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यह वे लोग है, जो अपने परिवार से दूर रहकर, भारत को अपनी माता माना,
इनका एक ही मकसद, भारत माता की रक्षा करना
माता को चोट पहुंचे, तो खुद को त्याग कर देते,
दिन, रात, हर घंटे, खुद को भारत के नाम कर देते.
साहसिक और सतर्क रहते हमेशा,
दुश्मनों को मात दे, यही करते है आशा
जब पुत्र तिरंगे में लिपटकर आते,
तब सबको प्रेरित करके जाते
- तन्वी खन्ना
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