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GTB हॉस्पिटल में मरीज लापता, 36 घंटे बाद मिली मौत की सूचना

एक 72 साल के बुजुर्ग जो ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे वो GTB हॉस्पिटल के पेशेंट वार्ड से लापता हो गए.

वरुण ओझा
My रिपोर्ट
Published:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर - पूर्णेन्दु प्रीतम

वीडियो प्रोड्यूसर - माज हसन

मान लीजिए आपने अपने पिता को हॉस्पिटल में एडमिट कराया है और अचानक से हॉस्पिटल मैनेजमेंट आपको बताए कि वो वहां से लापता हैं. ऐसे में आप क्या करेंगे? और फिर 36 घंटों तक लगातार ढूंढने के बाद भी वो न मिले और एकाएक हॉस्पिटल मैनेजमेंट आपसे बताए की उनकी लाश मिली है ? ऐसा हमारे परिवार ने फेस किया है.

16 नवंबर की सुबह मैंने अपने ससुर सुरेश कुमार राय को दिल्ली के गुरु तेज बहादुर (GTB) हॉस्पिटल में एडमिट कराया था. एक दिन पहले से उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत (chest congestion) हो रही थी. GTB हॉस्पिटल में मुख्य तौर पर कोविड मरीजों का इलाज होता है. नियम के मुताबिक हमें अंदर जाने की परमिशन नहीं थी. हमसे कॉन्टैक्ट नंबर लिए गए ताकि टेस्ट और ट्रीटमेंट की जानकारी दी जा सके.

फिर कैसे हुए लापता ?

16 नवंबर की शाम को हमें वीडियो कॉल पर दिखाया गया कि उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है और उनकी हालत बेहतर थी. उसके बाद 12:50 पर हमें दोबारा हॉस्पिटल से कॉल आई कि उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना होगा. हमसे उनके कद और वजन की जानकारी ली गई.

दूसरे दिन 17 नवंबर को जब हम हॉस्पिटल में जानकारी के लिए पहुंचे तो बहुत ही चौंकाने वाली बात सामने आई. हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने हमें बताया कि मेरे ससुर पिछ्ली रात से लापता है.
एक 72 साल के बुजुर्ग जो ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे वो GTB हॉस्पिटल के पेशेंट वार्ड से लापता हो गए. ऐसा कैसे हो सकता है ? विश्वास ही नहीं हो रहा था.

हमने उन्हें सभी जगह ढूंढा, अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाल लिया. 6वें फ्लोर पर वार्ड नं 26 की फुटेज में सिर्फ वो अंदर जाते हुए दिखे जबकि बाहर निकलने का कोई नामोनिशान नहीं था. हॉस्पिटल के स्टाफ ने बताया कि 16-17 नवम्बर की रात वो टॉयलेट गए लेकिन वापस नहीं लौटे. हमने उन्हें 36 घंटों तक इधर - उधर लगातार ढूंढा.

36 घंटों बाद एक ऐसा शॉक!

18 नवंबर को GTB हॉस्पिटल के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर ओपी कालरा का मेरे पास कॉल आया. उन्होंने बताया कि मेरे ससुर की बॉडी 5 वें फ्लोर पर ऑपरेशन थिएटर के पास मिली है. उन्हें 6 वें फ्लोर पर एडमिट किया गया था लेकिन उनकी बॉडी 5 वें फ्लोर पर कैसे पहुंची? इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं था. ये हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही का ही नतीजा है कि वो आज हमारे बीच नहीं हैं.

डॉक्टर ओपी कालरा ने क्विंट से बताया कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट इस मामले की जांच कर रहा है.

हम इस मामले को काफी गंभीरता से ले रहे हैं. हमने सभी स्टाफ मेंबर्स को तलब कर दिया है. इंचार्ज को सूचित किया गया है कि परिवार वालों को मामले की सभी अपडेट मिलती रहे. साथ ही हमने सिक्योरिटी मैनेजमेंट को आगाह किया है कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो.
डॉक्टर ओपी कालरा, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट 

(इनपुट - विशाल झा, सिटिजन जर्नलिस्ट)

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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