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हम डरे हुए हैं, हमें वापस लौटना है: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सरकार से अपील- ‘हम वापस आना चाहते हैं’

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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा

प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी और अर्शी कुरैशी

यूक्रेन में 100 के करीब छात्र फंसे हुए हैं. तरुण महन, फिरोज अहमद और अतीक रहमान हम तीनों ओडेशा मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं, हम लोग 12 मार्च से सेल्फ-इसोलेशन में हैं, और हमारे क्लास 13 मार्च से बंद हो गए हैं. सभी छात्र क्वॉरन्टीन के नियम का सख्ती से पालन कर रहे हैं लेकिन हमें ये नहीं पता है कि हम लोग कब अपने देश लौट पाएंगे.

यहां लॉकडाउन की तारीख बढ़ाकर 24 अप्रैल कर दी गई है.

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हमें अपने परिवार की याद आती है और हमारे देश की याद आती है. हमारे माता-पिता बहुत चिंतित हैं, वो हमें दिन में 7-8 बार कॉल कर देते हैं और हमारी हालत के बारे में पूछते हैं- कि हमने खाना खाया या नहीं, हम एहतियात बरत रहे हैं या नहीं. हमें बहुत दुख होता है जब वो पूछते हैं कि हमारे घर आने की संभावना बन पायेगी या नहीं. वो हमारी तबियत को लेकर ज्यादा चिंतित हैं.

हम अपनी जिंदगी को लेकर थोड़े डरे हुए हैं, लॉकडाउन जैसी स्थिति में लोग निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. शहरों के अंदर लोग अब भी आते-जाते हैं, यानी वो दूसरों को इन्फेक्ट करने का रिस्क और बढ़ा रहे हैं. 

हम और छात्रों के साथ हॉस्टल में रहते हैं, हमारे पास कॉमन किचन एरिया है. हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है सिवाए खाना पकाने के. अगर हम वहां खाना बनाने जाते है तो हमें डर होता है कि हम कहीं COVID-19 के शिकार न हो जाएं, उससे संक्रमित न हो जाएं.

यहां सब कुछ साफ है, लेकिन मेडिकल स्टाफ हमें सुविधा ढंग से नहीं दे पा रहे हैं. हमारे पास सैनिटाइजर और मास्क नहीं है, जितनी दुकानें हैं वो आउट ऑफ स्टॉक हो रही है.

यहां भाषा की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है

हम लोग यूक्रेनियन या रशियन भाषा उतनी अच्छी तरह से नहीं बोल सकते तो इस वजह से हमें मेडिकल स्टाफ से बात करने में उन्हें अपनी चीजें बताने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. अगर ऐसी नौबत आती है कि किसी को भर्ती करना पड़ा अस्पताल में तो हम नहीं जानते कि हमारा ट्रीटमेंट कैसे होगा औ हम कैसे उन्हें समझा पाएंगे.

'हम वापस आना चाहते हैं'

हमें नहीं पता कि लॉकडाउन कब खत्म होगा, हम बस ये अपील करना चाहते हैं कि हम भारतीय छात्रों के लिए कुछ कीजिये, हमें यहां से निकालिए. हम यहां फंसे हुए हैं. हम भारत सरकार, विदेश मंत्रालय से अपील करते हैं कि हमारी मदद करें और हमें यहां से जल्द से जल्द निकालें.

हमें भारत सरकार पर पूरा भरोसा है. हमें पूरी उम्मीद है कि विदेश मंत्रालय हमारी अपील को सुनेगा और हमें यहां से निकालेगा. हम वापस अपने देश आना चाहते हैं.

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Published: 07 Apr 2020,04:16 PM IST

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