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मैं फिनलैंड के रास्ते जर्मनी से आया हूं, 14 मार्च को शाम को 6 बजे मैं दिल्ली में लैंड किया. दिल्ली एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग भी हुई, जिसके बाद मुझे घर भेज दिया गया और सेल्फ क्वॉरन्टीन होने की हिदयात दी गई, साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया गया ताकि अगर कुछ दिक्कत हो तो मदद मिल सके.
जब मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो मैंने हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया, लेकिन उसपर किसी ने जवाब नहीं दिया. मुझसे दूसरे दिन सुबह तक इंतजार करना पड़ा, स्टेट हेल्पलाइन नंबर भी बंद था, मैंने इसको लेकर ट्वीट भी किया.
मैं सोनीपत के सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा और वहां से मुझे BPS मेडिकल कॉलेज, खानपुर कालन में रेफर किया गया. जब मैं मेडिकल कॉलेज जा रहा था, तो मुझे बताया गया कि 18 मार्च को मुझे फिर 9:30 सुबह सिविल अस्पताल आना है.
जब मैं वह पहुंचा तो मुझे विश्वास नहीं हुआ, फोटो और वीडियो से आप देख सकते हैं कि वहां खुले हुए ड्रेनेज हैं, गटर के पाइप हैं, जिसमे मच्छर हैं, छिपकली है, चूहे घूम रहे हैं और इस वजह से मैं वहां ज्यादा वक्त तक सो नहीं पाया.
वहां के वाशरूम साफ नहीं थे मुझे दूसरों के साथ वो बाथरूम शेयर करना पड़ रहा था, जो बिलकुल भी सही नहीं है, 18 मार्च तक मुझे वहां रहना पड़ा जब तक मेरी रिपोर्ट नहीं आई.
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