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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
मेरा नाम अभिजीत दोरवाह है ,मेरी उम्र 32 साल है और मैं असम के शिवसागर जिले से हूं. इस साल नवंबर में मैंने सड़क पर घूम रहे आवारा कुत्तों के लिए कुछ पुराने टीवी सेट्स में परिवर्तन करके, उनके लिए घर बनाया . अपने इस ‘Baator Ghor‘ को स्थापित करने के बाद , जब मैंने इनकी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर अपलोड कीं , उसके कुछ दिनों बाद ही सोशल मीडिया पर ये वायरल होने लगी.
मुझे इसका ख्याल अपने पालतू कुत्ते को देख कर आया, कि कैसे वो इस घर में चैन और सुख से रहता है ,उसे खाने या रहना की चिंता नहीं है , लेकिन सड़क पर घूम रहें आवारा कुत्तों को भोजन और आश्रय की कमी से रोजाना जूझना पड़ता है. इसलिए, मैं उनकी हर संभव मदद करना चाहता हूं.
इस विचार को वास्तविकता में बदलने के लिए मैं कई बार रात को अपने घर से निकला, ताकि ये जान सकूं कि आवारा कुत्ते कैसे अपनी रात गुजरते हैं. और मुझे ये देख कर बहुत ज्यादा दुःख हुआ की वो इन कठोर सर्दियों में भी बाहर रहने को मजबूर हैं . क्योंकि उनके पास रहने के लिए आश्रय नहीं है.
मैंने देखा की जबसे LCD और LED टीवी आएं हैं ,लोग अपने पुराने टेलीविजन सेट का इस्तेमाल करना बंद कर चुके हैं . इसलिए, मैंने इन इडियट बॉक्स (Idiot Box ) का उपयोग करने का फैसला किया और अपने इन आवारा कुत्तों के लिए एक आरामदायक जगह में बदल दिया.
मैंने इन पुराने टीवी के घरों को और अधिक ध्यान देने योग्य बनाने के लिए इन्हें दो रंगों में पेंट करने का फैसला किया - पीला और हरा. पीला, ताकि ये पप्पी हाउस दूर से दिखाई दे, और हरा हो, ताकि आसपास के पेड़ पौधों के साथ इसका रंग मिलता जुलता रहे.
इसकी के साथ मैंने एक बेकार प्लास्टिक की बोतल से कुत्तों के लिए पानी पीने लायक एक छोटे कटोरा जैसा बनाया है. ये इस तरह से है कि, न तो पत्तियां और न ही धूल-मिटटी इस प्लास्टिक के कटोरे में गिर सकें , और उसकी के साथ जब भी बारिश हो तो इसमें पानी अपने आप भर जाए.
उसके बाद मैंने अपने घर से अपने कुत्ते के कुछ पुराने कपड़े लाकर इस पप्पी हाउस में रख दिया . ताकि आवारा कुत्ते अपनी गंध सूंघते हुए वापिस इस घर में आ जाए . और फिर अंत मैंने इस ‘Baator Ghor‘ को सड़क के किनारे रख दिया
जैसे ही लोगों को पता चला कि मैं ये नेक काम कर रहा हूं, मेरे दोस्त , मेरे परिवार वाले मदद के लिए सामने आए. मुझे एक पशु चिकित्सक से भी मदद मिली जो आवारा और बीमार जानवरों का देखभाल करता है.
मेरे पास बस इतना ही पैसा था कि मैं पुराने टीवी सेट से पप्पी हाउस बना सकूं , लेकिन अब कुछ अन्य लोगों की मदद से मैं हर बुधवार और रविवार को शिवसागर में आवारा कुत्तों को खाना भी खिलता हूं.
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Published: 29 Dec 2020,02:17 PM IST