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दिल्ली के सराय काले खां में बेघरों के फिर से बेघर होने की दर्दनाक कहानी

Sarai Kale Khan Rain Basera Demolished: कुछ घंटो पहले नोटिस दिया, फिर उजाड़ दिया रैन बसेरा

यास्मीन
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<div class="paragraphs"><p>'कुछ घंटों की सूचना, सराय काले खां में आश्रयों को तोड़ा गया, निवासी कहां जाएं?'</p></div>
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'कुछ घंटों की सूचना, सराय काले खां में आश्रयों को तोड़ा गया, निवासी कहां जाएं?'

(फोटो-क्विंट हिंदी)

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G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) से पहले, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) ने 15 फरवरी को दक्षिण पूर्व दिल्ली के सराय काले खां में एक रैन बसेरा को ध्वस्त कर दिया.

मैं डेमोलिशन के कुछ दिनों बाद सराय काले खां गया और उन निवासियों से मिली, जिन्हें अस्थायी रूप से बाहर निकाल दिया गया है और वे मेट्रो स्टेशन के पास एक रैन बसेरा में रह रहे हैं.

सराय काले खां में आशियाना तोड़ा गया.

(फोटो- यास्मीन)

इन लोगों के लिए दो अस्थाई टेंट बनाए गए हैं जिनमें कुछ बिस्तर हैं और लोग वहीं सोते हैं. मैं सबसे पुराने निवासियों में से एक-रेन बसेरा के हरीश हंसपाल से मिली- जो वहां 12 साल से अधिक समय तक रह रहे थे.

'मैं वहां रहने वाले सबसे बुजुर्ग लोगों में से एक था. मैं वहां 12 साल से रह रहा हूं. रहने के लिए यह एक अच्छी जगह थी. ऐसी कोई समस्या नहीं थी जिसका हमें सामना करना पड़े. हमारे पास जाने के लिए और कहीं नहीं है. हमारे पास लौटने के लिए कोई गांव नहीं है. मैंने अपना अधिकांश जीवन दिल्ली में बिताया है. तो अगर यहां नहीं तो अब मैं कहां जाऊं?'
हरीश हंसपाल, निवासी

हंसपाल ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि यह रैन बसेरा के साथ होगा. हमें इसके बारे में एक रात पहले ही पता चला कि वे इसे ध्वस्त कर देंगे. उन्होंने इसे ध्वस्त कर दिया. हमने आस-पास की दुकानों में काम करते हैं और यहीं सोते थे. यह हमारे घर जैसा था."

तोड़फोड़ के बाद मलबा

(फोटो- यास्मीन)

'हमें केवल कुछ घंटों का नोटिस दिया गया'

निवासियों ने मुझे यह भी बताया कि उन्हें जगह खाली करने या छोड़ने के लिए कोई समय नहीं दिया गया था, जिसके कारण वे अपना सामान हटा नहीं पाए और वह डेमोलिशन के बाद मलबे में दब गया.

'जब हम काम पर थे तभी हमें नोटिस मिला था, और जब हम वापस लौटे, तो हमें बताया गया कि अगले दिन 15 फरवरी को सुबह 10 बजे हमें अपना आश्रय खाली करना होगा. हमें सुबह 9-9:30 बजे तक चले जाने को कहा गया.'
अनिल कुमार, निवासी
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अनिल कुमार तीन महीने से अधिक समय से रैन बसेरा में रह रहे थे और पास में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे. उन्होंने मुझे बताया कि वह दिन में काम करेंगे और फिर रैन बसेरा में सोने आ जायेंगे.

बेघरों ने की स्थाई शेल्टर होम की मांग

विध्वंस के कारण छत को खो चुके निवासी अब एक स्थायी आश्रय गृह की मांग कर रहे हैं. रैन बसेरा में रहने वाले बिहार के एक प्रवासी श्रमिक कृष्ण ने कहा, "ध्वंस अचानक हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए, हमारी कई चीजें वहां दब गईं."

सराय काले खां के पास एक और रैन बसेरा.

(फोटो- यास्मीन)

'हम नहीं जानते कि सरकार क्या चाहती है. उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए. अगर वे इस तरह हमारा आश्रय ले लेंगे, तो हमें सड़कों पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, और अगर हम किसी दुर्घटना का शिकार हो गए तो क्या होगा? फिर किसे दोष दिया जाए?'
कृष्ण, प्रवासी मजदूर

सभी को अस्थायी आश्रयों में नहीं भेजा गया

रैन बसेरों के विध्वंस के बाद, सभी को अस्थायी आश्रयों में नहीं ले जाया गया है, कुछ बेघर हैं और उनका कोई पता नहीं है. यहां रहने वाले लोगों को वह सब सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जो पहले जहां रहते थे वहां मिलती थी, लेकिन उनके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है.

द क्विंट ने DUSIB से संपर्क किया

द क्विंट से बात करते हुए दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड के सदस्य बिपिन राय ने कहा, "दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अनुरोध पर रैन बसेरों को ध्वस्त कर दिया गया है क्योंकि वे वहां एक पार्क बनाने की योजना बना रहे हैं. यहां रहने वाले लोगों को अस्थायी रूप से पास के सराय काले खां में स्थानांतरित कर दिया गया है. वहां अधिक जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग लोगों के लिए आश्रय बनाने के लिए किया जाएगा."

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरी सिटिजन जर्नलिस्ट द्वारा द क्विंट को सबमिट की जाती है. हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है. इसके बावजूद रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है, न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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