते हैं. इसमें कहा जा रहा है कि कुछ 'एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट' में ये एग्जाम सेंटर बनाने जा रहे हैं. जिसके कारण उन्हें अपने शहर से बाहर नहीं जाना होगा.”
कई छात्र सोचते हैं कि ऐसे में सिलेबस में काफी बदलाव किए जाने की जरूरत है.
छात्रों का कहना है कि सरकार को पहले नौकरियां बनाने के लिए कुछ करना चाहिए उसके बाद इस तरह के नियम दे सकते हैं. अगर नौकरियां नहीं होंगी तो इस तरह की एजेंसी का कोई मतलब नहीं होगा.
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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