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दिल्ली में कोरोनावायरस पर लापरवाही, इटली से लौटे शख्स की आपबीती

डॉक्टर 30-40 मिनट बाद एक बार में दो लोगों को बुला रहे थे और ये करीब 5 घंटे तक चलता रहा

My रिपोर्ट
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(फोटोः क्विंट)
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मैं इटली के लोम्बार्डिया क्षेत्र के पाविआ में रहता हूं. मैंने वहां नोवल कोरोनावायरस केस की खबर सुनी. इसके बाद सिर्फ 24 घंटे में मुझे पता चला कि केस 50 से बढ़कर सीधे 150 हो गए हैं. हमें यूनिवर्सिटी से मैसेज मिला कि कोरोनावायरस के संकट के चलते यूनिवर्सिटी बंद रहेगी और तब तक नहीं खुलेगी जब तक स्वास्थ्य मंत्रालय नया नोटिस जारी नहीं करता.

उसी दिन मैं ग्रॉसरी स्टोर गया और सोचा कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो एहतियातन 2 महीने के लिए राशन खरीदकर रख लिया जाए. कुछ ही घंटों के अंदर सुपरमार्ट्स खाली हो गए और 24 घंटे के अंदर सारे सुपरमार्ट्स खाली हो गए.

इसके बाद मैंने कोशिश की कि मेडिकल स्टोर से मास्क और सेनिटाइजर्स खरीद लिए जाएं, लेकिन दुकानों में ये नहीं मिल रहे थे.

मेरे एक दोस्त ने इटली के मिलान से कनाडा के लिए मार्च की फ्लाइट टिकट बुक की लेकिन उसे एयरलाइंस कंपनी ने बताया कि उसे पहले ही यात्रा करनी होगी. अगर देरी होती है तो शायद वो यात्रा न कर पाए.

ये सुनकर मैंने तय किया कि भारत वापस जाने की टिकट बुक की जाए. मैंने 25 फरवरी को शाम 4 बजे की फ्लाइट पकड़ी और 26 फरवरी की सुबह साढ़े 8 बजे दिल्ली पहुंच गया.

दिल्ली एयरपोर्ट पर मैंने कहा कि मेरा कोरोनावायरस टेस्ट किया जाए क्योंकि मैं इटली से वापस आ रहा हूं. मुझे बताया गया था कि चीन, हॉन्ग-कॉन्ग और साउथ कोरिया से आने वाले लोगों का कोरोनावायरस टेस्ट किया जा रहा है, लेकिन मेरा टेस्ट नहीं किया गया और घर जाने के लिए कह दिया गया. 

जैसे ही मैं घर पहुंचा मैंने खुद को अलग-थलग (Quarantine) कर लिया. मैंने पढ़ा था कि इसके लक्षण दिखने में कई बार वक्त लगता है. मैं चिंतित होने लगा. एक हफ्ता हो चुका था, मैं अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार से नहीं मिला. मैं किसी को भी खतरे में नहीं डालना चाहता था.

इसके बाद 3 मार्च को मैंने ऑफिशियल सरकारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने का फैसला किया लेकिन मैं हैरान था कि किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद मैंने वैकल्पिक नंबर डायल किया जो मुझे वेबसाइट पर मिला था. एक ऑपरेटर ने फोन उठाया और मुझे चिंता न करने के लिए कहा.

मैंने उन्हें बताया कि मैं इटली से आया हूं, तब भी उन्होंने यही कहा. मैंने उन्हें ये भी बताया कि मुझे सांस लेने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है लेकिन ऑपरेटर ने मुझे बताया कि मुझे तेज बुखार और शरीर में दर्द नहीं है इसलिए मैं घर पर ही रहूं.

15 मिनट के अंदर मुझे उसी नंबर से कॉलबैक आया. मुझे बताया गया कि मुझे खुद जाकर राम मनोहर लोहिया (RML) हॉस्पिटल में जांच करानी चाहिए. फिर उसी दिन मैंने हॉस्पिटल जाने का फैसला किया. जब मैं वहां पहुंचा, वहां चैकअप से पहले स्लिप लेने के लिए अलग से लाइन लगी हुई थी. मैं वहां कई लोगों के साथ लाइन में खड़ा रहा. उसी लाइन में कई और कोरोनावायरस इन्फेक्टेड हो सकते थे.

लाइन में एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा(Photo Courtesy: My Reporter)

एक घंटे तक इंतजार करने के बाद मेरी बारी आई और वहां पर मौजूद शख्स ने मुझसे मेरी ट्रेवल हिस्ट्री के बारे में पूछा और बाकी जानकारियां लीं. इसके बाद मुझे आइसोलेशन वॉर्ड में जाने के लिए कहा गया. जब मैं वहां पहुंचा तो पहले से 15 लोग लाइन में खड़े थे. वहां बैठने के लिए कोई कुर्सी नहीं थी. मैं जब वहां खड़ा था तो मुझे और चिंता होने लगी.

डॉक्टर 30-40 मिनट बाद एक बार में दो लोगों को बुला रहे थे और ये करीब 5 घंटे तक चलता रहा. इसके बाद मेरी बारी रात करीब 9.45 पर आई. लाइन में जो लोग खड़े थे वो भी कोरोनावायरस पॉजिटिव हो सकते थे और मुझे ये डर सताए जा रहा था.

(Photo Courtesy: My Reporter)

कोरोनावायरस का टेस्ट लंबा चलता है और डॉक्टरों के लिए ये थकाऊ होता है. डॉक्टर थके हुए थे और ज्यादा काम कर चुके थे. डॉक्टर ने मेरे नाक और गले से रुई के जरिए सैंपल लिया और डिटेल्स की जांच की. इसके बाद उन्होंने मुझे प्रिस्क्रिप्शन दिया. (क्विंट के पास उस प्रिस्क्रिप्शन की कॉपी भी है.)

फिर उन्होंने 2-3 दिन बाद आने के लिए कहा और फिर से मैं चौंक गया. मैंने डॉक्टर्स से कहा कि मुझे मेल के जरिए रिपोर्ट दे दें लेकिन उन्होंने कहा कि ये नहीं हो सकता. मुझे सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच आने के लिए कहा गया.

(Photo Courtesy: My Reporter)

ईमानदारी से बताऊं तो जो लोग कोरोनावायरस पॉजिटिव हो सकते हैं, उनके साथ लाइन में खड़े रहने से मेरे इन्फेक्टेड होने की संभावना ज्यादा थी और ये बात मुझे डरा रही थी.

मैं फिर से वहां जाकर लंबी लाइन में खड़े होकर इंतजार नहीं करना चाहता, लेकिन मेरे पास केवल यही करने का विकल्प बचा है.

(द क्विंट ने आरएमएल हॉस्पिटल से संपर्क किया और ये कंफर्म करने की कोशिश की कि क्या जिस व्यक्ति का टेस्ट हुआ है उसको फिस से रिपोर्ट कलेक्ट करने के लिए आने की जरूरत है. हॉस्पिटल ने जवाब दिया कि उनको कहा गया है कि रिपोर्ट उसी व्यक्ति को दिया जाए जिसका टेस्ट हुआ है. इसका कारण उन्होंने ये बताया कि वो ऐसा इसलिए करते हैं जिससे रिपोर्ट असल व्यक्ति तक ही पहुंचे.)

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Published: 05 Mar 2020,02:55 PM IST

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