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ट्रंप से छिपाने के लिए बनाई जा रही जो दीवार, क्या है उसके पार?

24 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अहमदाबाद आएंगे

मुनाफ अहमद
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अहमदाबाद नगर निगम गांधीनगर से अहमदाबाद हवाई अड्डे तक जाने वाली सरनियावास झुग्गी के साथ एक दीवार का निर्माण कर रही है.
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अहमदाबाद नगर निगम गांधीनगर से अहमदाबाद हवाई अड्डे तक जाने वाली सरनियावास झुग्गी के साथ एक दीवार का निर्माण कर रही है.
(फोटो: मुनाफ अहमद)

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24 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अहमदाबाद यात्रा के मौके पर, शहर में 'सौंदर्यीकरण अभियान' चल रहा है. बिलकुल ऐसा ही अभियान जापान में प्रधान मंत्री शिंजो आबे की 2017 में हुई गुजरात यात्रा के समय भी देखने को मिला था.

अहमदाबाद नगर निगम गांधीनगर से अहमदाबाद हवाई अड्डे तक जाने वाली सरनियावास झुग्गी के साथ एक दीवार का निर्माण कर रही है.

अहमदाबाद स्लम को कवर करने के लिए एक दीवार बनाया जा रहा है. (फोटो: मुनाफ अहमद)  

जब मैंने मीडिया में छपी इस खबर के बारे में पढ़ा, तो मैंने वहां जाकर देखने का फैसला किया कि क्या हो रहा है.

  समय पर काम खत्म करने के लिए मजदूर दिन-रात काम कर रहे हैं.  (फोटो: मुनाफ अहमद)  

जिस समय मैं वहां पहुंचा, मुझे बताया गया कि इस हफ्ते के शुरुआत में निर्माण का काम शुरू हो गया था और मजदूर काम को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं.

जारी है निर्माण का काम.  (फोटो: मुनाफ अहमद)  
  24 फरवरी को ट्रंप की यात्रा से पहले मजदूर काम पर लगे हुए हैं.  (फोटो: मुनाफ अहमद)  
दीवार आधा किलोमीटर से ज्यादा लंबी है.  (फोटो: मुनाफ अहमद)  

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी के एक साथ रोड शो करने की संभावना है. उस वक्त ये दीवार प्रतीकात्मक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति से भारत की असमानता को छिपाएगी.

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दुर्भाग्य से, शहर के सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया में, सरकार अपने स्वयं के कई नागरिकों को छिपाने की कोशिश कर रही है. इन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए जिंदगी मुश्किलों से भरी है.

महिलाएं पानी भरने के लिए यहां इकट्ठा होती हैं  (फोटो: मुनाफ अहमद)  

मैंने यहां कई महिलाओं से बात की. उन्होंने मुझे बताया कि पूरे स्लम एरिया में लगभग 500 कच्चे घरों के लिए पानी का केवल एक स्रोत है. ये महिलाएं, जिनमें से कई दिहाड़ी मजदूर हैं, उनका कहना है कि 1980 के दशक के बाद से उनके जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ है.

सरकार गरीबों को बुनियादी सुविधाएं देने की जहमत नहीं उठा रही है. उचित शिक्षा नहीं होने से, सरनियावास के बच्चों के लिए बेहतर भविष्य के बारे में सोचने का कोई मौका नहीं है.

पूरे इलाके में पानी का केवल एक स्रोत है.  (फोटो: मुनाफ अहमद)  
एक बैरिकेड स्लम से ट्रैफिक को अलग करती है  (फोटो: मुनाफ अहमद)  

इंदिरा गांधी सरकार के दौरान "गरीबी हटाओ" गरीबी उन्मूलन का एक लोकप्रिय नारा बन गया था. अब हालांकि, ऐसा लगता है जैसे वो नारा बदलकर "गरीबी छिपाओ" कर दिया गया है!

झुग्गी में 500 से ज्यादा कच्चे घर हैं  (फोटो: मुनाफ अहमद)  
इन झुग्गियों में रहने वाले निवासी सुविधाओं की कमी की शिकायत करते हैं  (फोटो: मुनाफ अहमद)  
यहां के लोगों का कहना है कि 1980 के दशक के बाद से उनके जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ है.(फोटो: मुनाफ अहमद)  

चाहे गरीब हो या अमीर, हर व्यक्ति भारत का एक समान नागरिक है. इसलिए, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकों को छिपाने के लिए दीवारें बनाने के बजाय, उन्हें उनके अधिकार दिए जाएं.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

ये भी पढ़ें- ट्रंप के भारत दौरे से पहले झुग्गियों को छिपाने के लिए बन रही दीवार

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Published: 16 Feb 2020,01:25 PM IST

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